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चीन से रिश्ते पर फंसा WHO, विश्व के सभी देश उठा रहे सवाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस के बढते संक्रमण को महामारी घोषित किया तब तक पूरे विश्व में चार हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी थी

Aradhya Tripathi
Published on: 17 April 2020 10:03 PM IST
चीन से रिश्ते पर फंसा WHO, विश्व के सभी देश उठा रहे सवाल
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कोविड-19 वायरस का प्रकोप आज दुनिया के कई देशों में अपना पांव पसार चुका है। और इससे हजारों की संख्या में लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं और लाखों इससे संक्रमित हैं। लेकिन पूरे विश्व के स्वास्थ्य के निगरानी और बचाव व जागरूकता के लिए आज से 72 साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की गई थी। जो विश्व भर में फैले रोग और उनके बचाव व ईलाज के लिए दिशा निर्देश जारी करता है।

और पुरा विश्व विश्व स्वास्थ्य संगठन की बातों को मानता था। लेकिन इस समय फैली कोविड-19 महामारी में विश्व में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रति देशों का नजरिया नकारात्मक दिख रहा है। खासकर पुरे विश्व में यह चर्चा है कि इस महामारी के फैलने में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लापरवाही की और सही समय पर सही कदम नही उठाया जिससे विश्व को कोविड-19 की इस महामारी को झेलना पड रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के रवैये पर उठ रहे सवाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के वुहान शहर से फैले वायरस को 'वुहान वायरस' नाम देने के बाद इसका नाम बदलकर कोविड-19 कर दिया। जिससे विश्व के दिमाग से इस वायरस का नाम चीन के शहर से न रहे। जब यह वायरस अपने शुरूआती दौर में था तब ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को लोगों ने इस पर ध्यान देने की बात कही लेकिन चीन के दबाव की वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसा कुछ करना उचित नही समझा। जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वायरस के बढते संक्रमण को महामारी घोषित किया तब तक पूरे विश्व में चार हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी थी और एक लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे।

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यदि यह संगठन इस बात को पहले ही संज्ञान में ले लेता तो शायद यह इतना विकराल रूप न लेता। ताइवान ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस महामारी की भयावहता के बारे में दिसम्बर में ही बता दिया था। चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अन्तरंग सम्बन्धों को लेकर विश्व में काफी चर्चा है और तीखी प्रतिक्रिया भी हो रही है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन 'चीन-प्रेम' में विश्व को 'मौत' के मुंह में झोंकने पर अमादा है। जहां पर कुछ संगठन चीन को लेकर समर्थन कर रहे है तो कुछ विरोध। विश्व भर में चीन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन पर हो रही आलोचनाओं के जवाब में, महानिदेशक टेड्रोस ने कहा है कि चीन को प्रशंसा करने के लिए कहने की आवश्यकता नहीं है। चीन ने वायरस को धीमा करने के लिए कई अच्छे काम किए हैं। पूरी दुनिया न्याय कर सकती है।

अमेरिका ने दी WHO की फंडिंग रोकने की धमकी

महामारी के बीच, अफ्रीकी नेताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए समर्थन व्यक्त। अफ्रीकी संघ ने कहा कि संगठन ने "अच्छा काम" किया है। और नाइजीरियाई के राष्ट्रपति मोहम्मद बुहारी ने "वैश्विक एकजुटता" का आह्वान किया है।' वहीं विश्व के कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन की सरकार को खतरे में डालने में असमर्थ है। ग्लोबल हेल्थ सिक्योरिटी पर चैथम हाउस सेंटर में वन हेल्थ प्रोजेक्ट के निदेशक उस्मान डार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आचरण का बचाव किया कि संयुक्त राष्ट्र के संगठन हमेशा उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से जुड़े रहे हैं। संगठन की दैनिक स्थिति रिपोर्ट में "ताइवान क्षेत्र" को शामिल किया गया।

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जिसके परिणामस्वरूप ताइवान को आरएचओ-शासित द्वीप पर मामलों की अपेक्षाकृत कम संख्या होने के बावजूद मुख्य विश्व स्वास्थ्य संगठन के रूप में एक ही WHO "उच्च" जोखिम रेटिंग प्राप्त हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन में ताइवान की गैर-सदस्यीय स्थिति के बारे में आगे की चिंताओं का प्रभाव इस पर पड़ा है कि संगठन को उचित चैनलों के बिना इस क्षेत्र में प्रकोप के मामले में ताइवान की भेद्यता बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हमारे सभी परामर्शों में ताइवान के विशेषज्ञ शामिल हैं। इसलिए वे पूरी तरह से लगे हुए हैं और विशेषज्ञ नेटवर्क के सभी घटनाक्रमों से पूरी तरह अवगत हैं। इसलिए जो भी कार्य हो रहे है एक रणनीति के तहत हो रहे है।

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लेकिन संगठन की इस दलील को न मानते हुए 14 अप्रैल 2020 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि संगठन गंभीर रूप से दुस्साहसी और कोरोनो वायरस के प्रसार को कवर करने वाले के रूप में वर्णित अपनी भूमिका की समीक्षा करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त राज्य कोष को रोक देंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कोरोनो वायरस महामारी पर "कॉल मिसिंग" के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की आलोचना की थी और संगठन को अमेरिकी फंडिंग को रोक देने की धमकी दी थी।

WHO ने दी अपनी सफाई

अमेरिकी कांग्रेस ने पहले ही 2020 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को लगभग 122 मिलियन डॉलर का आवंटन किया था, और ट्रम्प ने पूर्व में व्हाइट हाउस के 2011 के बजट में इस संगठन के वित्तपोषण को 5 मिलियन तक कम करने का अनुरोध किया था। विदित हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को लगभग 15% का सहयोग अमेरिका करता है।

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ऐसे में इस संगठन की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अमेरिका के निर्णय को "खेदजनक" कहा और कहा कि संगठन ने पहली बार जनवरी की शुरुआत में दुनिया को सतर्क किया जब हर साल होने वाले लाखों समान मामलों में एटिपिकल निमोनिया के 41 मामलों के एक समूह को बाहर निकाल दिया गया था। 10 जनवरी को, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मानव-से-मानव संचरण की एक मजबूत संभावना के कारण सावधानियों का आग्रह किया।

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लेकिन अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन से नाराजगी बनी है और 14 अप्रैल 2020 को एक चिट्ठी के माध्यम से कुछ जानकारी मांगी है। लेकिन विश्व के कई देश अमेरिका के इस फैसले से खुश नही हैं। और इसे अमेरिका का 'सुप्रीम स्टंट' मान रहे हैं। क्योकि इस वायरस से अमेरिका काफी प्रभावित है और चीन में इससे राहत है।

इसलिए चीन की बादशाहत कहीं विश्व में कायम न हो जाये इसीलिए अमेरिका ऐसा आरोप विश्व स्वास्थ्य संगठन पर लगा रहा है। वैसे अमेरिका कई जगहों पर ऐसा कार्य किया है जहां उसका फैसला लोगों के लिए किरकिरी बन गया। लेकिन कोई कुछ कर नही सका। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का चीन के प्रति नरम रवैया या झुकाव कही न कही कुछ मजबूरियों को दर्शाने में काफी सहायक है।

उमेश सिंह



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Aradhya Tripathi

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