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ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की बड़ी जीत, 100 में पहली बार हुआ इस महीने में चुनाव
ब्रिटेन में शुक्रवार को आम चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। नतीजों में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सत्तासीन कंजरवेटिव पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की है। कंजरवेटिव पार्टी ने 362 सीटों पर जीत हासिल की है, तो वहीं विपक्ष की लेबर पार्टी 203 सीटों पर सिमट गई है। ब्रि
नई दिल्ली: ब्रिटेन में शुक्रवार को आम चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। नतीजों में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की सत्तासीन कंजरवेटिव पार्टी ने बड़ी जीत हासिल की है।
कंजरवेटिव पार्टी ने 362 सीटों पर जीत हासिल की है, तो वहीं विपक्ष की लेबर पार्टी 203 सीटों पर सिमट गई है। ब्रिटेन में बहुमत का आंकड़ा 326 है।
विपक्षी लेबर पार्टी अपनी कई पारंपरिक सीटें गंवा दी हैं। ब्रिटेन के आम चुनाव में 1987 के बाद से कंजरवेटिव पार्टी की यह सबसे बड़ी जीत है और लेबर पार्टी के लिए 1935 के बाद से यह बुरी हार है।
एग्जिट पोल में भी 650 सीटों वाली संसद में कंजरवेटिव पार्टी को 368, लेबर पार्टी को 191, लिबरल डेमोक्रेट्स को 13, एसएनपी को 55 सीटें मिलती दिखाई गई थीं। ब्रिटेन में यह पांच साल में तीसरा आम चुनाव हैं। बीते दो चुनाव 2015 और 2017 में हुए थे। वहीं 100 साल में यह पहली बार है, जब चुनाव दिसंबर में हो रहे हैं। कंजरवेटिव पार्टी और बोरिस जॉनसन का चुनाव में साफ संदेश रहा ब्रेग्जिट पूरा करना।
मोदी और ट्रम्प ने दी जॉनसन को जीत की बधाई
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जॉनसन को जीत की बधाई दी। मोदी ने ट्वीट किया कि बोरिस जॉनसन को दमदार बहुमत के साथ सत्ता में लौटने की बधाई। मेरी तरफ से उन्हें शुभकामनाएं। भारत-यूके के करीबी संबंधों के लिए हम साथ काम जारी रखेंगे।
ट्रम्प ने ट्वीट कर कहा कि बोरिस जॉनसन को शानदार जीत के लिए बधाई। ब्रिटेन और अमेरिका ब्रेग्जिट के बाद बड़ा व्यापार समझौता करेंगे। यह समझौता यूके की यूरोपियन यूनियन से होने वाली डील से कई बड़ा होगा। जश्न मनाइए बोरिस।
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इस चुनाव में हार के बाद लेबर पार्टी का नेतृत्व कर रहे जेरेमी कॉर्बिन ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने नतीजों पर निराशा जताई है। जेरेमी कॉर्बिन ने कहा कि वे आगे किसी भी चुनाव में पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे। कॉर्बिन ने हार के पीछे ब्रेक्जिट को वजह बताया। कहा कि सामाजिक न्याय का मुद्दा आगे भी जारी रहेगा। हम वापसी करेंगे। लेबर पार्टी का संदेश हमेशा मौजूद रहेगा।
दरअसल, लेबर पार्टी ने वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आती है, तो ब्रेग्जिट पर दोबारा जनमत संग्रह कराएगी। कॉर्बिन की पार्टी 2016 में हुए जनमत संग्रह को नाकाम बताती रही है।
लेबर पार्टी ने सितंबर में पार्टी के वार्षिक सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर को लेकर आपातकालीन प्रस्ताव पारित किया था। वार्षिक सम्मेलन में पार्टी नेता जेरेमी कॉर्बिन ने क्षेत्र में प्रवेश के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक और वहां के लोगों के लिए आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग करने के लिए कहा। हालांकि ब्रिटेन सरकार का मानना है कि जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है।
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बता दें कि इस चुनाव में माना जा रहा है कि कश्मीर का मुद्दा उठाने की वजह से भी लेबर पार्टी को नुकसान हुआ है। इस चुनाव में हॉरो ईस्ट सीट से चुनाव जीतने वाले कंजरवेटिव पार्टी के बॉब ब्लैकमैन ने माना है कि चुनाव में कश्मीर मुद्दे ने बड़ा रोल निभाया। उन्होंने कहा कि इस वजह से भारतीयों ने कंजरवेटिव पार्टी को वोट दिया। कश्मीर मामले की वजह से हम कम से कम 10 सीटों पर जीते हैं।
यूके दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने जीत पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यूके दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र है। जिन्होंने भी हमारे लिए वोट किया, जो हमारे उम्मीदवार बने, उन सबका शुक्रिया।
लोगों की भावनाएं नहीं समझ पाए: लेबर पार्टी
लेबर पार्टी के अध्यक्ष इयान लेवेरी ने कहा है कि ब्रेग्जिट के लिए दूसरी बार जनमत संग्रह का प्रस्ताव देकर उनकी पार्टी ने गलती की। लेवेरी ने कहा कि इसके पीछे पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन की कोई गलती नहीं है। हम यूके के लोगों की भावनाओं को नहीं समझ पाए।
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जल्द लागू करेंगे ब्रेग्जिट: गृह मंत्री प्रीति पटेल
गृह मंत्री प्रीति पटेल ने कहा कि नई सरकार ब्रेग्जिट लागू करने के लिए तेजी से कदम उठाएगी। उनका कहना है कि क्रिसमस से पहले ही संसद ने बिल पेश कर दिया जाएगा और हम इसे जल्द लागू करेंगे। चुनाव नतीजों के बाद अब साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अपनी शर्तों पर यूरोपीय संघ(ईयू) से अलग होंगे।
जानिए क्या है ब्रेक्जिट?
ब्रेक्जिट यानी ब्रिटेन+एक्जिट। ब्रेक्जिट का सीधा सा अर्थ है ब्रिटेन का यूरोपियन संघ से बाहर हो जाना। हालांकि पूरी दुनिया में इस बात को लेकर असमंजस है कि ब्रिटेन अब ईयू में रहेगा या नहीं। बोरिस जॉनसन की पार्टी को मिली जीत के बाद साफ है कि वह ब्रिटेन को यूरोपियन संघ से अलग कर देंगे।
इसलिए उठी यूरोपियन संघ से अलग होने की मांग
बता दें कि इसकी शुरुआत 2008 में उस दौरान हुई जब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई थी। ब्रिटेन में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ गई थी, इसके समाधान निकालने की कोशिश हो रही थी। इसी बीच यूनाइटेड किंगडम इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) ने 2015 में हो रहे चुनावों के दौरान यह मुद्दा उठाया कि यूरोपीय संघ ब्रिटेन की आर्थिक मंदी को कम करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है।
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पार्टी का कहना था कि इसकी वजह से ही ब्रिटेन की स्थिति लगातार खराब हो रही है। उस दौरान कहा गया कि ब्रिटेन को हर साल यूरोपियन यूनियन के बजट के लिए 9 अरब डॉलर देने होते हैं। जिसकी वजह से ब्रिटेन में बिना रोक-टोक के लोग बसते हैं। फ्री वीजा पॉलिसी से ब्रिटेन को भारी नुकसान हो रहा है।
ब्रेक्जिट का विरोध
ब्रिटेन के कई लोग यूरोपीय संघ से हो रहे फायदों को लेकर ब्रेक्जिट के फैसले को गलत बताते हैं। ब्रेक्जिट का विरोध कर रहे लोगों की दलील है कि इससे दूसरे यूरोपिय देशों से कारोबार पर बुरा असर होगा। ब्रिटेन का सिंगल मार्केट सिस्टम खत्म हो जाएगा और ब्रिटेन की जीडीपी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
डेविड कैमरन के बाद बने दोनों प्रधानमंत्री थेरेसा मे और बोरिस जॉनसन ने ब्रेक्जिट को अपना मुद्दा बनाया और इसे लागू करने की शर्त पर प्रधानमंत्री का पदभार संभाला। लेकिन थेरेसा मे ब्रेक्जिट पर बहुमत हासिल नहीं कर सकीं और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
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2016 में ब्रिटेन में जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें बहुमत ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में था। ब्रेक्जिट पर जनमत संग्रह के बाद तत्कालीन कैमरन सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था। तब कंजरवेटिव पार्टी की थेरेसा मे की अगुवाई में सरकार बनी, लेकिन ब्रेक्जिट के लिए वह जरूरी समर्थन नहीं जुटा पाईं और अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद बोरिस जॉनसन प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी।