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भारत की आर्थिक चोट से बौखलाया चीन, अब दे डाली ये धमकी
तिलमिलाया चीन अब धमकी देने पर उतर आया है। उसका कहना है कि अगर भारत भारतीय अर्थव्यवस्था से चीनी अर्थव्यवस्था को अलग करने की कोशिश करता है तो दोनों देशों नुकसान होगा।
नई दिल्ली: 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद मोदी सरकार ने चीन के खिलाफ कई अहम फैसले लिए हैं। भारत सरकार के इन फैसलों से चीन को आर्थिक मोर्चे पर बहुत बड़ा झटका लगा है। जिससे तिलमिलाया चीन अब धमकी देने पर उतर आया है। उसका कहना है कि अगर भारत भारतीय अर्थव्यवस्था से चीनी अर्थव्यवस्था को अलग करने की कोशिश करता है तो दोनों देशों नुकसान होगा।
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दोनों ही देशों को नुकसान ही झेलना पड़ेगा
चीन ने गुरुवार को भारत को चेतावनी दी है कि वह अपनी इकॉनमी से चीन की अर्थव्यवस्था को अलग करने की कोशिश ना करे। अगर भारत ऐसा करता है तो दोनों ही देशों को नुकसान ही झेलना पड़ेगा। चीनी राजदूत ने कहा है कि चीन भारत के लिए रणनीतिक तौर पर कोई खतरा नहीं है और दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है।
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हमारी Economy एक दूसरे की पूरक है और एक दूसरे पर निर्भर है
चीनी राजदूत सन वेइदॉन्ग ने ट्विटर पर लिखा कि चीन द्वारा ऐसे संबंधों की वकालत की जाती है, जो दोनों ही पक्षों के लिए फायदेमंद हो और जिससे किसी का नुकसान ना हो। उन्होंने कहा कि हमारी Economy एक दूसरे की पूरक है और एक दूसरे पर निर्भर है। इस जानबूझकर कमजोर करना ट्रेंड के विपरीत जाने जैसा है। इससे दोनों ही पक्षों को केवल नुकसान ही होगी।
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न से ज्यादा अदृश्य वायरस खतरा हो सकता है
चीनी राजदूत ने कहा कि चीन भारत के लिए विस्तारवादी या रणनीतिक तौर पर कोई खतरा नहीं है। सदियों से दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण रिश्ते रहे हैं। हम ना कभी आक्रामक रहे हैं और ना ही किसी देश की कीमत पर अपना विकास किया है। उन्होंने कहा कि चीन से ज्यादा अदृश्य वायरस खतरा हो सकता है।
दोस्त रहे देश को विरोधी बताना पूरी तरह से गलत
चीनी राजदूत सन वेइदॉन्ग ने कहा कि भारत और चीन के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लंबे इतिहास को खारिज करना संकीर्ण सोच को दर्शाता है और ये नुकसानदायक भी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुछ अस्थायी मतभेदों और मुश्किलों के चलते सदियों से दोस्त रहे देश को विरोधी और रणनीतिक खतरा बताना पूरी तरह से गलत है।
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दोनों पक्ष सेना पीछे हटाने पर सहमत, लेकिन...
बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारत औ चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि दोनों पक्ष सेना पीछे हटाने को लेकर सहमत हुए हैं लेकिन अभी इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
कमांडर स्तर पर होगी एक और वार्ता
गुरुवार को ऑनलाइन ब्रीफिंग में मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच जल्द ही कमांडर स्तर पर एक और वार्ता होने वाली है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने उम्मीद जताई कि चीनी पक्ष सीमाई इलाकों में शांति और स्थिरता कायम करने और तनाव को कम करने के लिए गंभीरता से काम करेगा।
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