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सेवा का दर्दनाक अंत, खुद को कोरोना हुआ तो अंत समय कोई नहीं था पास

चिकित्साकर्मियों के अभाव से जूझ रहे अस्पताल की इमरजेंसी में 61 वर्षीय माधवी कई जिम्मेदारियां एक साथ निभा रही थीं। मरीज की मेडिकल हिस्ट्री जांचने से लेकर, लक्षणों का पता लगाने के दौरान उन्हें कोरोना ने घेर लिया।

SK Gautam
Published on: 17 April 2020 12:25 PM IST
सेवा का दर्दनाक अंत, खुद को कोरोना हुआ तो अंत समय कोई नहीं था पास
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नई दिल्ली: इस कोरोने ने इतनी भयंकर त्रासदी फैलाई है कि लोगों की संवेदनाएं और जज्बात भी दम तोड़ती नजर आ रही हैं। कुछ इसी तरह की दर्दनाक कहानी है। कोरोना संक्रमितों से पटे पड़े अमेरिका के ब्रुकलीन अस्पताल की इमरजेंसी में दिन-रात काम कर रहीं भारतीय मूल की डॉक्टर माधवी की। उनकी बेटी मिनोली और डॉक्टर माधवी के बीच ये आखरी बात- "आपकी बहुत याद आती है मम्मी! आप प्लीज हार मत मानना। मैं आपको वापस घर देखना चाहती हूं।" उधर से अगले दिन जवाब आया...‘लव यू बेटा! वापस आऊंगी’, लेकिन वह लौटकर नहीं आईं। क्योंकि कोरोना संक्रमितों का इलाज करते-करते डॉक्टर माधवी खुद कोरोना पॉजिटिव हो गईं।

1994 में अमेरिका में बसने से पहले उन्होंने भारत में भी सेवाएं दी थीं

बता दें कि कोरोना संक्रमितों से पटे पड़े अमेरिका के ब्रुकलीन अस्पताल की इमरजेंसी में दिन-रात काम कर रहीं भारतीय मूल की माधवी पिछले माह खुद संक्रमित हो गईं। 1994 में अमेरिका में बसने से पहले उन्होंने भारत में भी सेवाएं दी थीं। फिर वहां जाकर फिजिशियन सहायक के रूप में काम शुरू किया। ब्रुकलिन के जिस सरकारी अस्पताल में वह संक्रमित हुईं, वहां 12 साल तक काम किया।

चिकित्साकर्मियों के अभाव से जूझ रहे अस्पताल की इमरजेंसी में 61 वर्षीय माधवी कई जिम्मेदारियां एक साथ निभा रही थीं। मरीज की मेडिकल हिस्ट्री जांचने से लेकर, लक्षणों का पता लगाने के दौरान उन्हें कोरोना ने घेर लिया। मरीजों को धैर्य बंधाने वाली माधवी जब खुद बेड पर पहुंचीं तो आखिरी पलों में उन्हें सांत्वना देने वाल कोई नहीं था।

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माधवी ने मैसेज किया, ‘मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव निकली है।’ राज यह सुनकर टूट गए

माधवी के पति राज अया जांच के लिए मेडिकल सेंटर ले गए। माधवी अंदर चली गईं वे खुद कार में बैठे रहे। राज ने लिखा, ‘एसएच (स्वीटहार्ट) एक्स-रे हो गया।’ माधवी ने जवाब दिया, ‘आप घर चले जाओ। थोड़े समय में कॉल कर लूंगी।’ लेकिन माधवी को भर्ती कर लिया गया था। माधवी ने मैसेज किया, ‘मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव निकली है।’ राज यह सुनकर टूट गए। माधवी ने कहा, ‘घबराओ नहीं। आप मां का खयाल रखना और मिनोली को कॉलेज से ले आना।’

निमोनिया नहीं, वायरस का संक्रमण हुआ है- सुनकर मैं वहीं जमीन पर गिर गई

अगले दिन मिनोली यह सोचते हुए घर लौटी थी कि मां को निमोनिया हुआ है और जब वह ठीक होकर आएंगी तो, उन्हें सरप्राइज दूंगी। ‘जब घर पहुंचने पर पता लगा कि निमोनिया नहीं, वायरस का संक्रमण हुआ है, तो मैं वहीं जमीन पर गिर गई।

आखिरी पलों में एकदम अकेली रहीं

जिस अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया, वह घर से महज तीन किमी. की दूरी पर ही था, लेकिन आखिरी पलों में एकदम अकेली रहीं। बेटी और पति उन्हें आखिरी बार देख तक नहीं पाए। इसका पूरे परिवार को अफसोस है।

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मैं तहेदिल से आपको बहुत प्यार करती हूं मम्मी

माधवी की मौत से तीन दिन पहले ही मिनोली ने उन्हें बताया था, ‘मम्मी इन दिनों कॉलेज बहुत तनावपूर्ण हो रहा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि मैं घर आ गई हूं। माधवी ने जवाब दिया, ‘बेटा, ध्यान केंद्रित करो।’ बेटी ने कहा, ‘वही कर रही हूं मम्मी, लेकिन आप जल्दी आ जाओ। मैं तहेदिल से आपको बहुत प्यार करती हूं मम्मी।

चंद घंटों बाद वे परिवार से बहुत दूर चली गईं

मां ने लिखा, ‘लव यू बेटा’...बस, यही वो आखिरी शब्द थे जो माधवी ने कहे थे। चंद घंटों बाद वे परिवार से बहुत दूर चली गईं।

वह हमारे लिए खड़ी रहीं, लेकिन हम नहीं...

वह हमेशा हमारे लिए खड़ी रहीं। लेकिन जब खुद बीमार पड़ीं तो हममें से कोई उनके पास नहीं खड़ा था।’ यह कहते-कहते माधवी के पति की आंखें भर आईं। उनके सहकर्मियों का कहना है, ‘माधवी का जाना हमारे लिए एक बड़ा झटका है।

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मां से सुनना चाहती थी, सब ठीक हो जाएगा...

मिनोली कहती हैं, मुझे अब भी भरोसा नहीं हो रहा कि मेरी मां नहीं रहीं। मिनोली वैसे तो खुद डॉक्टर बनना चाहती हैं, लेकिन आज वह उस स्वास्थ्य तंत्र पर बेहद नाराज हैं, जो अपने चिकित्साकर्मियों को ही नहीं बचा सकता। अपनी मां के घर न लौट पाने का गम मिनोली को बहुत परेशान किए हुए है। वह कहती है, ‘मैं एक बार मेरी मां को गले लगकर उनसे सुनना चाहती थी कि सब ठीक हो जाएगा।’

शुरुआत में सरकारी ढिलाई से हुईं संक्रमित

एक सहकर्मी ने बताया कि मरीजों का ध्यान रखने के दौरान माधवी जब संक्रमित हुईं, तब तक कर्मियों को सुरक्षा उपकरण पहनने के निर्देश नहीं मिले थे। जब सक्रमितों की बाढ़ आने लगी और बिना लक्षण वाले लोग भी पॉजिटिव पाए जाने लगे, तब अस्पतालों को लगा कि बड़ी तादाद में मरीजों से घिरने पर स्टाफ भी संक्रमित हो सकता है।

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घर माधवी की कमाई से ही चल रहा था

राज को मिनोली की यह हालत देखकर चिंता सताने लगी है। उन्होंने इस बारे में डॉक्टरों से भी परामर्श लिया है। लेकिन अब परिवार के सामने आर्थिक तंगी भी बड़ी दिक्कत है क्योंकि घर माधवी की कमाई से ही चल रहा था।



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