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चीन की बढ़ी मुश्किलें: अब होगा बुरा हाल, नई स्टडी में मामलों का सही आंकड़ा
चीन ने पिछले हफ्ते वुहान में हुई मौतों का आंकड़ा बढ़ाते हुए था कि हॉस्पिटल्स में जल्दीबाजी या फिर अन्य कारणों से इन मौतों का रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया जा सका।
नई दिल्ली: चीन द्वारा वुहान में कोरोना वायरस के चलते मरने वालों की संख्या में अचानक 50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने के बाद से पूरी दुनिया का उसके आधिकारिक आंकड़ों पर शक गहराता जा रहा है। चीन ने पिछले हफ्ते वुहान में हुई मौतों का आंकड़ा बढ़ाया था। चीन का कहना था कि हॉस्पिटल्स में जल्दीबाजी या फिर अन्य कारणों से इन मौतों का रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया जा सका।
चीन में 2 लाख 32 हजार के पार जा सकती है मामलों की संख्या
वहीं अब हॉन्ग कॉन्ग के शोधकर्ताओं द्वारा एक स्टड़ी में कहा गया है कि चीन में पहले चरण में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 2 लाख 32 हजार से ज्यादा जा सकती है। ये चीन द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़े से 4 गुना से भी ज्यादा है।
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20 फरवरी तक कोरोना के 55 हजार मामले ही हुए दर्ज
चीन ने 20 फरवरी तक कोरोना वायरस के मामलों का आंकड़ा 55 हजार बताया था, लेकिन हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर चीन में शुरुआत से ही अभी लागू किए गए संक्रमण की परिभाषा को लागू किया होता तो कोरोना संक्रमण का आधिकारिक आंकड़ा काफी ज्यादा ज्यादा हो सकता था।
बता दें कि चीन में कोरोना वायरस के कुल मामले 83 हजार से ज्यादा हैं। जबकि दुनिया में कोरोना का मामला 26 लाख से ज्यादा पहुंच चुका है और पूरी दुनिया में मरने वालों का आंकड़ा करीब 2 लाख तक पहुंचने वाला है। दुनियाभर के तमाम देशों में कोरोना के कुल मामले चीन से काफी ज्यादा हो चुके हैं और अब भी मौतों का सिलसिला जारी है।
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चीन संक्रमण को लेकर बदलता रहा है परिभाषा
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने 15 जनवरी से लेकर 3 मार्च के बीच कोरोना संक्रमण की कई परिभाषाएं चेंज कीं। स्टडी में कहा गया है कि संक्रमण की परिभाषा बार बार बदलने की वजह से वास्तविक और आधिकारिक मामलों में बड़ा अंतर आया।
आंकड़ों के बीच 2.8 से 7.1 गुना का फासला
इस स्टडी में 20 फरवरी तक के उन आंकड़ों को भी शामिल किया गया है, जो वुहान में विश्व स्वास्थ्य संगठन मिशन की ओर से जारी किए गए थे। स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि शुरुआत में चीन के बदलावों की वजह से संक्रमण के वास्तविक मामलों और आधिकारिक आंकड़ों के बीच 2.8 से 7.1 गुना तक फासला बढ़ गया है।
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चीन को शुरुआत से ही लागू करना चाहिए थी 5वीं परिभाषा
स्टडी में यह भी कहा गया है कि चीनी सरकार ने संक्रमण की जो 5वीं परिभाषा दी, अगर उसे शुरुआत से ही लागू किया जाता तो 20 फरवरी तक वहां पर 2 लाख 32 हजार केस हो जाते। जो चीन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों (55 हजार 508) के करीब चार गुना ज्यादा है। अब चीन में हल्के लक्षणों वाले संक्रमणों के मामलों को भी आंकड़ों में शामिल किया जा रहा है, जबकि पहले वहां ऐसा नहीं किया जाता था।
चीन में नहीं की जाती थी ऐसे मामलों की गिनती
चीन के आंकड़ों पर इसलिए भी शक किया जाता रहा क्योंकि वहां शुरुआत में ऐसे मामलों की गिनती नहीं की जा रही थी, जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं नजर आ रहे थे। यानि अगर किसी में कोरोना के लक्षण नहीं देखे गए लेकिन वह टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो चीन में उसे कंफर्म केस में शामिल नहीं किया जाता था। हालांकि दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों में टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए मरीजों को आकंड़ों में शामिल किया जाता है।
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बता दें कि भारत के साथ-साथ दुनिया के तमाम देशों में कोरोना वायरस के 50 फीसदी मामलों में कोई लक्षण नहीं देखे गए। इस महीने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन में कोरोने के एक-तिहाई मामलों में लोगों में या तो देरी से लक्षण पाए गए या फिर उनमें लक्षण देखे ही नहीं गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में कोरोना संक्रमण की दूसरी फेज में बिना लक्षण वाले मामले ही ज्यादा हैं।
चीन के आंकड़ों पर हमेशा से ही शक
गौरतलब है कि चीन हमेशा से ही अपने आंकड़ों को लेकर शक के घेरे में रहा है। बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि चीन कोरोना वायरस की महामारी के बारे में समय पर खबर देने में असफल रही। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने तो महामारी को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय जांच की भी मांग की है।
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