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अब क्या करेगा पाक: भारत से दुश्मनी मोड़ना खुद ही पड़ा भारी, जानिए पूरा मामला
पाकिस्तान को भारत से दुश्मनी मोड़ लेना उसी को भारी पड़ रहा है। अगस्त 2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान ने भारत से सभी तरह के व्यापार पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन अब उसको ऐसा करने के बाद पाकिस्तान खुद ही तमाम मुश्किलों में फंस गया है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान को भारत से दुश्मनी मोड़ लेना उसी को भारी पड़ रहा है। अगस्त 2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान ने भारत से सभी तरह के व्यापार पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन अब उसको ऐसा करने के बाद पाकिस्तान खुद ही तमाम मुश्किलों में फंस गया है। कोरोना वायरस की महामारी के दौर में पाकिस्तानी दवा कंपनियों ने पाकिस्तान सरकार को भारत से आयात बैन करने को लेकर आगाह किया है।
दवाओं के आयात को लेकर मचा हंगामा
दरअसल, बीते कुछ समय से पाकिस्तान में भारत से दवाओं के आयात को लेकर काफी हंगामा मचा हुआ है। हालांकि भारत से व्यापार पर पूरी तरह से पाबंदी लगाए जाने के कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान सरकार ने दवाओं के आयात पर छूट दे दी। हालांकि पाकिस्तान की तरफ से भारत से जीवनरक्षक दवाओं की आड़ में विटामिन्स से लेकर सरसों का तेल तक मंगाया जाने लगा।
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पाकिस्तान सरकार ने दिए जांच के आदेश
जब जनता के सामने ये बात आई तो पाकिस्तान सरकार पर सवाल खड़े किए जाने लगे। विवाद को बढ़ता देख पाकिस्तान की इमरान सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। सरकार की संभावित कार्रवाई से फार्मा इंडस्ट्री में खलबली मची हुई है।
आयात पर बैन लगाना उचित नहीं
वहीं पाकिस्तान की फार्मा मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ने सरकार को चेताते हुए कहा कि भारत के कच्चे माल पर भारी निर्भरता को देखते हुए इसके आयात पर बैन लगाना उचित नहीं है। एसोसिएशन का कहना है कि अगर बैन लगाया जाता है तो दवाओं के उत्पादन में 50 प्रतिशत तक घाटा झेलना पड़ेगा। इससे ना केवल देश में दवाओं की कमी आएगी, बल्कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई भी कमजोर पड़ जाएगी।
फार्मा एसोसिएशन के वाइस चेयरमैन सैय्यद फारूक बुखारी का कहना है कि देश में बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय कैबिनेट को भारत या किसी भी अन्य देश से दवाओं और आवश्यक कच्चे माल के आयात पर बैन नहीं लगाना चाहिए।
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दवाओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जानी आवश्यक
उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने के लिए जब सरकारों की तरफ से ज्यादा से ज्यादा क्वारंटीन सेंटर्स, आइसोलेशन फैसिलिटी और हॉस्पिटल्स बनाए जा रहे हैं तो ऐसे समय में कोरोना मरीजों के लिए आवश्यक दवाओं की आपूर्ति भी सुनिश्चित की जानी आवश्यक है।
कच्चे माल की आपूर्ति जारी रखना आवश्यक
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए पाकिस्तान की फार्मा इंडस्ट्री को पूरी क्षमता लगाकर दवाओं का उत्पादन करना होगा। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट से कच्चे माल की आपूर्ति जारी रखा जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस सप्लाई चेन में किसी भी तरह की बाधा आई तो इससे पाकिस्तान में कोरोना वायरस के इलाज पर बेहद बुरा असर पड़ेगा।
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विपक्षी दल हुआ हमलावर
वहीं विपक्षी दल प्रधानमंत्री इमरान खान पर इस मामले को लेकर हमलावर हैं। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के सेक्रेटरी जनरल नैय्यर हुसैन बुखारी ने कहा कि भारत से व्यापार पर पाबंदी लगाए जाने के बाद भी अरबों रुपये की दवाइयों के आयात कराने की संसदीय समिति द्वारा जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके पीछे कौन जिम्मेदार हैं, इसका पता लगाया जाना चाहिए।
वहीं पाकिस्तान की मुस्लिम लीग-एन के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने कहा कि अगर उनकी सरकार के दौरान ऐसा कुछ हुआ होता तो इमरान खान ने उनकी सरकार के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा कर दिया होता।
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