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चीन की Dirty politics: ग्लोबल टाइम्स ने धमकी भरे लेख छापे, कही ये बातें
चीन ने कहा कि भारत के लिए एलएसी पर ऊंचाई पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती करना काफी खर्चीला होगा। हर दिन हथियारों और सामान की आपूर्ति से भारत की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ेगा। सर्दी आने पर सेना की तैनाती का खर्च और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।
नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच तनाव अभी थमने का नाम नहीं ले रहा। लद्दाख में मात खाने के बाद चीन अब दुनिया में शांति की बात कर रहा है। भारतीय सीमा में बार-बार घुसपैठ की कोशिश करने वाले चीन ने संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के सामने शांति का राग अलापा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने संयुक्त राष्ट्र में भी सफेद झूठ बोला है। उधर दूसरी तरफ सीमा विवाद पर चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख छापा है। लेख में चीन ने कहा है कि अगर भारत ने चीन के साथ संघर्ष जारी रखा तो उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अब भारत के दिमाग से खेल रहा चीन
चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में छपा है कि भारत के लिए एलएसी पर ऊंचाई पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती करना काफी खर्चीला होगा। हर दिन हथियारों और सामान की आपूर्ति से भारत की आर्थिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ेगा। सर्दी आने पर सेना की तैनाती का खर्च और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने दावा किया है कि सेना कड़ी सर्दी के लिए भी तैयार है। अखबार ने लिखा है कि सैन्य आपूर्ति की भारी-भरकम लागत को देखते हुए इस तरह का आक्रामक रुख दिखाना बेकार है।
युद्ध का खर्च भारत सहन नहीं कर पायेगा- चीन
चीन के साथ संघर्ष ना केवल भारत के विदेशी सहयोग को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि औद्योगिक आपूर्ति चेन को भी प्रभावित करेगा। इससे भारतीय बाजार में भरोसा कमजोर होगा और निवेश-व्यापार दूर होता चला जाएगा। भारत को युद्ध की मंडराती छाया के आर्थिक असर का आकलन करना होगा क्योंकि सर्दी में एलएसी पर सेना की तैनाती का खर्च उसकी पस्त अर्थव्यवस्था वहन नहीं कर पाएगी।
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त बहुत ज्यादा दबाव में-चीन
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त बहुत ज्यादा दबाव में हैं क्योंकि इस वित्तीय वर्ष में जीडीपी में रिकॉर्ड 10 फीसदी की गिरावट आने की आशंका है। भारत और दुनिया भर के तमाम अर्थशास्त्रियों ने ये अनुमान लगाया है। लाखों भारतीय नौकरी गंवाने और काम ना मिलने की वजह से गरीबी के अंधेरे में डूबने वाले हैं।
मोदी की 2024 में तीसरे कार्यकाल की उम्मीद धुंधली-ग्लोबल टाइम्स
अखबार ने लिखा है, मोदी की 2024 में तीसरे कार्यकाल की उम्मीद धुंधली पड़ती जा रही है क्योंकि तमाम भारतीय कारोबार और नौकरियां स्थायी रूप से खत्म हो रही हैं। इसके साथ ही, कोरोना वायरस की महामारी भी रिकवरी की जल्द उम्मीद को धूमिल कर रही है। अखबार ने लिखा है, भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू खपत और निर्यात पर बुरी तरह निर्भर है। कोरोना महामारी की वजह से ज्यादातर भारतीयों की आमदनी कम हो गई है और कई लोगों की नौकरियां जा रही हैं, ऐसे में उनकी क्रय क्षमता भी कम हो गई है। विदेश में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की मांग में भी गिरावट देखने को मिली है।
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अलीबाबा ग्रुप ने पहले ही भारत में सारे निवेश रोक दिए हैं-चीन
ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा है कि चीजों को और जटिल बनाते हुए भारत ने मूर्खतापूर्ण तरीके से चीन के साथ सीमा विवाद खड़ा कर लिया है। अखबार ने आरोप लगाया कि भारतीय सैनिक एलएसी पार कर चीन के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। आर्टिकल में कहा गया है, भारत के गलत बर्ताव की वजह से पहले से ही खराब द्विपक्षीय संबंध और नाजुक हो गए हैं। इससे भारत से चीनी निवेश खत्म होता जाएगा। अलीबाबा ग्रुप ने पहले ही भारत में सारे निवेश रोक दिए हैं। कहा जा रहा है कि और भी कई चीनी कंपनियां इसी रास्ते पर आगे बढ़ेंगी और भारत में अपना कारोबार समेटेंगी।
भारत चीन के साथ अपने संबंध खराब कर रहा है-ग्लोबल टाइम्स
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, 15 जून को हुए सीमा संघर्ष के बाद मोदी सरकार ने 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगा दिया था। भारत के इस तरह के कदमों से आर्थिक सहयोग को नुकसान पहुंचा है। कोरोना वायरस से निपटने में नाकाम रहा भारत चीन के साथ अपने संबंध खराब कर रहा है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को एक और झटका लगेगा। सीमा विवाद की वजह से भारतीय वस्तुओं के लिए चीन का बड़ा बाजार बंद हो जाएगा।
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चीन की अर्थव्यवस्था भारत से पांच गुना बड़ी है-ग्लोबल टाइम्स
ग्लोबल टाइम्स ने चीन की आर्थिक ताकत का जमकर बखान किया है। उसने लिखा है, भू-आर्थिक नजरिए से देखा जाए तो ये भारत की मूर्खता है कि वो चीन के साथ अच्छे संबंध नहीं बना रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था भारत से पांच गुना बड़ी है और तेजी से उभर रही है। चीन का पड़ोसी देश होने के नाते भारत का एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ ना खड़े होना बेवकूफी ही है। आने वाले वक्त में चीन के साथ खराब संबंध उसके लिए सबसे नुकसानदेह साबित होंगे क्योंकि भारत एक ताकतवर और विशाल पड़ोसी देश से भाग नहीं सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ती जा रही है
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, कुछ साल पहले 1.3 अरब की आबादी वाले भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से उभर रही थी और आर्थिक वृद्धि दर सात फीसदी या उससे ज्यादा थी। लेकिन साल 2017 से भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ती जा रही है। पिछले साल, अगस्त महीने में कार की बिक्री में 33 फीसदी की गिरावट आई जो पिछले दो दशकों की सबसे बड़ी गिरावट थी।
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भारत सरकार कर्ज में डूब गयी हैं
भारत सरकार जरूरत से ज्यादा कर्ज ले रही है। अगर भारत में कोरोना वायरस की महामारी नियंत्रित नहीं होती है और स्वास्थ्य संकट 2021 तक बना रहता है तो आर्थिक मंदी आने की भी आशंका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने गंभीर चुनौतियां हैं, ऐसे में चीन के साथ संघर्ष उन्हें भारी पड़ सकता है।