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नहीं मान रहा नेपाल: अब चिट्ठी पर दिया ये जवाब, जानिए क्या है मामला

भारत ने इस महीने नेपाल को एक पत्र लिखकर कहा कि वो अपने नागरिकों को भारतीय क्षेत्र में अवैध तरीके से घुसने से रोकें। अब इस पत्र का नेपाल ने पलटकर जवाब दिया है।

Shreya
Published on: 30 July 2020 6:13 AM GMT
नहीं मान रहा नेपाल: अब चिट्ठी पर दिया ये जवाब, जानिए क्या है मामला
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Nepal PM KP Oli

नई दिल्ली: भारत ने इस महीने नेपाल को एक पत्र लिखकर कहा कि वो अपने नागरिकों को भारतीय क्षेत्र में अवैध तरीके से घुसने से रोकें। इस पत्र में कहा गया है कि धारचूला जिला प्रशासन को खबर मिली है कि गुंज, कालापानी और लिम्पियाधुरा में नेपाली चोरी-छिपे घुस रहे हैं। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ प्रशासन की ओर से ये पत्र लिखा गया था। अब इस पत्र का नेपाल ने पलटकर जवाब दिया है।

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नेपाली भू-भाग में नेपालियों की आवाजाही स्वाभाविक

नेपाल के दार्चुला जिला अधिकारी टेक सिंह कुंवर ने धारचूला के उप-जिलाधिकारी के इस पत्र का जवाब देते हुए लिखा कि 1818 में नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच सुगौली संधि हुई थी। जिसके तहत महाकाली नदी के पूर्व का हिस्सा लिम्पियाधुरा, कुटि, कालापानी, गुंजी और लिपुलेख नेपाल के भू-भाग में आते हैं। चूंकि ये क्षेत्र नेपाली भू-भाग हैं, ऐसे में नेपालियों की आवाजाही स्वाभाविक है।

पूर्व उप-प्रधानमंत्री कमल थापा ने की जवाब की सराहना

नेपाल के पूर्व उप-प्रधानमंत्री कमल थापा ने इस पत्र को अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है और भारत को दिए जवाब की सराहना की है। कमल थापा ने पत्र को शेयर करते हुए ट्वीट में लिखा, शाबाश! वहीं नेपाल द्वारा भारत को दिए गए जवाब को लेकर तमाम नेपाली नागरिक भी खुशी जता रहे हैं।

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धारचूला के एसडीएम ने पत्र लिख की थी ये अपील

दरअसल, धारचूला के एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने एक पत्र लिखकर नेपाल के जिला प्रशासन से अपील की थी कि वे नेपालियों को भारतीय क्षेत्र में अवैध तरीके से घुसने से रोकें। पत्र में कहा गया कि धारचूला जिला प्रशासन को खबर मिली है कि गुंज, कालापानी और लिम्पियाधुरा में नेपाली चोरी-छिपे घुस रहे हैं।

जिसके चलते दोनों देशों के प्रशासन को तकलीफ हो रही है इसलिए आपसे अनुरोध है कि अगर आपको इस तरह की कोई भी जानकारी मिलती है तो हमें तुरंत सूचना दें।

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नेपाली मीडिया में इस पक्ष को लेकर कुछ ज्यादा ही शोर मचा

इस पत्र के सामने आने के बाद से नेपाल में बहस शुरू हो गई। नेपाल के इन तीनों इलाकों में दावे को लेकर भी सवाल उठने लगे। इसको लेकर वहां की मीडिया ने कवरपेज स्टोरी भी पब्लिश की है। नेपाली मीडिया में इसे लेकर कुछ ज्यादा ही शोर मचा। नेपाल के प्रमुख अखबार नया पत्रिका ने अपने पहले पृष्ठ पर इस पर कवर स्टोरी छापी और शीर्षक दिया- ‘भारत का आपत्तिजनक पत्र: नेपाली कालापानी और लिम्पियाधुरा में चोरी-छिपे घुस रहे।

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नेपाल ने भारतीय क्षेत्र को किया नक्शे में शामिल

बता दें कि भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद बढ़ा है। भारत ने आठ मई को लिपुलेख गुजरने वाले कैलाश मानसरोवर रोडलिंक का उद्घाटन किया था, जिसका नेपाल ने ऐतराज किया था। वहीं इसके बाद नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नए नक्शे में शामिल कर लिया। इस नए नक्शे के बाद भारत और नेपाल के बीच तनाव और बढ़ा है।

भारत और नेपाल के बीच गहराया विवाद

वहीं इस नक्शे के जारी करने के बाद नेपाल द्वारा आक्रामक रुख अपनाया जाता रहा है, जिससे विवाद और गहराता गया है। वहीं नेपाल के एक अधिकारी द्वारा कहा गया था कि भारत ने जिन इलाकों का जिक्र किया है वे बेशक नेपाल की जमीन है। नेपाली अपनी जमीन पर आजादी से घूम सकते हैं और उन्हें कोई रोक नहीं सकता है।

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