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कश्मीरी पंडितों पर बड़ा फैसला, अब मिलेगा हक, संसद में पेश हुआ प्रस्ताव
संसद में कश्मीरी पंडितों को लेकर सोमवार को एक प्रस्ताव पेश किया गया है। इस प्रस्ताव को ब्रिटेन की सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने पेश किया है।
नई दिल्ली: ब्रिटेन की संसद में कश्मीरी पंडितों को लेकर सोमवार को एक प्रस्ताव पेश किया गया है। इस प्रस्ताव को ब्रिटेन की सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने पेश किया है, जिसे डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी के सांसद जिम शैनॉन और लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने समर्थन दिया है। ब्लैकमैन ने 30 साल पहले कश्मीर से पलायन करने के लिए मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों से संवेदना जताने के लिए ये प्रस्ताव संसद में पेश किया है।
कश्मीरी पंडितों के प्रति जताई गई सहानुभूति
1989-90 में इस्लामिक जिहाद का शिकार बने कश्मीरी पंडितों के परिवारों के प्रति 'अर्ली डे मोशन' (ईडीएम) में सहानुभूति जताई गई है। साथ ही ईडीएम में मांग की गई है कि कश्मीरी पंडितों के पलायन को 'नरसंहार' की श्रेणी में रखा जाए। इसके अलावा भारत सरकार से नरसंहार को लेकर अलग से कानून बनाने और संयुक्त राष्ट्र में नरसंहार अपराध रोकने के लिए हुए समझौते का हस्ताक्षरकर्ता होने के नाते अंतरराष्ट्रीय दायित्व निभाने की अपील की गई है।
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पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों को आज भी न्याय का इंतजार (फोटो- सोशल मीडिया)
पलायन करने वाले कश्मीरी पंडितों को आज भी न्याय का इंतजार
बॉब ब्लैकमैन ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि 30 साल पहले कश्मीर से पलायन को मजबूर हुए कश्मीरी पंडित आज भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं। मैं करीब तीन दशकों से हिंदुओं के साथ हुए जुल्म को लेकर आवाज उठाता रहा हूं और उनके अधिकारों के लिए कैंपेन भी चलाया है। उन्होंने कहा कि भारत में नरसंहार अपराध से संबंधित कोई कानून नहीं है, इसलिए न्याय में देरी हुई और दोषियों को तीन दशक बाद भी सजा नहीं मिल पाई है।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में नरसंहार अपराधों की सजा तय करने के लिए अलग से कानून बनाए गए हैं, क्योंकि उसने अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। बॉब ब्लैकमैन ने उम्मीद जताई कि भारत सरकार भी अपने नागरिकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगी।
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भारत ने भी किये थे कन्वेंशन पर हस्ताक्षर (फोटो- सोशल मीडिया)
भारत ने भी किये थे कन्वेंशन पर हस्ताक्षर
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, नरसंहार अपराधों को रोकना और इसके दोषियों को सजा देना हर देश की जिम्मेदारी है। जेनोसाइड कन्वेंशन, 1948 के तहत जंग के दौरान भी ऐसे अपराध को अंजाम देना दंडनीय है, फिर उसे किसी शीर्ष अधिकारी ने ही क्यों ना अंजाम दिया हो। भारत ने भी इस कन्वेंशन पर 1959 में हस्ताक्षर किए थे लेकिन अब तक इसे लेकर अलग से कानून नहीं बनाया है। कुछ लोगों का मानना है कि भारत में ऐसे अपराधों से निपटने के लिए पहले से ही कानून मौजूद है, इसलिए नरसंहार को लेकर अलग से कानून की जरुरत नहीं है।
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कश्मीरी पंडितों के न्याय के लिए आवाज उठाएं
वहीं ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने भारत सरकार से नरसंहार कानून को लेकर अपना रुख बदलने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में मौजूद भारतीय समुदाय को भी अपने स्थानीय सांसदों के माध्यम से कश्मीरी पंडितों के न्याय के लिए आवाज उठानी चाहिए। इससे कश्मीरी पंडितों से संवेदना जताने के लिए लाए गए इस प्रस्ताव को और समर्थन मिलेगा। बता दें कि ब्लैकमैन कश्मीर को लेकर काफी मुखर रहे हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद भी भारत का समर्थन किया था।
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