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अमेरिकी सेना ने ईरान को ऐसे घेरा, खाड़ी में हथियारों से लैस 100 मिलिट्री बेस तैयार
अमेरिका ने इराक में ईरानी जनरल सोलोमानी को मार गिराया जिसके बाद ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इस बीच ईरान ने दावा किया है कि उसने अपने सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी को मारने का बदला पूरा कर लिया है।
नई दिल्ली: अमेरिका ने इराक में ईरानी जनरल सोलोमानी को मार गिराया जिसके बाद ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इस बीच ईरान ने दावा किया है कि उसने अपने सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी को मारने का बदला पूरा कर लिया है। ईरान ने कहा कि उसने अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हवाई हमला किया जिसमें 80 अमेरिकी सैनिक मारे गए।
दुनिया इस बात से डर है कि कहीं इस हमले की प्रतिक्रिया में अमेरिका ईरान पर हमला न कर दे। कहा जा है कि अमेरिका के सामने ईरान की सैन्य क्षमता बेहद कमजोर है, लेकिन युद्ध हुआ तो खाड़ी देशों की हालत एक बार फिर खराब हो जाएगी।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक इस समय खाड़ी देशों में अमेरिका 1.20 लाख जवान भेजने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका ने अभी 3500 सैनिकों को खाड़ी की तरफ रवाना किया है।बता दें कि अमेरिका के सैन्य बेस पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।
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पूरी दुनिया में अमेरिका के 800 सैन्य बेस हैं। इन सभी बेस से अमेरिका पूरी दुनिया की रक्षा रणनीति तय करता है और जरुरत पड़ने पर हमला करता है या निगरानी या जासूसी करता है।
अगर खाड़ी देशों को ही बात की जाए तो सभी खाड़ी देशों में अमेरिका के 100 से ज्यादा मिलिट्री बेस हैं और वह इन्हीं के सहारे वह खाड़ी देशों पर रणनीतिक नियंत्रण करता है। इन मिलिट्री बेसों पर करीब 70 हजार जवान तैनात हैं। अमेरिका के मिलिट्री बेस बहरीन, इराक, जॉर्डन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, सीरिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, अफगानिस्तान में हैं।
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बहरीन में अमेरिका के 7 हजार जवान तैनात हैं, इनमें से अधिकतर नौसेना के हैं। यह फारस की खाड़ी में शेख ईसा एयर बेस और खलीफा इब्न सलमान पोर्ट पर तैनात हैं। इराक में 5200 अमेरिकी जवान तैनात हैं। इन्हें आतंकी संगठन आईएसआईएस के खिलाफ लड़ने के लिए तैनात किया गया है।
जॉर्डन में तैनात 2795 अमेरिकी जवान आईएसआईएस के खात्मे के लिए हैं। इसके साथ ही इनका मकसद है कि क्षेत्रीय स्थिरता कायम की जाए। कुवैत में 1300 अमेरिकी जवान अग्रिम सैन्य हेडक्वॉटर्स में हैं। ओमान में 1980 से ही 200 अमेरिकी जवान तैनात हैं। इस समय ये जवान आईएसआईएस से लड़ने के लिए साल्लाह व ड्यूक पोर्ट पर तैनात हैं।
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कतर अमेरिका में प्रमुख सहयोगी देश है। यहां अमेरिका के करीब 13 हजार जवान तैनात हैं। ये सभी जवान अल उदीद एयर बेस और सायलीह कैंप में हैं। सऊदी अरब में पिछले साल 19 नवंबर को अमेरिका ने 3000 जवान भेजे थे।
अमेरिका की सेंट्रल कमांड ने सीरिया में मौजूद सैनिकों की जानकारी सुरक्षा कारणों से जारी नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2000 जवान तैनात हैं। तुर्की में भी अमेरिकी सैनिकों की संख्या स्पष्ट नहीं है लेकिन ये इजमिर व इनरलिक एयरबेस पर तैनात हैं।
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अमेरिका ने यूएई में स्ट्रेट ऑफ हॉर्मूज के पास 5000 जवान तैनात किए हैं। अमेरिका ने अफगानिस्तान में 14000 जवान तैनात किए हैं। इसके अलावा 8 हजार नाटो जवान भी हैं।
मुख्य हथियार जिससे लैस है अमेरिका
इन हथियारों से लैस हें अमेरिकी सैनिक
एसी130 एच स्पेक्ट्रे गनशिप अमेरिका का हाईटैक हथियार है। 40 एमएम, 105 एमएम और 25 एएम तोप आर्म्स वाली खतरनक वॉरशिप है। इसमें भारी मात्रा में बारूद और सशस्त्र भरे रहते हैं।
जीबीयू-28 लेजर गाइडेड बंकर बस्टर
इसकी रेंज इतनी है कि ये प्लेन से पांच मील की दूरी पर निशाना लगा सकता है। ये कंक्रीट जमीन के 20 फीट तक के अंदर घुस सकता है। विस्फोटक क्षमता की बात की जाए तो 630 एलीबीज हाई एक्सप्लोसिव है। यह बंकर नष्ट करने वाला एक बड़ा हथियार है।
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MQ-9 रीपर ड्रोन
यह बेहद उन्नत किस्म का टोही और लक्ष्यभेदी ड्रोन है। इस ड्रोन की खास बात यह है कि यह जासूसी में जितना माहिर है, उतना ही खतरनाक हवाई हमले करने में भी है। दरअसल अमेरिका ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को मारने के लिए इसी ड्रोन का इस्तेमाल किया है। इससे पहले भी दुश्मनों को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर चुका है। अमेरिकी वायुसेना 2007 से इसका इस्तेमाल कर रही है। यह जासूसी करने में भी मदद करता है।
यह ड्रोन 230 मील (368 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है। MQ-9 रीपर अधिकतम 50 हजार फीट तक की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। इसमें एक बार में 2,200 लीटर फ्यूल भरा जा सकता है जिससे यह 1,150 मील यानी 1,851 किलो मीटर तक की दूरी तय कर लेता है।
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M1 अब्रास्क टैंक
इस टैंक की स्पीड 25 से 35 मील प्रति घंटा होती है और इसकी वजह 67 टन होती है। इसकी रेंज भी 250 मील तक होती है।
बोइंग F-22 रेप्टर
स हथियार को लाॅकहीड मार्टिन भी कहा जाता है। इसका वजन 32 टन है।