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कहां से आया कोरोना वायरस, अब भारत ने भी शुरू की जांच, चीन की बढ़ेंगी मुश्किलें
दुनियाभर में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस ने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को भी सकते में डाल दिया है। इस भयावह वायरस से अब तक दुनियाभर में दो लाख से अधिक लोगों की मौत
नई दिल्ली: दुनियाभर में तबाही मचा रहे कोरोना वायरस ने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को भी सकते में डाल दिया है। इस भयावह वायरस से अब तक दुनियाभर में दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस जानलेवा वायरस पर काबू पाने के लिए दुनिया के तमाम देश समेत भारत भी कोशिश में जुटा हुआ है। लेकिन अभी तक इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।
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कुछ लोगों का कहना है कि इस वायरस की उत्पत्ति चीन के लैब से किसी प्रयोग के दौरान हुई है। वहीं कुछ का मानना है कि इसकी उत्पत्ति प्राकृतिक है यानी चमगादड़ के सेवन से ये वायरस मनुष्य के अंदर प्रवेश कर गया। लेकिन वास्तव में इसकी उत्पत्ति को लेकर संशय बना हुआ है। इस वायरस के फैलने पर विशेषज्ञ विचार कर रहे हैं।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक कहा गया है कि अभी इस पर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। इस मामले में वैश्विक सहमति जरूरी है। वायरस के कथित तौर पर लैबोरेटरी से फैलने पर कुछ इंटरनैशनल स्टडीज और रिपोर्ट्स को 'नैशनल सिक्यॉरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट' देख रहा है। इसके साथ ही इसका स्वतंत्र वैज्ञानिक आकलन भी किया जा रहा है। इस पर विशेषज्ञों ने कहा कि यह काम आसान नहीं है। वायरस की शुरुआत और इसके प्रभाव दोनों को समझने की कोशिश की जा रही है। देश में कुछ अकादमिक संस्थानों ने भी इस विषय पर स्टडी की है।
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चीन के खिलाफ केस की निगरानी
सूत्रों के मुताबिक चीन के खिलाफ चल रहे कानूनी मामलों पर भी नजर रखी जा रही है, जिसमें विशेषतौर पर अमेरिका में दायर किए गए कुछ कानूनी मामले शामिल हैं। अमेरिका में चीन के खिलाफ दायर एक याचिका में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के डायरेक्टर शी जेंगली पर आरोप लगाया गया है। जेंगली ने पिछले वर्ष अक्टूबर में अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया था जिसमें पूर्वोत्तर भारत में जानवर से मानव में वायरस के फैलने की बात कही गयी थी।
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विशेषज्ञों के अलग-अलग दावे
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर तमाम विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है। फ्रांस के नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ल्यूक मोंटेगनिअर का दावा है कि यह एक लैबोरेटरी से आया है। बहुत से अन्य वैज्ञानिक ऐसा नहीं मानते। ल्यूक का कहना है कि एड्स के इलाज की खोज के दौरान लैबोरेटरी से यह वायरस फैला है। अगर वायरस चीन के प्रयोगशाला से फैलने की पुष्टि हो जाती है तो इससे चीन के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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