हरे रंग की चूड़ी का सावन से कनेक्शन ऐसा, झटपट पहनना चाहेंगी आप भी चूड़ियां

सावन का महीना शुरू हो चुका है जिसमें कई सारे तीज और त्योहार पड़ने वाले हैं। इस महीने का पूरे साल में काफी खास महत्व होता है ये महीना भगवान शिव का भी माना जाता है, कहा जाता है सावन के महीने में भगवान शिव धरती पर आते हैं और भक्तों के साथ रहते हैं।

Update: 2020-07-12 16:44 GMT

लखनऊ: सावन का महीना शुरू हो चुका है जिसमें कई सारे तीज और त्योहार पड़ने वाले हैं। इस महीने का पूरे साल में काफी खास महत्व होता है ये महीना भगवान शिव का भी माना जाता है, कहा जाता है सावन के महीने में भगवान शिव धरती पर आते हैं और भक्तों के साथ रहते हैं।

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*कावड़ियों के साथ भगवान शिव भी होते हैं और कहा जाता है उनके साथ भगवान शिव भी झूम कर चलते हैं। इसके अलावा सावन में कई चीज़ों का महत्व होता है जैसे झूले का और महिलाओं के लिए तीज और व्रत का।इस महीने में महिलाएं हरी कांच की चूड़ियां पहनती हैं।

*हाथों में भरी हरी-हरी चूड़ियां, और उसकी खनक भला किसका मन ना मोह लें। सौभाग्य की प्रतीक चूड़ियों का दौर कभी भी कम नहीं होता है। महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से एक है हाथों में पहनने वाली चूड़ियां। जानते हैं कि सावन में ही हरी चूड़ियां क्यों पहनी जाती है और इसके पीछे का क्या कारण है।

*कहा जाता है सावन के महीने में हर जगह हरियाली होती है और हरा रंग प्राकृतिक रंग भी होता है जो महिलाओं के लिए खास होता है

 

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* कहा जाता है हरी चूड़ियां महिला के सुहाग का प्रतीक है। वहीं इस महीने में भगवान शिव को पूजा जाता है इसलिए महिलाएं हरे रंग की चूडि़यां पहनती हैं जिससे उन्‍हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिले। भगवान शिव प्रकृति के बीच रहते हैं और उन्हें हरे रंग का बिल्व और धतूरा भी चढ़ाया जाता है जिससे भगवान शिव खुश होते हैं इसलिए सावन में अधिकतर महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं।

हर धर्म में जरूरी है चूड़ी

हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं को चूड़ियां पहनना जरुरी होता है और ज्यादतर महिलाएं सोने से बने कंगनों के साथ कांच की चूड़ियां पहनती है। वहीं मुस्लिम महिलाओं के लिए शादी के बाद और पहले दोनों समय चूड़ी पहनना जरूरी होता है कहा जाता है कि खाली हाथ किसी को पानी देना गलत होता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार महिला के चूड़ी पहनने का संबंध उसके पति और बच्चे से होता है। कहते है कि इससे इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। कुछ धर्मों में तो चूड़ियों के संबंध में इतनी गहरी आस्था है कि महिलाएं चूड़ी बदलने में भी सावधानी बरतती है।कम से कम एक चूड़ी अवश्य ही हो।

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