डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का 27वां दीक्षांत समारोह 17 मार्च को, हुआ रिहर्सल
Ayodhya News: दीक्षांत समारोह से पहले अवध विवि में हुआ रिहर्सल, छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से खूब बटोरीं तालियां.
Ayodhya News: डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय का 27वां दीक्षांत समारोह 17 मार्च को प्रातः 11 बजे से होगा। बुधवार को विश्वविद्यालय में रिहर्सल किया गया। विश्वविद्यालय के कौटिल्य प्रशासनिक भवन से आयोजन स्थल स्वामी विवेकानंद प्रेक्षागृह तक शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता, मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि की भूमिका विश्वविद्यालय के आचार्यों द्वारा निभाई गई। इसमें कार्यपरिषद, विद्यापरिषद, कोर्ट सदस्य एवं संकायाध्यक्ष शामिल रहे। शोभायात्रा के उपरांत सभागार में अतिथियों ने मंच पर स्थान ग्रहण किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा राष्ट्रगीत वंदे मातरम्, हम जल बचायेंगे, घर-घर खुशी लायेंगे पर जल भरो कार्यक्रम व कुलगीत की प्रस्तुति की गई। इसके उपरांत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन का रिहर्सल किया गया। रिहर्सल के दौरान कुलपति प्रो0 गोयल द्वारा स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत छात्र-छात्राओं द्वारा क्रमवार मंच पर आकर गोल्ड मेडल प्राप्त करने का रिहर्सल किया गया। अतिथियों द्वारा मंच से ही दीक्षोपदेश दिया गया। समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 संत शरण मिश्र द्वारा किया गया।
रिहर्सल के पहले कुलपति द्वारा आयोजन स्थल का निरीक्षण किया गया और व्यवस्था में लगे पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किया। कुलपति ने बताया कि 17 मार्च, 2023 को विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह प्रातः 11 बजे से प्रारंभ हो जाएगा। इसमें शामिल होने के लिए छात्र-छात्राओं एवं आमंत्रित आगंतुकों को प्रातः 10 बजे तक स्थान ग्रहण कर लेना होगा। 10ः30 के पश्चात परिसर में प्रवेश एवं प्रेक्षागृह में प्रवेश नहीं दिया जायेगा। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डाॅ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी ने बताया कि दीक्षांत समारोह के दिन यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए पुलिस प्रशासन व सुरक्षा कर्मियों की निगरानी में प्रवेश दिया जाएगा। आगंतुकों को विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत दीक्षांत कार्ड व पहचान कार्ड एवं छात्र-छात्राओं को उपाधि के साथ शुल्क रसीद लाना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय परिसर के मुख्य द्धार से 10ः30 बजे तक ही प्रवेश दिया जाएगा। सुरक्षाकर्मियों को दिशा निर्देश दे दिए गए हैं।
भाषा की रक्षा सीमा की रक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है-
दीक्षांत समारोह को भव्य बनाने के लिए कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल के निर्देशन में परिसर के विविध भवनों को बहुरंगी झालरों से सजाया जा रहा है। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के हिन्दी भाषा एवं प्रयोजनमूलक विभाग तथा क्षेत्रीय भाषा केंद्र के संयुक्त संयोजन मे ’भारत के भाषा-सरोकार और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के दीक्षांत पखवारे के तहत मंगलवार को बतौर मुख्य वक्ता सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि भाषा का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसके एक-एक शब्द को बनने व सवरने में हजारों साल लगे हंै। तभी भाषा उस राष्ट्र की चेतना का हिस्सा बनी है। उन्होंने कहा कि भाषा किसी भी व्यक्ति समाज और राष्ट्र का निर्माण करती है। नई शिक्षा नीति में प्रारम्भिक शिक्षा मातृ भाषा में आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है, इसके साथ ही इंजीनियरिंग, मेडिकल की पढ़ाई का पाठ्यक्रम अपनी भाषाआंे में उपलब्ध कराने का काम भी चल रहा है।
उन्होंने कहा कि आज युवाओं में रोजगार की चिंता है। भाषा की समझ के आधार पर एक अच्छे उद्यमी बन सकते हैं। इसके साथ साथ अच्छे अनुवादक एवं पत्रकार भी बन सकते हैं। उन्होंने राष्ट्र भाषा और राज्य भाषा से छात्रों को अवगत कराते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं में केवल हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्र भाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीय द्वारा बोली जाती है। यह भारत में संपर्क माध्यम के रूप मे प्रयोग के लिए सक्षम है। उन्होंने महात्मा गांधी, राजगोपालाचार्य आदि के भाषा संबंधित विचारों से छात्रों को अवगत कराया और कहा कि भाषा की रक्षा सीमा की रक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है।