Bihar News: कुढ़नी उपचुनाव पर नहीं लगेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, ये है पूरी कहानी

Bihar News: कुढ़नी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है।

Newstrack :  Network
Update: 2022-11-25 12:22 GMT

अनिल सहनी

Bihar News: बिहार में होने वाले कुढ़नी उपचुनाव पर लटक रही तलवार अब हट चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। कुढ़नी विधानसभा (Kudhani assembly) में होने वाले उपचुनाव पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। अब तय समय पर चुनाव करवाया जाएगा। बता दें कि एलसीटी घोटाले केस में पूर्व विधायक अनिल साहनी सुप्रीम कोर्ट गए थे। उन्होंने चुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन इस मामले में कोर्ट में सुनवाई की और उनको राहत देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी हाल में चुनाव में रोक नहीं लगेगी।

कुढ़नी विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को होगा इलेक्शन

बता दें कि मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को इलेक्शन होगा। उसका रिजल्ट 8 दिसंबर को आएगा। वही उपचुनाव में उम्मीदवारों को 17 नवंबर तक नामांकन भरने का मौका दिया गया है। 18 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 21 नवंबर तक प्रत्याशी अपना नामांकन वापस ले सकते हैं।

महागठबंधन की ओर से प्रत्याशी जदयू के नेता मनोज कुशवाहा

कुढ़नी उपचुनाव में जनता दल यू ही महागठबंधन की ओर से उम्मीदवारी जता रही है। जदयू के नेता मनोज कुशवाहा महागठबंधन की ओर से विधायक प्रत्याशी होंगे। वहीं भाजपा ने पूर्व विधायक केदार गुप्ता पर फिर से एक बार दांव लगाया है। दोनों पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं।

मालूम हो कि 14 अक्टूबर को कुढ़नी सीट से राजद के विधानसभा सदस्य अनिल सहनी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी। अनिल सहनी अवकाश एवं यात्रा भत्ता (एलसीटी) घोटाले में इन्हें तीन साल की सजा होने के बाद इनके ऊपर ये कार्रवाई की गई है। दिल्ली में सीबीआई कोर्ट ने पिछले महीने ही इस मामले में दोषी पाए जाने के बाद इन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी।

अनिल कुमार साहनी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर की साजिश

दरअसल, अनिल कुमार साहनी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर साजिश कर कई फर्जी ई- टिकट और गलत बोर्डिंग पास बना कर राज्यसभा में जमा कराया। इसके बदले उन्होंने पैसे लिए। आरोप लगा कि उन्होंने लीव ट्रेवल कन्सेशन भुगतान हासिल करने के लिए फर्जी ई-टिकट और बोर्डिंग पास जमा कराया था। बिना यात्रा किए ही वह इन फर्जी कागजातों के आधार पर 23.71 लाख रुपए का भुगतान हासिल करने को प्रयासरत थे। बता दें कि 2009 से 2018 के बीच राज्यसभा सदस्य रहे। राज्यसभा सांसद रहते हुए सहनी ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भुगतान के लिए क्लेम किया था, इसलिए जदयू के अंदर संभावना खत्म होने पर उन्होंने वापस राजद का दामन थाम लिया था।

इसके बाद इस मामले की जांच की गई। 21 अक्टूबर 2013 को सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। अक्टूबर माह में अनिल सहनी को 3 साल जेल की सजा के साथ 3 लाख का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया गया था। इसके अलावा अनिल सहनी के दो सहयोगियों एन एस नायर और अरविंद तिवारी को भी इस साजिश में शामिल पाते हुए 50-50 हजार का जुर्माना भरने का आदेश हुआ था। नायर ने एयर इंडिया में रहते हुए सहनी के फर्जी कागजातों में उनके सहायक अरविंद की मदद की थी।

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