Bihar Political Crisis: भाजपा का साथ छोड़ने पर भी 'नीतीशे सरकार', जानें क्या है विधानसभा में बहुमत का गणित

Bihar Political Crisis: नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा का साथ छोड़कर राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-08-09 08:33 GMT

CM Nitish kumar (photo: social media )

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Bihar Political Crisis: सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर भाजपा को बड़ा झटका दिया है। बिहार में कई दिनों से नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन से बाहर निकलने की सियासी अटकलों का बाजार गरम था। आखिरकार ये अटकलें सच साबित हुईं और नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा का साथ छोड़कर राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में है। ऐसे में विधानसभा के गणित को समझना जरूरी है कि आखिरकार भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने पर भी नीतीश कुमार किस तरह मुख्यमंत्री बनने में कामयाब होंगे।

भाजपा और जदयू ने साथ मिलकर 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जदयू से ज्यादा सीटें हासिल करने के बावजूद भाजपा ने अपना वादा निभाते हुए सीएम के रूप में नीतीश कुमार की ही ताजपोशी की थी। वैसे बाद में कई मुद्दों को लेकर दोनों दलों के बीच तनातनी चल रही थी जिसकी परिणति आखिरकार इन दोनों प्रमुख दलों का गठबंधन टूटने के रूप में सामने आई है।

भाजपा ने भी चला सियासी दांव

इस बीच भाजपा ने भी बड़ा सियासी दांव चल दिया है। पहले इस तरह की खबरें आई थीं कि भाजपा के मंत्री राजभवन जाकर इस्तीफा सौंपेंगे मगर हाईकमान का निर्देश मिलने के बाद अब भाजपा मंत्रियों ने इस्तीफा न देने का फैसला किया है। भाजपा ने यह फैसला इसलिए किया है ताकि नीतीश कुमार को गठबंधन तोड़ने के लिए कटघरे में खड़ा किया जा सके।

डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के आवास पर हुई भाजपा नेताओं की बैठक में राज्य के मौजूदा सियासी हालात पर गहन मंथन किया गया। राज्य के वरिष्ठ मंत्री शाहनवाज हुसैन इन दिनों दिल्ली में है और इस कारण वे इस बैठक में हिस्सा नहीं ले सके। दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली में होने के कारण मुझे राज्य के सियासी घटनाक्रम की पूरी जानकारी नहीं है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में भाजपा नेतृत्व भी बिहार के सियासी हालात पर चिंतन में जुट गया है। पार्टी की आगे की रणनीति पर गहराई से मंथन किया जा रहा है।

विधानसभा में बहुमत का गणित

इस बीच यह जानना जरूरी है कि भाजपा का साथ छोड़ने पर भी नीतीश कुमार किस तरह मुख्यमंत्री बने रहने में कामयाब होंगे। सच्चाई तो यह है कि भाजपा का साथ छोड़ने के बाद नीतीश कुमार के पास विधानसभा में पहले से भी ज्यादा मजबूत बहुमत होगा। यदि विधानसभा मैं दूसरे सियासी दलों की ताकत देखा जाए तो राजद के पास 79, जदयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19 और लेफ्ट के पास 16 विधायक हैं। जदयू के नेता अनंत सिंह की विधानसभा की सदस्यता खत्म हो जाने के कारण एक सीट रिक्त है। विपक्षी महागठबंधन से हाथ मिलाने पर नीतीश को एक निर्दलीय है और हम के 4 विधायकों का भी समर्थन हासिल हो सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री और हम के मुखिया जीतन राम मांझी ने कहा भी है कि बिहार के मौजूदा सियासी हालात में वे मजबूती के साथ नीतीश कुमार के साथ खड़े हैं। मांझी का समर्थन हासिल होने पर नीतीश के पास 164 विधायकों का समर्थन हासिल होगा। ऐसे में विधानसभा में नीतीश कुमार पहले से और ज्यादा मजबूत होंगे। 2013 में जब नीतीश कुमार ने भाजपा को झटका दिया था तो उस समय भाजपा के पास विधानसभा में 91 विधायकों की ताकत थी जबकि मौजूदा समय में भाजपा के पास 77 विधायक हैं।

जदयू की सोची समझी रणनीति

जदयू ने बड़ी सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा को झटका दिया है। जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा आज सुबह तक यह बयान देते रहे कि एनडीए गठबंधन में सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में एनडीए गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में क्या होगा, यह नहीं कहा जा सकता।

दूसरी ओर जदयू के एमएलसी और बिहार सरकार में मंत्री रह चुके नीरज कुमार ने भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के जरिए जदयू और नीतीश कुमार की छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आरसीपी सिंह को भाजपा का संरक्षण हासिल रहा है। जदयू नेता ने कहा कि नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे, पूरी पार्टी उनके साथ मजबूती से खड़ी है।

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