Bihar Politics: 'बिहारी गुंडा' कहने पर बिहार में तीखी प्रतिक्रिया, पक्ष-विपक्ष ने एकजुट होकर टीएमसी को घेरा

Bihar Politics: टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की ओर से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को 'बिहारी गुंडा' (Bihari Gunda) कहे जाने के मुद्दे पर बिहार में तीखी प्रतिक्रिया हुई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-07-30 07:10 GMT

टीएमसी- बिहार के सत्ता पक्ष और विपक्ष (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Bihar Politics: टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) की ओर से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) को 'बिहारी गुंडा' (Bihari Gunda) कहे जाने के मुद्दे पर बिहार में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सभी नेता दलगत भावना से ऊपर उठते हुए इस मुद्दे पर एकजुट हो गए हैं। भाजपा, जदयू, राजद और हम के नेताओं ने टीएमसी सांसद के बयान का तीखा विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि बिहार को लेकर की गई टिप्पणी को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने डीएमके नेता केएन नेहरू के उस बयान पर भी तीखा विरोध जताया है जिसमें उन्होंने बिहारियों के पास ज्यादा दिमाग न होने की बात कही थी।

स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसे शब्दों के लिए जगह नहीं

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और बिहार के मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि ऐसा बयान देने वाले टीएमसी और डीएमके के नेताओं को नहीं पता कि बिहार के लोग स्वाभिमानी होते हैं। किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में इस तरह के बयानों के लिए कोई जगह नहीं है और इसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता। शाहनवाज ने कहा कि इस तरीके के बयानों की जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है।

शाहनवाज हुसैन (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

'टीएमसी के नेता पहले बिहार का इतिहास पढ़ें'

जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह (Neeraj Kumar Singh) ने कहा कि बिहार की अस्मिता को चुनौती देने की ताकत किसी में नहीं है। ऐसे लोगों को पहले बिहार का इतिहास पढ़ना चाहिए क्योंकि बिहार चंद्रगुप्त और चाणक्य की भूमि रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीएमसी के नेता लंपट संस्कृति से अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में भाषा की मर्यादा तोड़ना निकृष्ट राजनीति का द्योतक है।

डीएमके नेता के बयान पर तीखा विरोध जताते हुए जदयू नेता ने कहा कि उन्हें पहले यह तुलना करनी चाहिए कि तमिलनाडु और बिहार के अफसरों में कौन ज्यादा बेहतर है। बिहार के युवा अपनी प्रतिभा के दम पर देश में कहीं भी नौकरी हासिल करने में सक्षम हैं। बिहार की मेधा को कोई भी चुनौती नहीं दे सकता। उन्हें पहले इस बात की छानबीन करनी चाहिए कि तमिलनाडु की तुलना में बिहार से कितने ज्यादा आईएएस और आईपीएस अफसर निकले हैं।

बिहार में बदल चुका है माहौल

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी ने कहा कि टीएमसी सांसद को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब उनके सहयोगी राजद की सरकार थी तो सत्ता संरक्षित गुंडों के कारण बिहारी गुंडा जैसे शब्द सुनाई पड़ते थे। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद बिहार में माहौल पूरी तरह बदल चुका है और नीतीश के सुशासन में अब बिहारी सम्मान का शब्द बन चुका है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में गुंडागर्दी की घटनाएं किसी से छिपी नहीं है और टीएमसी के नेताओं को पश्चिम बंगाल की गुंडागर्दी ही हर जगह दिखाई देती है।

जीतन राम मांझी (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

राजद ने भी टीएमसी को घेरा

सत्ता पक्ष में ही नहीं बल्कि मुख्य विपक्षी दल राजद ने भी टीएमसी और द्रमुक नेता के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि बिहार के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। दूसरे प्रदेश के लोगों को यह बात समझनी होगी कि यदि बिहार के लोग बिहार में रहकर ही काम करने लगेंगे तो दूसरे राज्यों के सामने भुखमरी की नौबत आ जाएगी। बिहार के लोग भी सम्मान के हकदार हैं और उनका यह हक कोई भी नहीं छीन सकता। राजद का बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में राजद ने टीएमसी का समर्थन किया था।

महुआ का दुबे पर गलतबयानी का आरोप

दूसरी ओर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहारी गुंडा कहे जाने की बात से इनकार किया है जबकि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे अपनी बात पर अडिग हैं। उन्होंने दावा किया कि मोइत्रा की ओर से इन आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किए जाने के बाद कांग्रेसी नेता शक्ति सिंह गोहिल माफी भी मांगी थी।

दुबे ने टि्वटर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की फोटो टैग करते हुए इस बाबत कहा कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा कि इस गाली से उत्तर भारतीयों खासकर हिंदी भाषी लोगों के प्रति आपकी पार्टी की नफरत खुलकर सामने आ गई है। दूसरी ओर मोइत्रा का कहना है कि जब आईटी से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक में दुबे मौजूद ही नहीं थे तो उन्हें गाली देने की बात ही कहां से पैदा होती है।

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