अब बिहार नहीं, केंद्र की राजनीति करेंगे सुशील मोदी, मिला राज्यसभा का टिकट

सुशील मोदी को उम्मीदवार बनाने के साथ ही भाजपा ने एक तीर से दो निशाने मारने का काम किया है। एक तो उसने अपने साथी घटक एलजेपी से यह सीट हथिया ली। साथ ही हाल ही में बिहार में हुए चुनाव में चिराग पासवान को सबक सिखाने का भी काम कर दिया है।

Update: 2020-11-27 16:10 GMT
सुशील मोदी को उम्मीदवार बनाने के साथ ही भाजपा ने एक तीर से दो निशाने मारने का काम किया है। एक तो उसने अपने साथी घटक एलजेपी से यह सीट हथिया ली।

नई दिल्ली: पिछले तीन दशकों से बिहार की राजनीति का पर्याय बने भाजपा नेता सुशील मोदी अब केंद्र की राजनीति करेंगे। भाजपा ने आज उनको एनडीए के सदस्य रहे स्वर्गीय रामविलास पासवान की रिक्त हुई सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

सुशील मोदी को उम्मीदवार बनाने के साथ ही भाजपा ने एक तीर से दो निशाने मारने का काम किया है। एक तो उसने अपने साथी घटक एलजेपी से यह सीट हथिया ली। साथ ही हाल ही में बिहार में हुए चुनाव में चिराग पासवान को सबक सिखाने का भी काम कर दिया है। सुशील मोदी पिछली नीतीश सरकार में डिप्टी सीएम रहे हैं। साथ ही बिहार की भाजपा राजनीति का वह हमेशा केंद्र बिन्दु रहे।

छात्र जीवन के दौरान विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे सुशील कुमार मोदी पटना विश्वविद्यालय के महामंत्री भी रहे। इसी साल लालू प्रसाद यादव भी पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे।

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1990 में सक्रिय राजनीति में आए

सुशील मोदी 1990 में सक्रिय राजनीति में आए और पटना सेंट्रल विधानसभा सीट से चुने गए। इसके बाद वह 1995 और 2000 में भी वे विधानसभा पहुंचे। फिर जब केंद्र मे अटल विहारी वाजपेयी की और बिहार में जनता दल की सरकार थी तो उस दौरान 1996 से 2004 के बीच वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे।

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2004 में सुशील मोदी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और भागलपुर से विजयी हुए। जब 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में लालू परिवार का सत्ता से खात्मा हुआ तो सुशील मोदी को सरकार में डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंपी गयी। इसके बाद जब 2010 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए और एक बार फिर जनता दल यू और भाजपा ने मिलकर जब सरकार का गठन किया तो सुशील मोदी फिर डिप्टी सीएम बनाए गए। इसी तरह जब 2015 के बिहार चुनाव के एक साल बाद जब राजद का नीतीश कुमार से साथ छूटा तो सरकार बनने पर फिर से सुशील मोदी डिप्टी सीएम बनाए गए।

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इस बार भी जब बिहार में भाजपा को बड़ी सफलता मिली तो उम्मीद थी कि सुशील मोदी को फिर से यही पद दिया जाएगा, लेकिन भाजपा ने भविष्य की राजनीति के मद्देनजर सुशील मोदी को केंद्र में बुलाने का फैसला लिया गया है।

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