चिराग पासवान को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, LJP पर कब्जे की लड़ाई में भतीजे पर भारी चाचा पारस

Chirag Paswan Vs Pashupati Paras: दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान की याचिका को खारिज कर दिया है, जिससे उनके उम्मीदों का चिराग बुझ गया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update: 2021-07-10 06:05 GMT

Chirag Paswan Vs Pashupati Paras: लोजपा में पांच सांसदों की बगावत के बाद अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे चिराग पासवान (Chirag Paswan) को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के आदेश से बड़ा झटका लगा है। चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को लोकसभा में लोजपा संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता देने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने पहली नजर में ही खारिज कर दिया है। चिराग ने इस बाबत स्पीकर से भी अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था और बाद में उनके फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी।

दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से याचिका को खारिज किए जाने से चिराग पासवान को करारा झटका लगा है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पारस को कैबिनेट मंत्री बनाकर चिराग को बड़ा झटका दिया था। अब हाईकोर्ट की ओर से याचिका खारिज किए जाने के बाद माना जा रहा है कि चिराग इस मुद्दे पर पूरी तरह कमजोर और अकेले पड़ चुके हैं।

चिराग पासवान (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हाईकोर्ट ने चिराग की याचिका को बेदम बताया

दिल्ली हाईकोर्ट की जज जस्टिस रेखा पल्ली ने शुक्रवार को मामले की पहली सुनवाई के दौरान ही कहा कि याचिका में कोई दम नहीं नजर आ रहा। जस्टिस पल्ली ने याचिका को खारिज करने का आदेश दिया। चिराग पासवान इस मामले में खुशकिस्मत रहे कि कोर्ट ने उनके ऊपर जुर्माना नहीं ठोका। अदालत ने इस मामले में उन पर जुर्माना ठोकने की मंशा जाहिर की थी मगर चिराग के वकील के अनुरोध करने पर बाद में अदालत ने यह कदम नहीं उठाया।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 14 जून को पारस को लोकसभा में लोजपा संसदीय गुट के नेता के रूप में मान्यता दी थी। चिराग ने अपनी याचिका में स्पीकर के इस फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया था।

चिराग ने दी थी स्पीकर के फैसले को चुनौती

याचिका में चिराग पासवान की ओर से दलील दी गई थी कि शीर्ष नेतृत्व के साथ धोखेबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पशुपति पारस को पहले ही पार्टी से निकाला जा चुका था। जब वे लोजपा के सदस्य ही नहीं रहे तो उन्हें लोजपा संसदीय गुट के नेता के रूप में कैसे मान्यता दी जा सकती है।

याचिका में चिराग ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 75 सदस्यों में से 66 सदस्यों के समर्थन का दावा किया था। उन्होंने लोकसभा स्पीकर के फैसले को अनुचित बताते हुए अदालत से आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था मगर अदालत चिराग की ओर से पेश किए गए तर्कों से सहमत नहीं हुई।

चिराग पासवान-पशुपति कुमार पारस (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पशुपति पारस की दावेदारी और मजबूत

दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद पशुपति कुमार पारस की दावेदारी और मजबूत हो गई है। दूसरी ओर चिराग पासवान और कमजोर व अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। याचिका रद्द किए जाने के बाद पारस ने कहा कि यह तो होना ही था। उन्होंने कहा कि चिराग की याचिका में कोई भी दम नहीं था और उनकी ओर से याचिका दायर करना ही असंवैधानिक था।

उन्होंने कहा कि देश की सबसे बड़ी संस्था लोकसभा से मुझे दल का नेता होने की मान्यता मिली है। स्पीकर ने बिल्कुल नियम संगत फैसला किया है। पारस ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि चिराग की ओर से स्पीकर के फैसले को चुनौती देना ही अनुचित था।

पार्टी पर कब्जे की लड़ाई में कमजोर हुए चिराग

सियासी जानकारों का मानना है कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद लोजपा पर कब्जे की लड़ाई में चिराग पासवान और कमजोर पड़ गए हैं। पीएम मोदी को राम और खुद को उनका हनुमान बताने वाले चिराग को पारस के मंत्री बनाए जाने से भी बड़ा झटका लगा था। अब उन्हें शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी झटका दे दिया है।

अब उनकी आखिरी उम्मीद भी टूटती नजर आ रही है क्योंकि यदि वे इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी जाते हैं तो वहां भी याचिका के ठहरने की ज्यादा उम्मीद नहीं दिख रही। चिराग इन दिनों बिहार में आशीर्वाद यात्रा निकालने में जुटे हुए हैं मगर पार्टी पर उनकी पकड़ लगातार कमजोर पड़ती जा रही है।

नीतीश कुमार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नीतीश ने मारा नहले पर दहला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उनसे बदला चुकाने में जुटे हुए हैं और लगातार उन्हें कमजोर करने की सियासी चालें चल रहे हैं। पारस को मंत्री बनाए जाने के पीछे भी नीतीश की ही बड़ी भूमिका बताई जा रही है। जानकारों के मुताबिक पहले भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पारस को मंत्री बनाने का इच्छुक नहीं था मगर नीतीश ने अपनी पार्टी जेडीयू के कोटे से एक मंत्री कम करके पारस को मंत्रिपरिषद में लेने का दबाव बनाया था।

आखिरकार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी और पारस केंद्र में मंत्री बन गए। जानकारों के मुताबिक विधानसभा चुनाव में चिराग की ओर से दिए गए झटके के बाद अब नीतीश कुमार ने नहले पर दहला मारा है जिससे उबरना चिराग के लिए काफी मुश्किल नजर आ रहा है।

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