'इंजीनियर्स डे' स्पेशल: इन महा गुरुओं ने सैकड़ों गरीब छात्रों को दिये पंख, बनाया इंजीनियर
देश के विकास के धूरि इंजीनियर्स ही हैं। भारत रत्न सर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस के रूप में इसे भारत में मनाया जाता है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर में 15 सितम्बर 1861 को हुआ था। विश्वेश्वरैया भारतीय सिविल इंजीनियर, विद्वान और राजनेता थे।
बिहार: आज "इंजीनियर्स डे" है इसे अभियंता दिवस भी कहा जाता है। देश के विकास में इंजीनियर्स का बहुत बड़ा रोल होता है। आपदा से लेकर निर्माण तक इंजीनियर्स के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। देश के विकास के धूरि इंजीनियर्स ही हैं। भारत रत्न सर डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस के रूप में इसे भारत में मनाया जाता है। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर में 15 सितम्बर 1861 को हुआ था। विश्वेश्वरैया भारतीय सिविल इंजीनियर, विद्वान और राजनेता थे।
गरीब स्टूडेंट्स के सपनों को लगाते हैं पंख
आज हम आपको उन दो गुरओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने नि:शुल्क शिक्षा देकर सैंकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानो में दाखिला दिलाकर उनके सपने को पंख लगा चुके है।
आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव, देश के टॉप 10 शिक्षकों में से एक
आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स के सपनो को पंख देने वाले का नाम है "आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव" । आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव अब लाखो युवाओं के रोल मॉडल बन चुके हैं। बिहार के ये दोनों शिक्षकों ने अपनी कड़ी मेहनत, पक्का इरादा और ऊंची सोच के दम पर ही शीर्ष स्थान को प्राप्त कर लिया है।
करीब एक दशकों से भी अधिक समय से आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव देश के शिखर शिक्षक बने हुए हैं। देश के टॉप 10 शिक्षकों में भी इन दोनों बिहारी शिक्षकों का नाम आ चुका है। दोनों ही गणित के शिक्षक हैं, परन्तु इनकी शैक्षणिक कार्यशैली एक दशकों से चर्चा का विषय बना हुआ है।
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विदेशों में भी इन दोनों बिहारी शिक्षकों के नाम
बिहार सहित आज पूरे देश की दुआएं "आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव" को मिलता हैं । विदेशों में भी इन दोनों बिहारी शिक्षकों के पढाने के तरीको को भरपूर पसंद किए जाते हैं। उन सभी देशों में भी इनके शैक्षणिक कार्यशैली को पसंद किए जाते हैं, जहां पर भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं।
बड़े शैक्षणिक संस्थानो में पढ़ने का सौभाग्य नहीं मिला
"आनंद कुमार और मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव" दोनों का व्यक्तित्व सरल है। दोनो ने पिता के गुजरने के बाद अपने पढ़ाई के दौरान गरीबी के कारण उच्च शिक्षा में होने वाले परेशानियों को नजदीक से महसूस किया है। ये बिहारी शिक्षक बताते हैं कि पैसों के आभाव के कारण हमें बड़े बड़े शैक्षणिक संस्थानो में पढने का सौभाग्य नही मिला। लेकिन हम वैसे जरूरतमंद स्टूडेंट्स के सपने को पंख दे रहे जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है, जो आज के समय के कोचिंग की लाखो फी देने में सक्षम नही है परन्तु उनका सपना बड़ा है।
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आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर गणित पढ़ाते हैं
आपको बताते चलें कि आनंद कुमार सुपर 30 नामक संस्था चलाते हैं जो 30 आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को प्रत्येक वर्ष निःशुल्क शिक्षा देकर आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफ़लता दिलाते है। जबकि आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर गणित का गुर स्टूडेंट्स को सिखाते हैं। ये दोनों शिक्षक सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई,ए नडीए सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानो मे दाखिला दिलाकर उनके सपने को पंख लगा चुके है।
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आरके श्रीवास्तव के कबाड़ की जुगाड़ से प्रैटिकल कर गणित पढाने का तरीका और नाइट क्लासेज अभियान( लगातार 12 घंटे पूरी रात गणित पढाना) पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है । वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी दर्ज हैं आरके श्रीवास्तव का नाम।