RCP को महंगी पड़ी नीतीश की नाराजगी, राज्यसभा टिकट कटने के बाद अब मोदी कैबिनेट से भी होंगे बाहर

जनता दल यू में नंबर दो की हैसियत रखने वाले और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का तीसरी बार राज्यसभा जाने का सपना टूट गया है।;

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-05-30 10:43 IST

नीतीश कुमार (तस्वीर साभार : सोशल मीडिया)

Bihar: एक समय जनता दल यू (Janata Dal U) में नंबर दो की हैसियत रखने वाले और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सबसे करीबी माने जाने वाले केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का तीसरी बार राज्यसभा जाने का सपना टूट गया है। आरसीपी(RCP) को 2010 और 2016 में लगातार दो बार राज्यसभा भेजने वाले मुख्यमंत्री नीतीश ने इस बार आरसीपी(RCP) का पत्ता काटकर जदयू की झारखंड इकाई के अध्यक्ष खीरू महतो को चुनाव मैदान में उतार दिया है। नीतीश कुमार के इस फैसले से आरसीपी को करारा झटका लगा है और अब उन्हें मोदी केबिनेट के मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ेगा।

नीतीश कुमार(Nitish Kumar) के रुख से आरसीपी का टिकट कटना पहले ही तय माना जा रहा था मगर पिछले गुरुवार को नीतीश कुमार(Nitish Kumar) के साथ आरसीपी की बैठक के बाद एक बार फिर टिकट को लेकर सस्पेंस कायम हो गया था। दोनों नेताओं के बीच सुलह की बात भी सामने आई थीं मगर रविवार को नीतीश के फैसले से साबित हो गया कि उनकी नाराजगी अभी तक दूर नहीं हुई है। नीतीश के इस फैसले को आरसीपी के सियासी भविष्य के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। 

लंबे समय से नीतीश के करीबी 

1984 बैच के आईएएस अफसर रहे आरसीपी को बिहार की सियासत (Bihar politics) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का काफी करीबी माना जाता रहा है। नीतीश कुमार ने 1998 में रेल मंत्री बनने पर आरसीपी(RCP) को अपना विशेष सचिव बनाया था और उस समय से ही आरसीपी की गिनती नीतीश कुमार के काफी करीबियों में होती रही है। 2005 में बिहार का मुख्यमंत्री बनने पर नीतीश कुमार आरसीपी को बिहार लाए थे और उन्हें अपना प्रधान सचिव बनाया था। 

2010 में वीआरएस लेने के बाद नीतीश कुमार(Nitish Kumar) ने आरसीपी को राज्यसभा भेजा था। पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद 2016 में भी आरसीपी जदयू का टिकट पाने में कामयाब रहे थे। अब तीसरे कार्यकाल में नीतीश ने आरसीपी(RCP) का पत्ता काटते हुए खीरू महतो को चुनाव मैदान में उतार दिया है। बिहार विधानसभा में सीटों के समीकरण को देखते हुए जदयू सिर्फ एक उम्मीदवार को ही राज्यसभा भेजने में सक्षम है। ऐसे में नीतीश ने आरसीपी को बड़ा झटका दिया है।

आरसीपी से इसलिए नाराज हुए नीतीश

नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से दिसंबर 2020 में इस्तीफा दिया था और इस्तीफे के बाद नीतीश की रजामंदी से आरसीपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में कामयाब हुए थे। इससे समझा जा सकता है कि नीतीश को आरसीपी(RCP) पर किस हद तक का भरोसा रहा है। पिछले साल जुलाई में आरसीपी के मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री बनने के बाद आरसीपी और नीतीश के रिश्तों में दरार पैदा हुई और इसी का नतीजा आरसीपी को भुगतना पड़ा है।

नीतीश की आरसीपी(RCP) से नाराजगी के पीछे इसे बड़ा कारण बताया जाता रहा है। दरअसल नीतीश मोदी कैबिनेट में जदयू के दो मंत्री चाहते थे। इस बाबत भाजपा नेतृत्व से बातचीत में आरसीपी ने बड़ी भूमिका निभाई थी मगर बाद में वे खुद अकेले मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री बन गए। 

इसे लेकर पार्टी का एक बड़ा वर्ग आरसीपी(RCP) से काफी नाराज था। खुद नीतीश भी आरसीपी की भूमिका से संतुष्ट नहीं थे। हालांकि उन्होंने इस बाबत अपनी नाराजगी को सार्वजनिक रूप से जाहिर नहीं किया, लेकिन उन्होंने आरसीपी को अतीत की तरह महत्व देना बंद कर दिया। इसी के बाद से आरसीपी का टिकट कटने की सियासी अटकलें लगाई जाने लगी थीं।

भाजपा का गुणगान नहीं आया रास

हाल के दिनों में भाजपा से आरसीपी की नजदीकी भी नीतीश कुमार को नागवार गुजरी। हालांकि नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से ही बिहार में मुख्यमंत्री बने हुए हैं मगर आरसीपी की ओर से भाजपा का गुणगान नीतीश कुमार को कभी रास नहीं आया। केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी(RCP) लगातार केंद्रीय योजनाओं और भाजपा नेतृत्व की प्रशंसा करने में जुटे रहे। हालत यह हो गई थी कि जदयू में उन्हें उन्हें भाजपा का आदमी तक बताया जाने लगा था। बीजेपी के प्रति आरसीपी का यह सॉफ्ट कॉर्नर भी उनके लिए महंगा साबित हुआ।

राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी पर चर्चा के लिए हाल के दिनों में जदयू की दो बैठकें हुई थीं और इन बैठकों में आखिरी फैसला लेने के लिए नीतीश कुमार को अधिकृत कर दिया गया था। नीतीश कुमार ने इस बाबत सही समय पर उचित फैसला लेने की बात कही थी और रविवार को उन्होंने आरसीपी का पत्ता काट दिया।

नीतीश कुमार ने दिया बड़ा संदेश

मौजूदा समय में नीतीश(Nitish Kumar) के बाद जदयू में राजीव सिंह उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) को सबसे कद्दावर नेता माना जाता है। गत गुरुवार को आरसीपी की नीतीश कुमार(Nitish Kumar) के साथ करीब एक घंटे तक बैठक हुई थी और इस बैठक के दौरान ललन सिंह भी मौजूद थे। नीतीश की तरह ही ललन सिंह भी आरसीपी को लेकर खासे नाराज बताए जाते हैं। इस बैठक के बाद भी जदयू ने पत्ते नहीं खोले थे। 

जदयू के राज्यसभा टिकट को लेकर सस्पेंस बना हुआ था मगर नीतीश(Nitish Kumar) और ललन सिंह की नाराजगी आखिरकार आरसीपी के लिए भारी पड़ी और वे राज्यसभा का टिकट पाने में नाकामयाब रहे। जुलाई के पहले हफ्ते में आरसीपी की राज्यसभा सदस्यता समाप्त हो जाएगी और उसके बाद अब उन्हें मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ेगा। इस फैसले के जरिए नीतीश ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि पार्टी में उनसे अदावत करने वाले का सियासी भविष्य क्या होगा। 


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