गरीब किसान के तीनों बेटे को बना दिया सरकारी ऑफिसर, ऐसे हैं आरके श्रीवास्तव

आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि रुपेश स्वरुप, निकेश स्वरुप, मुकेश स्वरुप मेरे संघर्ष के दिनों के प्रारंभिक बैच के स्टूडेंट हैं। जब टीबी की बिमारी के चलते ईलाज के दौरान डॉक्टर ने मुझे घर पर रहकर आराम करने की सलाह दी थी तब घर पर रहते रहते बोर होने लगा तो स्टूडेंट्स को नि:शुल्क पढ़ना शुरू किया।

Update: 2021-02-13 14:31 GMT
गरीब किसान के तीनों बेटे को बना दिया सरकारी ऑफिसर, ऐसे हैं आरके श्रीवास्तव

बिहार: बिहार राज्य के रोहतास जिले के बिक्रमगंज के रुपेश, निकेश, मुकेश की सफलता की स्टोरी बड़ी प्रेरणा दायक है। आप भी पढ़े कि कैसे हिन्दी मीडियम के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला गरीब किसान के तीनों बेटे ऑफिसर बन गए।

तीन भाईयों की सफलता की कहानी

बता दें कि इन तीनों बच्चों के पिता का नाम जितेंद्र बहादुर स्वरुप है। जिनका गांव क्वाथ के पास मझौली है। पैसे के आभाव में जितेंद्र बहादुर के तीनो बेटे गाँव के हिन्दी मीडियम स्कूल से पढ़कर 10वीं की परीक्षा पास किये। 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद वे गाँव से बिक्रमगंज 11वीं,12वीं की शिक्षा ग्रहण करने आये। महंगी कोचिंग की फीस के बारे में जब इन्हें पता चला तो ऐसे लगा किआगे की अब पढ़ाई करना मुश्किल होगा।

आज के नए दौर की शिक्षा तो हकीकत में काफी महंगी हो गई है। उसी समय किसी ने इन स्टूडेंट्स को आरके श्रीवास्तव के बारे में बताया और बोला की आप लोग उनसे मिलिए वे गरीब स्टूडेंट्स की शिक्षा में मदद कर रहे हैं।

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आरके श्रीवास्तव बताते हैं कि रुपेश स्वरुप, निकेश स्वरुप, मुकेश स्वरुप मेरे संघर्ष के दिनों के प्रारंभिक बैच के स्टूडेंट हैं। जब टीबी की बिमारी के चलते ईलाज के दौरान डॉक्टर ने मुझे घर पर रहकर आराम करने की सलाह दी थी तब घर पर रहते रहते बोर होने लगा तो स्टूडेंट्स को नि:शुल्क पढ़ना शुरू किया।

मुकेश एनआईटी सिलचर से बीटेक कर इंजीनियर बना

अब रुपेश और निकेश एयर फोर्स में देश की सेवा कर रहे हैं। वहीं मुकेश एनआईटी सिलचर से बीटेक कर इंजीनियर बना। उसके बाद मुकेश ने GATE QUALIFY कर आईआईटी दिल्ली में पहुँचा। अभी वर्तमान में मुकेश इंजीनियर बन ONGC में ऑफिसर के पद पर कार्यरत है। सफलता के बाद जितेंद्र बहादुर स्वरुप के बेटे बताते हैं कि कैसे आरके सर, पूरी रात लगातार हमलोगों को पढ़ाते थे, कब रात से सुबह हो जाता, पता ही नही चलता था।

आज उनके द्वारा कराये गये मेहनत की ही देन है कि हम इस उपलब्धी तक पहूँचे है। आरके श्रीवास्तव ने कहा आप जैसे स्टूडेंट्स पर काफी गर्व होता है जो अपनी मिट्टी से आज भी जुड़े है। आप देश के उन सभी स्टूडेंटस के लिये रॉल मॉडल,जो गाँव में कम सुविधा में रहकर भी पढ़ते हैं और सफलता पाते हैं साथ ही सरकारी पदों पर कार्यरत होकर देश सेवा कर रहे हैं।

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कौन हैं आरके श्रीवास्तव

एक रुपया में पढ़ाते हैं आरके श्रीवास्तव, 540 गरीब स्टूडेंट्स को बना चुके हैं इंजीनियर बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश में मैथेमैटिक्स गुरु के नाम से मशहूर हैं। खेल-खेल में जादुई तरीके से गणित पढ़ाने का उनका तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। आर्थिक रूप से सैकड़ों गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं।

इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरी रात लगातार 12 घंटे गणित पढ़ा चुके हैं। इनकी शैक्षणिक कार्यशैली की खबरें देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुकी हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप में भी देश इन्हें जानता है।

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