तबाह हो होगा चीनः अगर भारत ने तोड़ लिया इससे नाता, हो जाएगा बर्बाद
मोबाइल हैंड सेट में चीनी कंपनियों की भागीदारी 74 प्रतिशत है। टीवी मार्केट में 42-45 प्रतिशत और व्हाइट गुड्स में 10-12 प्रतिशत है। भारत घरेलू बाजार में चीन पर निर्भरता घटाने का प्रयास कर रहा है।;
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और चीन की मक्कारी भरी चालों से सैनिकों की नृशंस तरीके से हत्याओं से पूरे देश में जिस तरह से लगातार आक्रोश बढ़ रहा है। और चीनी वस्तुओं का बहिष्कार शुरू हो चुका है उससे एक बात बहुत साफ है कि यदि वर्तमान हालात में चीन से अपना कारोबारी नाता तोड़ता है तो निसंदेह भारत का भी नुकसान होगा लेकिन चीन पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।
भारत में चीन के साथ कारोबार से जुड़ी जो कंपनियां है कारोबारी हैं वह सब मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना से जुड़कर अपने कारोबार को पुनः जमा सकते हैं लेकिन चीन के लिए इससे उबर पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि चीन के साथ भारत के इस कारोबार में भारत का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है जबकि इससे अधिक तेजी से चीन का मुनाफा बढ़ रहा है।
अमेरिका के बाद चीन भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, और इसकी कंपनियों के उपभोक्ता वस्तुओं विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी है।
चीन को भारत के साथ एक बड़ा व्यापार मुनाफा प्राप्त है (बिलियन डालर में)
वित्त वर्ष | आयात | निर्यात | भारत का व्यापार घाटा |
2014-15 | 11.93 | 60.41 | 48.48 |
2015-16 | 09.01 | 61.70 | 52.69 |
2016-17 | 10.17 | 61.28 | 51.11 |
2017-18 | 13.33 | 76.38 | 63.05 |
2018-19 | 16.75 | 70.31 | 53.56 |
2019-20 | 15.54 | 62.33 | 46.83 |
आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं
उत्पाद | अप्रैल-फरवरी (बिलियन डालर में) |
इलेक्ट्रिकल मशीनरी एंड इक्विपमेंट | 18.11 |
मशीनरी एंड मैकेनिकल एप्लाएंसेज | 12.78 |
आर्गेनिक कैमिकल्स | 07.53 |
प्लास्टिक एंड आर्टिकल्स | 02.58 |
फर्टीलाइजर्स | 01.80 |
घाटे को कम करने में कोई खास प्रगति नहीं
चीन भारत के घाटे को कम करने के लिए सकारात्मक कदम नहीं उठा रहा | नाप्था बोवाइन लैदर सहित करीब 200 ऐसे सामानों को भारत ने चिह्नित किया है जिन्हें वह निर्यात कर सकता है। |
भारत 2019 में वार्ता से बाहर हो गया था क्योंकि उसे चीनी निर्यात के विरुद्ध सुरक्षा नहीं मिली थी। |
चीन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वित्तीय वर्ष 2017 में 350.2 मिलियन डालर था जो कि 2019 में 229 मिनियन डालर हुआ। 2019 में ही दिसंबर- अप्रैल के बीच चीन ने 127.1 मिलियन डालर का निवेश किया। अप्रैल 2000 से अब तक चीन ने कुल 2342 मिलियन डालर का निवेश किया है। लेकिन चीन का निवेश आटो और स्टार्टअप्स में बढ़ा है। एमजी मोटर्स ने 300 मिलियन डालर का निवेश किया। ग्रेट वाल का एक बिलियन डालर निवेश का प्लान है। 90 भारतीय स्टार्टअप्स में चीन का करीब 4 बिलियन डालर निवेश अनुमानित है। इनमें पीटीएम, बीवाईजेयू, ओयो, ओला, बिग बास्केट, स्वीगी और जमैटो शामिल हैं।
मोबाइल हैंड सेट में चीनी कंपनियों की भागीदारी 74 प्रतिशत है। टीवी मार्केट में 42-45 प्रतिशत और व्हाइट गुड्स में 10-12 प्रतिशत है। भारत घरेलू बाजार में चीन पर निर्भरता घटाने का प्रयास कर रहा है। भारत में चीनी निवेश पर एफडीआई पालिसी को सरकार की मंजूरी की दरकार है। वाणिज्यिक 5जी के मामले में हुवाई की सहभागिता का इंतजार है। भारत चीन से हट रही कंपनियों पर नजर गड़ाए है। आत्मनिर्भर भारत योजना भी चीन पर निर्भरता कम करने में मददगार है। घरेलू एपीआई इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया जा रहा है।
(बिजनेस न्यूज से मिली जानकारी पर आधारित रिपोर्ट)