हिल जाएँगे खाताधारक: म्यूचुअल फंड वालों को लगा झटका, कोर्ट का आया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने इन योजनाओं से पैसे निकालने पर अभी रोक लगा दी है, जिसके चलते अब निवेशक पैसा नहीं निकाल पाएंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अगले आदेश तक निवेशक यूनिट्स को बेच नहीं सकेंगे।

Update:2020-12-04 12:46 IST
सुप्रीम कोर्ट की पीठ फ्रैंकलिन टेम्पलटन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को कड़ी चुनौती दी गई थी।

नई दिल्ली: बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड(Franklin Templeton Mutual Fund) से एक सप्ताह के भीतर 6 बंद की गई योजनाओं के निवेशकों की इजाजत लेने के लिए उनकी बैठक बुलाने के आदेश दिए हैं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इन योजनाओं से पैसे निकालने पर अभी रोक लगा दी है, जिसके चलते अब निवेशक पैसा नहीं निकाल पाएंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि अगले आदेश तक निवेशक यूनिट्स को बेच नहीं सकेंगे। वहीं अब कोर्ट के इस आदेश के बाद फ्रैंकलिन टेम्पल्टन म्यूचुअल फंड के निवेशकों को फिलहाल इंतजार करना पड़ेगा।

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लोग अपना पैसा वापस चाहते

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की पीठ फ्रैंकलिन टेम्पलटन की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को कड़ी चुनौती दी गई थी। हालाकिं याचिका पर मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि ये बड़ा मामला है और लोग अपना पैसा वापस चाहते हैं।

आगे उन्होंने कहा कि किसी भी पक्ष के साथ भेदभाव किए बिना ट्रस्टियों को यूनिटधारकों की बैठक बुलाने की मंजूरी दी जाती है, जिससे इस फैसले पर उनकी रजामंदी ली जा सके और इस बारे में एक हफ्ते के अंदर कदम उठाए जाएं। हालाकिं इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

फोटो-सोशल मीडिया

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निवेशकों की याचिका पर सुनवाई

आपको बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अक्टूबर में फ्रैंकलिन टेम्पलटन को निवेशकों की बिना पूर्व रजामंदी के अपनी डेट फंड स्कीम को बंद करने से रोक दिया था। हाई कोर्ट ने फ्रैंकलिन द्वारा योजनाओं को बंद करने के फैसले को चुनौती देने वाली निवेशकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था।

लेकिन कंपनी ने बॉन्ड बाजार में नकदी की कमी की बात कहते हुए 23 अप्रैल को इन छह योजनाओं को बंद कर दिया। जिसका विरोध हो रहा है। ऐसे में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के वकील प्रताप वेणुगोपाल ने कहा कि बाजार नियामक की इस प्रक्रिया को पूरा करने में कोई भूमिका नहीं है, लेकिन उसने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक को लिखा था।

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