Corona Vaccine: वैक्सीन की फुल डोज़ से भी नहीं मिल रही सुरक्षा, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
कोरोना मरीजों पर एम्स, दिल्ली की एक स्टडी में पता चला है कि वायरस ऐसे लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है जिन्हें कोवैक्सिन या कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी हैं।
नई दिल्ली: भारत में फैले कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) पर वैक्सीन की फुल डोज़ का भी असर नहीं है। कोरोना मरीजों पर एम्स, दिल्ली की एक स्टडी में पता चला है कि वायरस ऐसे लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है जिन्हें कोवैक्सिन या कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी हैं। भारत में ये अपने तरह की पहली स्टडी है। इससे पता चलता है कि डेल्टा वेरियंट कितना घातक और संक्रामक है।
एम्स और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की दो अलग-अलग स्टडी में ये यह भी सामने आया कि डेल्टा वेरिएंट वैक्सीन लगवा चुके। लोगों को अन्य वेरिएंट्स के मुकाबले ज्यादा संक्रमित करता है। स्टडी में पाया गया कि किसी भी वैक्सीन की पहली खुराक के बाद संक्रमण के मामलों में 76.9 प्रतिशत और दोनों खुराकों के बाद संक्रमण के मामलों में 60 प्रतिशत केस डेल्टा वेरिएंट की वजह से थे।
पांच से सात दिन तक तेज बुखार
दोनों संस्थानों ने अपनी स्टडी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के साथ मिलकर की थीं।
एम्स ने कोरोना वायरस से संक्रमित ऐसे 63 लोगों पर स्टडी की थी जो पांच से सात दिन तक तेज बुखार की शिकायत के साथ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में आए थे। इनमें से 53 लोगों को कोवैक्सिन की कम से कम एक खुराक लग चुकी थी, जबकि 10 मरीजों को कोविशील्ड की खुराक लगी थी। 36 लोग ऐसे थे जिन्हें दोनों में से किसी एक वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी थीं।
एनसीडीसी की स्टडी में भी सामने आया कि कोविशील्ड लगवा चुके लोगों के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने की संभावना अधिक रहती है। स्टडी में कोविशील्ड लगवा चुके 27 लोगों में संक्रमण के मामलों का अध्ययन किया गया और इनमें से 70.3 प्रतिशत मामले डेल्टा वेरिएंट से संक्रमण के पाए गए।