AIIMS के पहले अध्ययन में हुआ बड़ा खुलासा, कोरोना वैक्सीन लेने के बाद नहीं गई किसी शख्स की जान

एम्स के पहले अध्ययन पाया गया है कि कोरोना वैक्सीन लेने के बाद जो लोग संक्रमित हुए थे उनमें किसी की भी मौत नहीं हुई है।

Newstrack :  Network
Update: 2021-06-04 17:52 GMT

एम्स-वैक्सीनेशन (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान फैले संक्रमण के प्रभावों को लेकर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) का अध्ययन सामने आ गया है। इस अध्ययन में उन संक्रमित लोगों को शामिल किया गया था जो कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवा चुके थे।

एम्स (AIIMS) के पहले अध्ययन पाया गया है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के बावजूद जो लोग अप्रैल-मई 2021 में फिर से संक्रमित हुए थे उनमें किसी की भी मौत नही है। जानकारी के मुताबिक, अध्ययन में 63 संक्रमित लोगों पर परीक्षण किया गया, जिनमें से 36 मरीजों को कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक दी गई और 27 लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दी गई। बताया जा रहा है कि 53 व्यक्तियों पर कोवैक्सीन (Covaxin) की खुराक दी गई थी, जबकि 10 लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) की खुराक दी गई।

अध्ययन में कोरोना के वेरिएंट B.1.617.2 का 23 सैंपल प्राप्त किए गए थे। इसमें से 11 लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी गई थी, जबकि 12 लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराके लगाई गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सैंपलों में कोरोना के B.1.617.1 और B.1.1.7 वेरिएंट पाए गए थे।

बताया जा रहा है कि इन मरीजों में एंटीबॉडी मौजूद होने के बावजूद वे कोरोना के चपेट में आ गए थे, जिनमें से कई मरीजों को इपरजेंसी में भर्ती करना पड़ा। इसके कारण इम्युनोग्लोबुलिन जी (Immunoglobulin G) को कोरोना के खिलाफ बनाई गई इम्यूनिटी की तरह देखे जाने पर शक होने लगा था।

राहत की बात तो ये कि वैक्सीन की खुराक प्राप्त करने वालों पर संक्रमण ज्यादा घातक नहीं होता है। बता दें कि अध्ययन के दौरान जिन लोगों को शामिल किया गया था, उनकी उम्र 21 से 92 वर्ष थी, जिसमें 41 पुरुष और 22 महिलाएं शामिल थी। 

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