Amit Shah Visit : शाह का गुजरात दौरा और देश में सहकारिता का गुजरात मॉडल लागू करने की तैयारी
Amit Shah Visit : दौरे से पहले अमित शाह का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलना इस बात का संकेत हैं कि गुजरात में कुछ महत्वपूर्ण होने वाला है।
Amit Shah Visit : नरेंद्र मोदी (Narendra modi) के हनुमान और भाजपा के कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में गृह और सहकारिता मंत्रालय सम्भाल रहे अमित शाह (Amit Shah) इन दिनों गुजरात दौरे पर हैं। हालांकि प्रत्यक्ष रूप से यह एक सामान्य दौरा है जिसमें शाह को कई कार्यक्रमों में शामिल होना है। दौरा शनिवार से शुरू हो चुका है। लेकिन इस दौरे से पहले अमित शाह का राष्ट्रपति (president) रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) से मिलना इस बात का संकेत हैं कि गुजरात (Gujarat) में कुछ महत्वपूर्ण होने वाला है। हालांकि इस मुलाकात को एक सामान्य शिष्टाचार भेंट बताया गया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home Minister) अमित शाह ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी और इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया गया था। जबकि बुधवार को किए गए फेरबदल में प्रधानमंत्री (PM) ने गृह मंत्रालय (home Ministry) की जिम्मेदारी के साथ ही शाह को नव निर्मित सहकारिता मंत्रालय (ministry of cooperatives) की भी जिम्मेदारी सौंपी थी। चर्चा इस बात की है कि अमित शाह जल्द ही सहकारिता के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन का एलान कर सकते हैं। और इसी के साथ गुजरात का सहकारिता माडल पूरे देश में लागू किया जा सकता है। शाह का गुजरात दौरा इसी से जुड़ी एक कड़ी है।
नवगठित सहकारिता मंत्रालय की कमान अमित शाह को सौंपे जाने के पीछे सहकारिता क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव मुख्य वजह है। अमित शाह को गुजरात में सहकारिता को लेकर काम करने का अच्छा अनुभव है वह प्रशासनिक रूप से चीजों को बेहतर समझते हैं। एक समय शाह को गुजरात में सहकारिता आंदोलन का पितामह कहा जाता था। उनके नेतृत्व में गाँव, गरीब और किसानों के नेटवर्क से गुजरात ने विकास की नई ऊँचाइयों को छुआ था।
जानकारों का कहना है कि मात्र 36 वर्ष की उम्र में शाह अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष बने थे। उस समय बैंक 20.28 करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा था लेकिन शाह ने मात्र एक साल में बैंक को संकट से उबारकर 6.60 करोड़ रुपए के लाभ में ला दिया था।
विश्लेषकों का यह भी मानना है कि नये सहकारिता मंत्रालय के जरिये निशाने पर महाराष्ट्र और केरल आएंगे जिनका सहकारिता क्षेत्र में सबसे अधिक कब्जा है। महाराष्ट्र में शरद पवार के समर्थन वाली सरकार बैठी है। यहां पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने चीनी मिलों से लेकर तमाम सहकारी संस्थाओं में गहरी पैठ बनाई हुई है। जबकि केरल में यही काम सीपीआईएम ने किया है।
विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र सरकार वैद्यनाथन समिति की रिपोर्ट लागू करना चाह रही है। जिससे सबकुछ रजिस्ट्रार सहकारिता के हाथ से निकलकर रिजर्व बैंक आफ इंडिया के नियंत्रण में आ जाएगा। शाह इन स्थितियों की समीक्षा में जुट गए हैं। हजारों करोड़ के इस सहकारिता क्षेत्र में केंद्र का दखल इसी कारण विपक्षी दलों को हजम नहीं हो रहा है। विपक्ष का तर्क यह है कि सहकारिता राज्य का विषय है। लेकिन अब लगता है कि केंद्र सरकार सहकारिता क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाकर गांव गरीब किसान के विकास के लिए गुजरात माडल पूरे देश में लागू करने की तैयारी में हैं जिसका जल्द ही एलान संभव है।