Black Fungus: छुआछूत से नहीं फैलता ब्लैक फंगस, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताए लक्षण

Black Fungus: एम्स के निदेशक का कहना है कि रिकवरी रेट में बढ़ोतरी के बाद लोगों में पोस्ट कोरोना सिंड्रोम 12 हफ्ते तक रह सकते हैं।

Newstrack :  Network
Published By :  Dharmendra Singh
Update:2021-05-24 19:22 IST

एक कांफ्रेंस के दौरान एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ( फाइल फोटो: सोशल मीडिया) 

Black Fungus: देश भर में कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने तबाही मचाई कर रख दी है। इस बीच ब्लैक फंगस ने भी लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है। इसको लेकर कई तरह की खबरें सामने आ रही हैं। अब स्वास्थ्य मंत्रालय का ब्लैक फंगस पर बयान सामने आया है। मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि ब्लैक फंगस कोई संक्रामक बीमारी नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि ब्लैक फंगस की वजह इम्यूनिटी की कमी ही है। यह साइनस, राइनो ऑर्बिटल और ब्रेन पर प्रभाव डालता है। अब यह छोटी आंत में भी दिखाई दिया है, लेकिन अलग-अलग रंगों के मुताबिक, इसको पहचान देना गलत है।

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया कि एक ही फंगस को अलग-अलग रंगों के नाम से अलग पहचान देने का कोई मतलब नहीं है। यह संक्रमण छुआछूत कोरोना की तरह नहीं फैलता है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। पानी का उबालकर पीना चाहिए।
रणदीप गुलेरिया ने बताया कि नाक के अंदर दर्द-परेशानी, गले में दर्द, चेहरे पर संवेदना कम होना, पेट में दर्द ब्लैक फंगस के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि रंग की जगह लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है। इलाज जल्द किया जाए तो फायदा और बचाव जल्द व निश्चित होता है।

 पोस्ट कोरोना सिंड्रोम 12 हफ्ते तक रह सकते हैं

एम्स के निदेशक का कहना है कि रिकवरी रेट में बढ़ोतरी के बाद लोगों में पोस्ट कोरोना सिंड्रोम 12 हफ्ते तक रह सकते हैं। उन्होंने बताया कि सांस की परेशानी, खांसी, बदन सीने में दर्द, थकान, जोड़ों में दर्द, तनाव, अनिद्रा जैसी समस्याएं रहती हैं। उनके लिए काउंसलिंग, रिबाबिलिटेशन और इलाज जरूरी है। योग भी काफी बढ़िया काम करता है।
गुलेरिया ने बताया कि हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान देखा है कि बच्चों में कोरोना संक्रमण बहुत कम मिला है, इसलिए अभी तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे भी कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण पाया जाएगा।

संक्रमण दर में कमी

स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि देश में संक्रमण दर में लगातार कमी देखी जा रही है। बीते 24 घंटे में कोरोना के 2,22,000 मामले सामने आए हैं। 40 दिन के बाद यह अभी तक के सबसे कम केस मिले हैं।
मंत्रालय ने बताया कि जिला स्तर पर भी कोविड के मामलों में कमी देखी गई है। 3 मई तक रिकवरी रेट 81.7 फीसदी थी, जो अब 88.7 फीसदी तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बीते 22 दिनों से देश में सक्रिय मामलों की संख्या में कमी आ रही है। 3 मई के दौरान देश में 17.13 फीसदी सक्रिय मामलों की संख्या थी जो 10.17 प्रतिशत हो गई है। बीते 2 हफ्तों में 10 लाख सक्रिय मामले कम हो गए हैं फिलहाल भारत 27 लाख केस एक्टिव हैं।

Black Fungus: कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस कहां से

Black Fungus: कोरोना संकट के बीच देशभर में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के बढ़ते मामले अब डराने लगे हैं। कुछ राज्यों ने ब्लैक फंगस को अपने यहां महामारी भी घोषित कर दिया है। ब्लैक फंगस नाम की बीमारी ने लोगों को नए टेंशन में डाल दिया है। स्टेरॉयड के गलत इस्तेमाल से ब्लैक फंगस का इंफेक्शन होने के सवाल पर विशेषज्ञों में मतभेद हैं। कुछ जहां इसे असली वजह बता रहे हैं, तो वहीं कई विशेषज्ञों का कहना है कि स्टेरॉयड काफी समय से तमाम मरीजों को दी जाती रही है लेकिन इस तरह का इंफेक्शन कभी सामने नहीं आया। वहीं कुछ विशेषज्ञ अशुद्ध ऑक्सीजन को इसकी मूल वजह बता रहे हैं, लेकिन सरकार या आईसीएमआर की तरफ से अभी तक इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है जिससे इसे लेकर एक असमंजस का माहौल बनता जा रहा है।
बीएचयू के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विजय नाथ मिश्र भी स्टेरॉयड से ब्लैक फंगस की थ्योरी से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उन्होंने ट्वीट किया है कि न्यूरोलॉजी में, ऐसे सैकड़ों मरीज हर वर्ष होते हैं जिन्हें, विभिन्न रोगों के लिए 4 से 6 महीने तक स्टेरॉड दिया जाता है। कई तो साल भर से भी ज्यादे स्टेरॉड लेते रहते हैं, पर किसी में ब्लैक फंगस नहीं हुआ। आखिर यह कैसे हुआ कि मात्र हफ्तों में, कोविड में, इतने ब्लैक फंगस आ गए!
शुरुआती दौर में कहा जा रहा था कि ब्लैक फंगस की मुख्य वजह स्टेरॉयड का दिया जाना है, लेकिन दुनिया के अन्य मुल्कों में जहां कोरोना फैला वहां ब्लैक फंगस के मामले न मिलना सवाल खड़े करता है। हाल ही में दिल्ली के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स की डॉक्टर प्रोफेसर उमा कुमार ने इस पर सवाल उठाया है और उनका दावा है कि इस बीमारी की कई और वजहें हैं।
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