Budget 2022: भारत के 'आम बजट' के बनने की पूरी प्रक्रिया क्या है?
Budget 2022: बजट सिर्फ वित्त मंत्री और अधिकारियों के मन से नहीं बनाया जाता है। बल्कि इसमें अर्थव्यवस्था के सभी प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता है। इसलिए बजट बनाने की प्रक्रिया लंबी होती है और यह 5 महीने पहले ही चालू हो जाती है।
Budget 2022: भारत का बजट (Budget 2022 ) दुनिया में चुनिंदा सबसे बड़े बजट के रूप में जाना जाता है। यही कारण है कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की निगाहें भारतीय बजट (Indian budget) पर बनी रहती है। लेकिन इतना चर्चित बजट इतने गोपनीय तरीके से बना कैसे लिया जाता है? कौन लोग हैं जो बजट बनाते हैं? आखिर बजट बनाने वाले अधिकारियों को दो-तीन हफ्ते तक बंद ऑफिस में क्यों रखा जाता है? वित्त मंत्री बजट बनाने से पहले हलवा क्यों बांटते हैं? ऐसे तमाम सवाल है जिनके जवाब तलाशे जाते हैं।
बजट बनाने की क्या प्रक्रिया है? (What is the process of making a budget?)
बजट सिर्फ वित्त मंत्री और अधिकारियों के मन से नहीं बनाया जाता है। बल्कि इसमें अर्थव्यवस्था (Economy) के सभी प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता है। इसलिए बजट बनाने की प्रक्रिया लंबी होती है और यह 5 महीने पहले ही चालू हो जाती है। सबसे पहले वित्त मंत्रालय आम लोगों से सुझाव मांगता है। देश के नागरिकों, उद्योग से जुड़े संगठनों, अर्थशास्त्रियों, सिविल सोसाइटी जैसे तमाम प्रतिनिधियों से बजट पूर्व राय मांगी जाती है। इसके बाद वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और सभी अन्य मंत्रालयों की बैठक बुलाई जाती है। सभी पक्षों से आने वाले वित्तीय वर्ष में उनकी जरूरतों का खाका पूछा जाता है। यह सारे कार्य वित्त मंत्रालय में एक नोडल एजेंसी 'बजट डिवीजन' के जरिए किया जाता है।
बजट डिवीजन सबसे पहले राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, सभी मंत्रालयों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर जारी कर उनसे अपने अनुमान बताने को कहता है। मान लीजिए कि 'सड़क एवं परिवहन मंत्रालय' ने इस बार अपना अनुमान दो लाख करोड़ रुपए का जताया है तो वहीं 'रक्षा मंत्रालय' ने चार लाख करोड़ रुपए का जताया है। ऐसे ही सभी मंत्रालय आने वाले वित्तीय वर्ष में अपनी जरूरतों के हिसाब से अपना अनुमान तैयार कर बजट डिवीजन को सौंप देते हैं। इसके बाद वित्त मंत्रालय का 'व्यय विभाग' इस पर चर्चा करता है।
इस प्रक्रिया के बाद आर्थिक मामलों के विभाग और राजस्व विभाग के जरिए देश के बड़े अर्थशास्त्रियों, कारोबारियों, किसान और सिविल सोसाइटी के सदस्यों की बैठक बुलाई जाती है। इस बैठक में तमाम मंत्रालयों के साथ-साथ इन सभी प्रतिनिधियों के मांगों पर चर्चा की जाती है और फिर एक प्रस्ताव बनाया जाता है। अब इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री के सामने चर्चा के लिए पेश किया जाता है। प्रधानमंत्री और उनकी टीम वित्त मंत्रालय के सभी प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर जरूरी सुझाव देती है।
इस पूरी प्रक्रिया के बाद वित्त मंत्रालय 100 लोगों के आसपास की एक टीम गठित करता है। यही टीम नार्थ ब्लॉक ऑफिस में 3 हफ्ते रुक कर बजट तैयार करती है। इस दौरान किसी को भी बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है। सभी लोगों के मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन छीन लिए जाते हैं। बजट की छपाई भी ऑफिस के अंदर ही लगे प्रेस में की जाती है।
बजट छपने के बाद क्या होता है? (budget printing)
बजट की पहली ड्राफ्ट कॉपी छपने के बाद वित्त मंत्री को सौंप दी जाती है। यह ड्राफ्ट पेपर नीले रंग का होता है। वित्त मंत्री इसके बाद राष्ट्रपति से मुलाकात करते हैं और उन्हें बजट की कॉपी सौंपते हैं। राष्ट्रपति से अनुमति मिलने के बाद बजट केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखा जाता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल से परित कराने के बाद वित्त मंत्री संसद के दोनों सदनों में बजट पेश कर देते हैं। सबसे पहले लोकसभा में और फिर राज्यसभा में बजट पर चर्चा कराई जाती है। इसके बाद सभी प्रावधानों पर एक लंबी बहस होती है और तत्पश्चात संसद से बजट पारित कर दिया जाता है।
बजट छपने से पहले वित्त मंत्री हलवा क्यों बांटते हैं? (Halwa Ceremony)
हलवा बनाने और बांटने की प्रक्रिया बजट के एक हफ्ते पहले चालू होती है। असल में इसके पीछे भारत की सांस्कृतिक विरासत छिपी हुई है। भारत में किसी भी शुभ काम से पहले मुंह मीठा करने की परंपरा होती है। चुकी बजट एक बेहद ही शुभ कार्य होता है तो परंपरा वर्ष वित्त मंत्री अधिकारियों का मुंह मीठा करवाने के लिए वित्त मंत्रालय में हलवा बांटते हैं। इसके बाद से ये सभी लोग एक जगह बंद हो जाते हैं और बजट पर काम करते हैं। लेकिन आगामी बजट से पहले यह परंपरा टूट गई है। इस बार कोविड-19 के मामलों को देखते हुए हलवा के जगह मिठाई बांटी गई है।
बजट में इतनी गोपनीयता क्यों रखी जाती है? (why privacy)
बजट आने से पहले गोपनीयता बरतने के बड़े कारण है। पहला कारण तो यह है कि बजट अर्थव्यवस्था का सबसे व्यापक दस्तावेज होता है और पूर्व में इसकी छोटी सी भी जानकारी अर्थव्यवस्था में व्यापक परिवर्तन ला सकती है। उदाहरण के लिए अगर यह सूचना पहले ही लीक हो जाए कि इस बार के बजट में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों से टैक्स हटा लिया जाएगा तो सोचिए क्या होगा?
बाजार में पैसा लगाने वाले लोग पूरा पैसा इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों पर लगा देंगे क्योंकि उन्हें पता होगा कि बजट में घोषणा होते ही इन कंपनियों के शेयर भाव कई गुना बढ़ जाएंगे। इस तरह से वह गैर कानूनी तरीकों से एक लंबा लाभ कमा लेंगे। इसलिए सरकार बजट में गोपनीयता रखने के लिए सबसे सख्त सुरक्षा इंतजाम करती है। दूसरा कारण यह है कि बहुत से अधिकारियों के संपर्क और संबंध उन लोगों से होते हैं जो बजट की सूचना के जरिए निवेश और बचत की नीतियां बनाते हैं। इसलिए अधिकारियों से मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन छीन लिए जाते हैं।