Coronavirus: देश में तीसरी लहर की दस्तक? केवल 2 राज्यों में 90 हजार बच्चे हुए संक्रमित

Coronavirus: देश के केवल दो राज्यों में बीते कुछ महीने में कुल 90 हजार बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं, जिसके बाद आशंका जताई जा रही भारत में तीसरी लहर की दस्तक हो चुकी है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-06-04 09:04 IST

(सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Coronavirus: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर (Corona Virus Second Wave) का कहर जारी है। दूसरी लहर में अचानक संक्रमितों की संख्या में बेहिसाब बढ़ोत्तरी होने से सरकार से लेकर आम जनता को काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ा। इस बीच वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर (Corona Third Wave) की देश में जल्द ही दस्तक होने की आशंका जताई है। ऐसा कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होंगे।

तीसरी लहर को लेकर कई राज्यों ने अभी से अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि जो परिस्थिति दूसरी लहर में पैदा हुआ, वैसी स्थिति दोबारा न देखने को मिले। इसके साथ ही भारत सरकार से बच्चों पर कोवैक्सीन के ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद कई जगहों पर ये परीक्षण शुरू किया जा चुका है। ताकि तीसरी लहर आने से पहले बच्चों के लिए देश में टीका उपलब्ध हो जाए और बच्चों पर वैक्सीनेशन की शुरुआत हो जाए।

हालांकि इस तीसरी लहर से पहले ही देश के दो राज्यों में कोरोना ने 90 हजार बच्चों को अपनी चपेट में ले लिया है। आंकड़ों में सामने आया है कि अप्रैल-मई 2021 के दौरान देश के महज 2 राज्यों में 90 हजार बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि अगर केवल 2 राज्यों में कोरोना से संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या 90 हजार है तो अन्य राज्यों में ये आंकड़े क्या होंगे। साथ ही ये भी सवाल उठने लगा है कि क्या देश में तीसरी लहर की दस्तक हो चुकी है।

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

केवल अहमदनगर में 9 हजार बच्चे हुए संक्रमित

आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र के अहमदनगर में केवल मई 2021 के दौरान करीब 9 हजार बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं। ये आंकड़े सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं। इतनी अधिक संख्या में बच्चों के संक्रमित होने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर के खतरे की घंटी बज चुकी है। ऐसे में राज्य सरकार ने इस लहर से निपटने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

तेलंगाना में भी घातक स्थिति

वहीं, दूसरी ओर तेलंगाना स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि राज्य में इस साल मार्च से मई 2021 तक कुल 37 हजार 332 बच्चे कोरोना की जद में आ चुके हैं। इनमें नवजात से लेकर 19 साल तक की उम्र के बच्चे शामिल हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान 15 अगस्त से 15 सितंबर 2020 के बीच भी 19 हजार 824 बच्चे करोना पॉजिटिव पाए गए थे।

मध्य प्रदेश में 54 हजार हुए संक्रमित

इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी काफी ज्यादा संख्या में बच्चे कोरोना की चपेट में आए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, एमपी में 18 साल से कम उम्र के 54 हजार बच्चे कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जिनमें संक्रमण की दर 6.9 फीसदी रही। इनमें से 12 हजार को अस्पताल में भर्ती भी कराया गया है। यह आंकड़े पहली और दूसरी लहर के दौरान का है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की कोविड पॉजिटिव पेशेंट लाइन लिस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान 2 हजार 699 बच्चे संक्रमित हुए हैं। इनमें से 32 फीसदी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जबकि 58 फीसदी घर पर ही रहकर कोरोना से रिकवर हो गए। इसके अलावा 660 बच्चे होम आइसोलेशन में हैं। आंकड़ों के अनुसार, अब तक 72 फीसदी बच्चों के कोरोना को मात दे दी है।

कोरोना जांच (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तीसरी लहर में 60 फीसदी बच्चों पर खतरा

देश में अब तक हुए सीरो सर्वे में सामने आया है कि कोरोना वायरस की पहली और दूसरी लहर में ही कुल 40 फीसदी बच्चे कोरोना की चपेट में आए हैं। पहली लहर में यह प्रतिशत 15 रहा, जबकि दूसरी लहर के दौरान 25 फीसदी से ज्यादा बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर का खतरा देश के अन्य 60 फीसदी बच्चों पर मंडरा रहा है।

मृत्यु दर पर पड़ेगा असर

विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की दूसरी लहर में काफी बच्चे संक्रमित हुए हैं, लेकिन अच्छी बात ये रही कि उनकी मृत्यु दर कम रही। हालांकि तीसरी लहर को भी लेकर ये भी कहा जा सकता है कि भविष्य में मृत्यु दर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना की तीसरी लहर काफी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।

वहीं, चाइल्ड स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि अगर कोरोना वायरस की तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ा तो हालात काफी ज्यादा खराब हो सकते हैं। क्योंकि बच्चों के इलाज के लिए खास आईसीयू (पीआईसीयू) की आवश्यकता होती है, जो कि देश के चुनिंदा शहरों में ही हैं।

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