Corona Compensation: कोरोना मुआवजे को लेकर राज्यों की आनाकानी पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट, लगाई फटकार

Corona Compensation: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कोई चैरिटी नहीं कर रहे हैं।

Written By :  Krishna Chaudhary
Published By :  Monika
Update: 2022-02-05 04:28 GMT

कोरोना मुआवजे को लेकर राज्यों की आनाकानी (फोटो : सोशल मीडिया )

Corona Compensation: कोरोना (Coronavirus) के प्रकोप के कारण देश में लाखों लोग असमय काल के गाल में समा गए। इन लोगों में ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है जो अपने परिवार के एकमात्र खेवनहाड़ थे। ऐसे में इन लोगों को मुआवजे देने की मांग उठी और मामला देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुंचा। शीर्ष अदालत ने भी सरकारों से कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों को मुआवजा (Corona Compensation) देने का आदेश दिया। लेकिन कुछ राज्य इसे लेकर गंभीर नहीं दिखे। लिहाजा शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत ने ऐसे राज्यों को फटकार लगाते हुए कहा कि तकनीकी आधार पर दावे को खारिज नहीं कर सकते। 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कोई चैरिटी (charity) नहीं कर रहे हैं। ये आपका फर्ज है औऱ आपको इसे दिल से करना चाहिए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में ऐसे कई मामले आए जिसमे राज्य ऑफलाइन एप्लिकेशन सबमिट करने को आधार बना कोरोना क्लेम को खारिज कर देता था। राज्य ऑनलाइन एप्लिकेशन के आधार पर ही कोरोना क्लेम को स्वीकार करते थे। ऐसे मामले सबसे अधिक महाराष्ट्र से सामने आए। लिहाजा शीर्ष अदालत ने राज्यों को क्लेम एप्लिकेशन आने के 10 दिनों के भीतर मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही अदालत ने ऑफलाइन एप्लिकेशन को भी स्वीकार करने का आदेश राज्यों को दिया है। इसके अलावा कर्नाटक में मुआवजे का चेक बाउंस होने के मामलों को गंभीरता से लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य की स्टेट काउंसल को जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

बीते साल SC ने राज्यों को दिया था आदेश

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कोरोना से मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश राज्यों को दिया था। शीर्ष अदालत ने 50 हजार रूपए मुआवजा के तौर पर देने का आदेश दिया था। इसे राज्य आपदा निधि से दिया जाना था। न्यायमूर्ति एमआर शाह औऱ न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की बेंच ने राज्यों द्वारा केवल ऑनलाइन एप्लिकेशन स्वीकार करने और ऑफलाइन एप्लिकेशन को खारिज किए जाने मामलों को बेहद गंभीर बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि तकनीकी आधार पर मुआवजे के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता है।

अनाथ बच्चों को दें कानूनी सेवा

इसले अलावा सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को कोरोना के कारण अपने परिवार के सदस्य खोने वाले सभी परिवारों का ब्यौरा मांगा है। कोर्ट ने इसके लिए राज्यों की अपनी लीगल सर्विस अथॉरिटीज को मैदान में उतारने की सलाह दी है। बेंच ने खासकर कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों को लीगल सपोर्ट मुहैया कराने का आदेश राज्यों को दिया है।

बता दें कि देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4 करोड़ को पार कर चुका है। वहीं कोरोना से जाने गंवाने वालों की संख्या भी 5 लाख को पार कर चुकी है।

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