Coronavirus: अब खोजी कुत्तों की मदद से कोरोना से जंग, पसीना सूंघकर सटीक नतीजा, एयरपोर्ट पर तैनाती

coronavirus: फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में खोजी कुत्तों की इस क्षमता के संबंध में सनसनीखेज खुलासा किया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-05-23 17:47 GMT

एक शख्स को सूंघता डाॅग (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है। इस कारण विभिन्न लैबों पर जांच का बोझ काफी बढ़ चुका है। ऐसे में यह खबर काफी राहत पहुंचाने वाली है कि इंसानों में इस घातक वायरस का पता लगाने में खोजी कुत्ते बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध में खोजी कुत्तों की इस क्षमता के संबंध में सनसनीखेज खुलासा किया है।

फ्रांसीसी वैज्ञानिकों का कहना है कि कुत्तों में सूंघने की शक्ति वैसे ही बहुत ज्यादा होती है और इस संबंध में प्रशिक्षित कुत्ते और बड़ा कमाल दिखा सकते हैं। शोध के मुताबिक प्रशिक्षित कुत्ते इंसानों के पसीने की महक से कोरोना संक्रमण के संबंध में सटीक जानकारी दे सकते हैं। कुत्तों की क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए फिनलैंड के हेलसिंकी-वांता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रशिक्षित कुत्तों की तैनाती भी की जा चुकी है।

कुत्तों के नतीजे 97 फ़ीसदी सटीक

फ्रांसीसी वैज्ञानिकों के शोध में कहा गया है कि कुत्तों की मदद से कोविड स्क्रीनिंग का काम मिनट भर में किया जा सकता है जबकि रैपिड एंटीजन जांच में भी कोरोना वायरस का पता लगाने में इससे ज्यादा समय लगता है। कोरोना वायरस का पता लगाने में कुत्तों की भूमिका के संबंध में यह शोध पेरिस के नेशनल वेटरनरी स्कूल ऑफ एल्फोर्ड के शोधकर्ताओं ने किया है। इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि सूंघने की जबर्दस्त क्षमता के कारण कुत्ते इंसानों में कोरोना वायरस के संक्रमण का 97 फ़ीसदी तक सटीक अंदाजा लगा सकते हैं।



मरीजों का पता लगाने में पहली बार इस्तेमाल

अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता डॉमिनिक ग्रैंडजीन का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ इंसानी शरीर भी प्रतिक्रिया देता है। यह प्रतिक्रिया उसके पसीने और सलाइवा में भी दिखती है। इसे सूंघकर खोजी कुत्ते कोरोना संक्रमण का पता लगा सकते हैं। अभी तक विस्फोटक या ड्रग्स का पता लगाने में ही प्रशिक्षित कुत्तों की मदद ली जा रही है मगर कोरोना संकटकाल में पहली बार कुत्तों के सूंघने की जबर्दस्त क्षमता का उपयोग कोरोना के मरीज का पता लगाने में किया जा रहा है। ग्रैंडजीन का कहना है कि पूरी दुनिया में कोरोना के कहर के दौरान प्रशिक्षित कुत्तों के जरिए टेस्टिंग में बड़ी मदद ली जा सकती है।

सीधे संपर्क में नहीं आएंगे खोजी कुत्ते

एक अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स ने भी अपने अध्ययन में पाया है कि एक खोजी कुत्ते की मदद से एक दिन में 300 इंसानों की कोविड स्क्रीनिंग की जा सकती है। टास्क फोर्स का कहना है कि जांच के लिए कुत्ते के उस व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने की कोई जरूरत भी नहीं होगी। इसमें जांच के लिए नाक से स्वाब नमूने लेने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी। खोजी कुत्तों की मदद से कम समय व संसाधन में भी कोरोना की जांच संभव हो जाएगी। इस अंतरराष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से किया गया था और इसे कोविड-19 संक्रमण का पता लगाने में खोजी कुत्तों के उपयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

कुत्तों की क्षमता पर एक और बड़ा अध्ययन

पेनेसोल्वेनिया स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन डॉग सेंटर की ओर से भी खोजी कुत्तों की क्षमता को लेकर एक अध्ययन किया जा रहा है। इस अध्ययन में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या कुत्ते वैक्सीन लगवा चुके लोगों और संक्रमित लोगों के बीच अंतर कर पाने में सक्षम हैं या नहीं। जानकारों का कहना है कि अगर कुत्ते ऐसा कर पाने में सक्षम हुए तो निश्चित रूप से प्रशिक्षित कुत्तों की मांग में और बढ़ोतरी हो जाएगी।

कोरोना जांच की ट्रेनिंग के दौरान कुत्ते (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

इंसानों से एक हजार गुना अधिक क्षमता

जानकारों का कहना है कि कुत्तों में सूंघने की क्षमता इंसानों से काफी ज्यादा होती है। वे इस मामले में इंसानों से एक हजार गुना आगे होते हैं। कुत्तों की इस क्षमता का उपयोग अब दूसरी बीमारियों का पता लगाने में भी किया जा रहा है। इन कुत्तों की मदद से मधुमेह से लेकर मलेरिया तक के रोगियों का पता लगाया जा रहा है।

फिनलैंड में एयरपोर्ट पर तैनाती

कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की पहचान के लिए फिनलैंड की सरकार ने खोजी कुत्तों की मदद लेना शुरू कर दिया है। फिनलैंड के हेलसिंकी-वांता एयरपोर्ट पर खोजी कुत्तों की मदद से संक्रमित यात्रियों का पता लगाया जा रहा है। कई अन्य देशों ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। अब विभिन्न देश कुत्तों को कोरोना संक्रमण से जुड़ी महक का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित करने में जुट गए हैं। जानकारों का कहना है कि इस कदम से विभिन्न देशों पर टेस्टिंग का बोझ काफी कम हो जाएगा और कोरोना वायरस से जंग लड़ने में और आसानी होगी।


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