दिल्ली AIIMS निदेशक ने दी खुशखबरी, बच्चों के लिए सितंबर तक आएगी कोवैक्सीन

कोरोना के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन (Covaxin) बच्चों के लिए इस्तेमाल की मंजूरी सितंबर तक मिलने की संभावना है। अभी इसके फेज-2, 3 की ट्रायल के नतीजों का इंतजार है।

Written By :  Rahul Singh Rajpoot
Update:2021-06-23 16:52 IST

दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया, फाइल फोटो, सोशल मीडिया 

देश में कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर सरकार अलर्ट है, कई हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दूसरी लहर से ज्यादा खतरनाक तीसरी लहर होगी। तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा घातक साबित हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारे वैज्ञानिक बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन तैयार करने में दिन रात लगे हुए हैं। कोरोना के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन (Covaxin) बच्चों के लिए इस्तेमाल की मंजूरी सितंबर तक मिलने की संभावना है। बता दें अभी देश में 18 साल से ऊपर वालों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। अब सितंबर महीने में दो साल से 17 साल तक उम्र के बच्चों के लिए वैक्सीन आने की खुशखबरी दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने दी है।

एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइड को दिए इंटरव्यू में कहा कि बच्चों पर कोवैक्सिन के फेज-2 और फेज-3 के ट्रायल के डेटा सितंबर तक आ जाएंगे और उसी दौरान बच्चों के लिए वैक्सीन की मंजूरी भी मिल सकती है। रणदीप गुलेरिया ने कहा फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन को भारत में मंजूरी मिलने पर यह बच्चों के लिए दूसरा विकल्प हो सकता है। वहीं कोरोना की तीसरी लहर की बात करें तो गुलेरिया इससे सहमत नहीं हैं कि तीसरी लहर में बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे।

उनका कहना है कि इस थ्योरी पर भरोसा करने की कोई वजह नहीं दिख रही।बता दें एम्स दिल्ली और पटना में 2 से 17 साल के बच्चों पर भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के ट्रायल किए जा रहे हैं। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने 12 मई को बच्चों पर दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल की मंजूरी दी थी। महामारी कोरोना के किसी भी वैरिएंट से भविष्य में आने वाली महामारी के बड़े खतरे को दूर करने के लिए वैज्ञानिकों ने एक वैक्सीन बनाई गई है। ये वैक्सीन कोरोना वायरस के मौजूदा सभी वैरिएंट के अलावा अन्य सभी वैरिएंट पर असरदार है जो जानवरों से मनुष्यों में फैलने का माद्दा रखते हैं।

कोरोना से लड़ने आ रही है सुपरवैक्सीन

दुनियाभर में कोरोना महामारी के अलग-अलग वैरिएंट से खौफ बना हुआ है। कई देशों में कोरोना के तमाम अलग-अलग वैरिएंट के सामने आने की खबरें आ रही हैं। ये वाकई में बहुत चिंताजनक बात है। आखिर इन वैरिएंट से कैसे बचा जाएगा। कोरोना के इन वैरिएंट को मात देने के लिए अब वैज्ञानिक ऐसी वैक्सीन बनाने के काम पर जुटे हुए हैं जो हर तरह के वैरिएंट पर एकदम कारगर साबित होगी। इसके साथ ही भविष्य में आने वाली ऐसी किसी महामारी को भी रोकने में मददगार होगी।

चूहों पर हुआ ट्रायल

सूत्रों से सामने आई खबर के अनुसार, वैज्ञानिकों ने एक ऐसी वैक्सीन बनाई है, जो कोविड-19 के अलावा भी कोरोना वायरस के अन्य सभी वैरिएंट पर असरदार है। वैज्ञानिकों ने अभी इसका ट्रायल चूहों पर किया है। ऐसे में अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अभी से ही इसे लेकर रिसर्च शुरू कर दी है। कई वैज्ञानिकों के अनुसार, किसी को पता नहीं है कि कौन-सा वायरस अगली महामारी को पैदा करदे, ऐसे में अभी से ही हर तरह की तैयारी करनी होगी।

क्या है कोरोना डेल्टा प्लस वैरिएंट

डेल्टा वैरिएंट यानी B.1.617.2 जो सबसे पहले भारत में मिला, फिर धीरे-धीरे दूसरे देशों में भी पाया गया। इसके रूप में बदलावों के कारण डेल्टा प्लस वैरिएंट बना है। यह सबसे पहले यूरोप में मिला था। स्पाइक प्रोटीन कोरोना वायरस का अहम हिस्सा है। इसकी मदद से ही वायरस मानव शरीर में घुसकर संक्रमण फैलाता है।

सुपर-स्प्रेडर है डेल्टा प्लस वैरिएंट

अभी तक जितने भी वैरिएंट आए हैं, डेल्टा उनमें सबसे तेज़ी से फैल रहा है। हालांकि, अल्फा वैरिएंट भी काफी संक्रामक है, लेकिन डेल्टा इससे 60 प्रतिशत ज़्यादा संक्रामक है। डेल्टा से मिलते-जुलते कप्पा वैरिएंट भी वैक्सीन को चकमा देने में कामयाब देखा गया है, लेकिन फिर भी यह बहुत अधिक नहीं फैला, जबकि डेल्टा वेरिएंट सुपर-स्प्रेडर साबित हो रहा है।

डेल्टा प्लस वैरिएंट के लक्षण

कोरोना वायरस के रूप बदलने के बाद लक्षणों में भी कुछ बदलाव देखे गए हैं। इसलिए इनके बारे में जानना ज़रूरी है।

- डेल्टा प्लस वैरिएंट के सामान्य लक्षणों में- सूखी खांसी, बुखार और थकान शामिल हैं।

- वहीं इसके गंभीर लक्षणों की बात करें, तो इसमें सीने में दर्द, सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ और बात करने में तकलीफ हो सकती है।

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