कोविड वैक्सीनेशन को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, अब फ्री में लगाई जाएगी स्पूतनिक-वी वैक्सीन

कोविड महामारी पर नियंत्रण करने के लिए देश में तेजी से वैक्सीनेशन कराया जा रहा है, ताकि आने वाली तीसरी लहर का डटकर मुकाबला किया जा सके।

Newstrack :  Priya Panwar
Update: 2021-07-06 05:22 GMT
रूस की वैक्सीन-स्पूतनिक-वी, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

नई दिल्ली. कोविड महामारी पर नियंत्रण करने के लिए देश में तेजी से वैक्सीनेशन कराया जा रहा है, ताकि आने वाली तीसरी लहर का डटकर मुकाबला किया जा सके। इसके लिए जल्द ही सभी सरकारी टीकाकारण केंद्रों पर रूस की वैक्सीन स्पूतनिक-वी भी उपलब्ध कराई जाएंगी। बता दें कि अब तक इन केंद्रों पर कोविशील्ड और कोवैक्सीन जैसी वैक्सीन ही डोज लोगों को लगाई जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोविड -19 कार्य समूह के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा ने इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन सेंटर पर स्पूतनिक-वी वैक्सीन फ्री में उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने ये भी कहा, ''अभी स्पूतनिक-वी केवल प्राइवेट हास्पिटल्स में ही उपलब्ध है। हम इसे हमारे  फ्री वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत उपलब्ध कराना चाहते हैं, लेकिन यह वैक्सीन की सप्लाई पर निर्भर करेगा।''

स्पूतनिक-वी को चाहिए इतना तापमान

डॉक्टर एनके अरोडा ने बताया कि रूस की कोविड वैक्सीन स्पूतनिक-वी को -18 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर करना होता है। ऐसे में स्पूतनिक-वी को पोलियो वैक्सीन रखने में काम आने वाली कोल्ड चेन फैसिलिटीज को स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि वैक्सीन को देश के गांव-गांव में पहुंचाया जा सके। 

जुलाई के अंत तक लगेगी 50 करोड डोज 

डॉ. अरोड़ा ने बताया कि देश में पोलियो के टिके भी लगाए जा रहे है। ऐसे में कुछ इलाकों में कोविड वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी पड़ी है।  खबरों की मानें तो डॉक्टर अरोडा ने दावा किया कि अब तक 34 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं और जुलाई अंत तक 12-16 करोड़ वैक्सीन लगने की संभवाना है। जनवरी माह में केंद्र सरकार ने दावा किया था कि जुलाई के अंत तक करीब 50 करोड़ डोज लगा दी जाएंगी। जिसे पूरा किया जा सकेगा।  

तीसरी लहर को डेल्टा प्लस से जोड़ना जल्दबाजी होगा 

डॉक्टर अरोडा ने कहा कि तीसरी लहर की संभावना को डेल्टा प्लस वैरिएंट से जोड़कर देखना जल्दबाजी होगी। देश में अब तक ऐसे केवल 52 मामले सामने आए है। अगर आईसीएमआर की ताजा रिपोर्ट दिखी जाए तो उसमें अगले साल फरवरी या मार्च तक तीसरी लहर आने की भविष्यवाणी की है, ऐसे में भारत के पास करीब आठ महीने का वक्त है। 

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