रक्षा मंत्री का लद्दाख दौरा: चार पुलों का करेंगे लोकार्पण, ये हैं सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण
सामरिक दृष्टि से ये पुल बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस पुल से चीन की सीमा तक भारतीय सेना को पहुंचने में आसानी होगी साथ ही सीमा पर रहने वाले लोगों को भी आवागमन में सुविधा मिलेगी।;
Defense Minister's visit to Ladakh: देश के रक्षा मंत्री (Defense Minister) लद्दाख के तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को लेह पहुंच चुके हैं। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़कों पर नवनिर्मित चार पुलों का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज, सोमवार को लोकार्पण करेंगे। बता दें कि इनमें एक स्पान पुल जबकि तीन बैली ब्रिज शामिल हैं। सामरिक दृष्टि से ये पुल बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस पुल से चीन की सीमा तक भारतीय सेना को पहुंचने में आसानी होगी साथ ही सीमा पर रहने वाले लोगों को भी आवागमन में सुविधा मिलेगी।
सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organization) बीआरओ के हीरक परियोजना के चीफ इंजीनियर एमएनवी प्रसाद ने बताया कि जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर जौनालीगाड़ में 6.5 करोड़ की लागत से 70 मीटर लंबे स्पान पुल का निर्माण किया गया है।
ये हैं वो चार पुल
तवाघाट-घटियाबगड़ मार्ग पर जुंतीगाड़ में 140 फीट ट्रिपल सिंगल रीइंसफोर्स्ड बैली ब्रिज, जौलजीबी-मुनस्यारी सड़क पर किरकुटिया नाला पर 180 फीट डबल-डबल रीइंसफोर्स्ड बैल ब्रिज और मुनस्यारी-बोगडियार-मिलम मोटर मार्ग पर लास्पा नाले पर 140 फीट डबल-डबल रीइंसफोर्स्ड बैली ब्रिज का निर्माण किया गया है। इन पुलों का ऑनलाइन शुभारंभ सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
रक्षा मंत्री का लद्दाख दौरा: फोटो- सोशल मीडिया
सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण
लास्पा नाले में बना बेली ब्रिज उच्च हिमालयी क्षेत्र में है। जौलजीबी-मुनस्यारी-मिलम और तवाघाट-घट्टाबगड़ सड़कें सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन पुलों के निर्माण से चीन सीमा तक भारत की पहुंच और अधिक मजबूत होगी। प्रवास पर जाने वाले धारचूला और मुनस्यारी के स्थानीय नागरिकों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी और पर्यटन गतिविधियों भी बढ़ेंगी।
सुरक्षा तैयारियों का लेंगे जायजा
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच पूर्वी लद्दाख में भारत की परिचालन तत्परता की व्यापक समीक्षा करेंगे। संवेदनशील क्षेत्र की उनकी यात्रा भारत और चीन द्वारा पिछले साल मई की शुरुआत में शुरू हुए लंबे सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए नए दौर की राजनयिक वार्ता के दो दिन बाद हो रही है।
फरवरी में एक समझौते के तहत भारतीय और चीनी सेनाओं द्वारा पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों, टैंकों, पैदल सेना और अन्य उपकरणों को वापसी के बाद रक्षा मंत्री की पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) की यह पहली यात्रा है। रक्षा मंत्री जमीनी हकीकत का आकलन करने के साथ-साथ शत्रुतापूर्ण माहौल में वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा करने वाले सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए क्षेत्र में विभिन्न प्रमुख संरचनाओं और ऊंचाई वाले ठिकानों का दौरा करेंगे।