परिसीमन आयोग की टीम ने लिया बड़ा फैसला, जम्मू कश्मीर में बढ़ेंगी विधानसभा की सात सीट

जम्मू और कश्मीर में परिसीमन आयोग के बाद यहां की सात विधानसभा सीटें अब बढ़ाई जाएगी।

Newstrack :  Network
Published By :  Shweta
Update: 2021-07-09 11:51 GMT

सुशील चंद्रा ( फाइल फोटो सोशल मीडिया) 

जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग के बाद यहां की सात विधानसभा सीटें अब बढ़ाई जाएगी। इस प्रक्रिया के बाद से विधानसभा में 83 सीटों की जगह 90 सीटें हो जाएगी। यह जानकारी 'सीमा निर्धारण' आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी हैं। इस दौरान मुख्य चुनाव के अभिकर्ता सुशील चंद्रा उपस्थित रहे। वहीं यह पूरी प्रक्रिया मार्च साल 2022 तक पूरी तरह से हो जाएगी।

बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि 2011 की जनगणना के आधार पर ही यह परिसीमन निर्धारित किया जाएंगा। इतना ही नहीं इस परिसीमन का जो मसौदा बनेगा उसे जनता के बीच पेश किया जाएगा। इसके बाद जो जनता जो भी अपना सुझाव देगी उसे देखते हुए फाइनल मसौदा आएगा। वहीं जम्मू-कश्मीर के परिसीमन आयोग की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई और मुख्य चुनाव अभिकर्ता सुशील चंद्र ने आगे कहा कि यहां के विधानसभा क्षेत्रों का जो परिसीमन है उसे साफ और पारदर्शी होगा।

वहीं बात को आगे बढ़ते हुए कहा कि, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन साफ-सुथरे और पारदर्शी तरीके से होगा और ऐसा वह दिलासा देते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि यहां के विधानसभा क्षेत्रों का एक संवैधानिक प्रक्रिया है और पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत ही चल रही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि पीओके के लिए जो खाली 24 सीटे है उससे कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह परिसीमन आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। परिसीमन आयोग की अध्यक्ष ने आगे कहा कि चार दिनों के दौरे के बाद ही से वह 290 प्रतिनिधिमंडल आयोग से मिले और सभी का सुझाव लिया गया इसके साथ ही सभी को ज्ञापन सौंपे गए।

कॉन्सेप्ट फोटो ( फोटो सोशल मीडिया)

एसोसिएट मेंबर्स के साथ की जाएंगी ड्रॉप्ड प्रस्तावों पर चर्चा

आपको बताते चलें कि इस दौरान परिसीमन आयोग की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई ने बताया कि वह एसोसिएट मेंबर्स के साथ मीटिंग में वह ड्रॉप्ड प्रस्तावों पर चर्चा करेंगी। जिसके बाद ही फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मार्च 2022 के अंत में आयोग अपनी सारी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में पिछला परिसीमन 1995 में 1981 की जनगणना के आधार पर ही किया गया था। इस बार जनगणना के अलावा संचार, भौगोलिक स्थिति आदि सभी को ध्यान में रखा जाएगा।

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