Diwali 2021: कैसे मनाई जाती है विदेशों में 'हैप्पी दिवाली', क्या आप जानते हैं

Diwali 2021: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाई जाती है दिवाली।

Newstrack :  Network
Published By :  Ragini Sinha
Update:2021-11-02 16:26 IST

Diwali 2021: कैसे मनाई जाती है विदेशों में ‘हैप्पी दिवाली’ (social media) 

Diwali 2021: दिवाली का त्योहार नजदीक है, आप भारत में दिवाली कैसे मनाते हैं यह तो आपको अच्छी तरह से पता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि विदेशों में दिवाली कैसे मनाते हैं। विदेश में लोग पटाखों के धूम-धड़ाके और शोरगुल के बगैर 'हैप्पी दिवाली' (Happy Diwali) मना लेते हैं। आइए जानें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाई जाती है दिवाली।


ब्रिटेन

ब्रिटेन में लक्ष्मी मंदिर (Lakshmi puja) में धूप-दीपक जलाने और फूल-मिठाई चढ़ाने से दिवाली (Diwali celebration) की शुरुआत होती है। वहीं, शाम को लोग घर के अंदर और बाहर दीपक जलाते हैं और मंदिरों को दीयों और लाइटों से सजाते हैं। साथ ही एक-दूसरे को मिठाई बांटते हैं। वहां के लोग सामुदायिक रूप से बिना धुएं-शोरशराबे वाले पटाखे जलाते हैं।


नेपाल

  • नेपाल में दिवाली (Diwali celebration in nepal) का त्योहार पांच दिन चलता है। पहले दिन गाय को चावल खिलाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी गाय पर सवार होकर आती हैं। 
  • दूसरे दिन कुत्तों को अलग-अलग पकवान खिलाने की भी परंपरा है। ऐसा इसलिए क्योंकि भैरव की सवारी माने जाते हैं कुत्ते
  • तीसरे दिन होता है मां लक्ष्मी पूजन, इस दिन लोग घरों के अंदर-बाहर मिट्टी के दीये जलाते हैं, पटाखे फोड़े जाते हैं।
  •  चौथे दिन यम पूजा होती है 
  • पांचवें दिन भैया दूज का व्रत

ऑस्ट्रेलिया 

ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न के फेडरेशन स्क्वायर पर दिवाली की रात की आतिशबाजी का नजारा देखने को मिलता है। वहां के लोग आकाश में रोशनी बिखेरने के लिए पटाखे फोड़ते हैं, बता दें की वह ऐसे पटाखे फोड़ते हैं, जो वायु-ध्वनि प्रदूषण नहीं फैलाते। वहीं, वहां रहने वाले भारतीय एकजुट होकर नाच-गाने का लुत्फ उठाते हैं, एक-दूसरे को तोहफे देते हैं।


गुयाना 

गुयाना में रंगोली बनाने और रंग-बिरंगी लाइटों से घर को सजाने की परंपरा है। रात में दीये जलाये जाते हैं। लोग इस दिन नए कपड़े पहनकर लक्ष्मी पूजन करते हैं। गणेश भगवान को खुश करने के लिए लड्डू का भोग लगाते हैं।

कनाडा 

कनाडा में कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे जलाए जाते हैं। दिवाली पर आतिशबाजी का खर्च भी सब मिलकर उठाते हैं। सामुदायिक नृत्य-गायन एवं रात्रिभोज कार्यक्रम होते हैं।

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