DRDO ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का किया सफल परीक्षण, जानें इसकी खासियतें
BrahMos Supersonic Cruise Missile: डीआरडीओ ने बुधवार को अंडमान निकोबार द्वीप समूह में सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।
BrahMos Supersonic Cruise Missile: भारत अपनी रक्षा तैयारियों को लगातार मजबूती प्रदान करने में जुटा हुआ है। भारत के सामने मौजूद टू फ्रंट वॉर के संभावित सिचुएशेन के लिए जरूरी है कि उसके पास उन्नत किस्म की मिसाइलें मौजूद हों। भारत की अग्रणी रक्षा संस्थान डीआरडीओ ने एकबार फिर इस दिशा में बड़ी कामयाबी हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बुधवार 23 मार्च 2020 को अंडमान निकोबार द्वीप समूह में सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos Supersonic Cruise Missile) का सफल परीक्षण किया है। मिसाइल ने तय टारगेट पर लक्षित समय पर अचूक निशाना लगाया।
बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में अंतर
क्रूज मिसाइल जेट इंजन से उड़ान के लिए ऊर्जा हासिल करती है। यह सबसोनिक गति से उड़ान भरती है। वहीं बैलेस्टिक रॉकेट इंजन से पॉवर हासिल करती है। बैलेस्टिक मिसाइल को लॉन्च करने के बाद कुछ समय के लिए प्रोपेल किया जाता है। जबकि क्रूज मिसाइल सेल्फ प्रोपेल्ड होती हैं। ये लक्ष्य को भेद्दने तक प्रोपेल होते रहती है।
इसके अलावा एक अन्य अंतर ये है कि बैलेस्टिक मिसाइल वायुमंडल के बाहर जाकर फिर वापस वायुमंडल में आती है और टारगेट को हिट करती है। जबकि क्रूज मिसाइल वायुमंडल के अंदर ही तैरते हुए टारगेट को निशाना बनाती है। ये कभी वायुमंडल के बाहर नहीं जाती।
किस तरह के हथियार ले जाती हैं दोनों मिसाइलें
बैलेस्टिक मिसाइल ज्यादा वजन के वॉरहेड को ले जाने में सक्षम है। इनपर भारी परमाणु हथियार और कई वॉरहेडस लगाए जा सकते हैं। वहीं क्रूज मिसाइल में केवल एक एकमात्र वॉरहेड होता है जो कि एक पारंपरिक हथियार होता है। इससे सटीकता के साथ सीधा निशाना लगाया जाता है।
भारत की बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइलें
भारत के पास बैलेस्टिक मिसाइलों का जखीरा है। इस सेगमेंट में भारत के पास कई रेंज के मिसाइल उपलब्ध हैं। जो इस पक्रार हैं - पृथ्वी-1, पृथ्वी-2, अग्नि-1, अग्नि-2, धनुष इत्यादि। वहीं क्रूज मिसाइल केवस एक है वो है ब्रह्मोस। इसे दुनिया का सबसे खतनाक, घातक तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है। भारत भविष्य में इसके उन्नत संस्करण ब्रह्मोस – 2 को लाने का विचार भी कर रहा है।
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