महंगाई की एक और मार: दवाओं की कीमतों में उछाल, अप्रैल से 10% तक वृद्धि
Medicine Prices Increase: अप्रैल 2022 से 800 से ज्यादा जरूरी दवाओं की कीमतों में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने जा रही है। पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतों में पहले ही इजाफा हुआ है।
Medicine Prices Increase: जैसा कि माना जा रहा था कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आते है महंगाई की मार आम आदमी पर पड़ेगी, वैसा ही हो रहा है। पहले, पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) और एलपीजी गैस सिलेंडर (Lpg Gas Cylinder) और अब दवाओं की कीमतें भी बढ़ने वाली हैं। आवश्यक दवाओं के मूल्य पर भी महंगाई का साया (Essential medicines Price Hike) पड़ता दिख रहा है।
ताजा जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2022 से 800 से ज्यादा जरूरी दवाओं की कीमतों में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी (Essential medicines Price Hike) होने जा रही है। इनमें बुखार (Fever), हृदय रोग (Heart Disease), हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), त्वचा रोग (skin disease) और एनीमिया (Anemia) के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाएं भी शामिल हैं।
इन दवाओं पर भी गिरेगी महंगाई की गाज
बताया जा रहा है, कि अगले महीने से पेन किलर (Pain Killer) तथा एंटीबायोटिक (Antibiotic) दवाएं महंगी होने वाली है। इनमें पैरासिटामॉल (paracetamol), फिनाइटोइन सोडियम, मेट्रोनिडाजोल जैसी आवश्यक दवाएं भी शामिल हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने शेड्यूल ड्रग्स (Schedule Drugs) की कीमतों में बढ़ोतरी को अपनी तरफ से हरी झंडी दे दी है। नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) के अनुसार, इन दवाओं के दाम थोक महंगाई दर के आधार पर की गई है।
10.7 फीसदी बढ़ोतरी को मंजूरी
गौरतलब है, कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद से ही फार्मा इंडस्ट्री (pharma industry) दवा की कीमतें बढ़ाई जाने की लगातार मांग करती रही थी। एनपीपीए ने शेड्यूल ड्रग्स के लिए कीमतों में 10.7 फीसदी बढ़ोतरी की मंजूरी दी है। यहां आपको बता दें, कि शेड्यूल ड्रग्स में आवश्यक दवाएं शामिल हैं। इनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है और इनकी कीमतें बगैर अनुमति नहीं बढ़ाए जा सकते हैं। सबसे खास बात है, कि जिन दवाओं के दाम बढ़ाए जा रहे हैं, उनमें कोरोना के गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं।
ग्लिसरीन के दाम अप्रत्याशित बढे
फार्मा इंडस्ट्री के जानकार के अनुसार, बीते दो साल के दौरान कुछ प्रमुख एपीआई की कीमतों में करीब 15 से 130 फीसद तक बढ़ोतरी हो चुकी है। इसी तरह, पैरासिटामोल (paracetamol) की दरों में 130 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। जबकि, सिरप तथा ओरल ड्रॉप के साथ कई अन्य दवाओं और मेडिकल एप्लीकेशन में इस्तेमाल में होने वाले ग्लिसरीन के दाम 263 फीसद और पॉपीलन ग्लाइकोल की कीमत 83 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इंटरमीडिएट्स के दाम 11 प्रतिशत से 175 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। बढ़ती लागत मद्देनजर साल 2021 के अंत में फार्मा इंडस्ट्री ने केंद्र सरकार से दवाओं के दाम बढ़ाने का आग्रह किया था।