Goa Revolution Day: गोवा क्रांति दिवस पर याद किये जा रहे लोहिया

डॉ. राम मनोहर लोहिया ने ही लोगों में आजादी के प्रति जोश भरा और पुर्तगालियों के विरूद्ध एकजुट होने के लिए लोगों का नेतृत्व किया।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Pallavi Srivastava
Update: 2021-06-18 06:19 GMT

Goa Revolution Day: भले ही गोवा को पुर्तगालियों के शासन से आजादी 19 दिसंबर को मिली थी लेकिन हर साल 18 जून को गोवा क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन यानी 18 जून 1946 को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने गोवा के लोगों को पुर्तगालियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया था। इसी दिन लोहिया ने अपने जोशीले भाषण से आजादी की लड़ाई को मजबूत किया और आगे बढ़ाया। गोवा की मुक्ति के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला। अन्ततः 19 दिसम्बर 1961 को भारतीय सेना ने इस क्षेत्र को पुर्तगाली आधिपत्य से मुक्त करवाया और गोवा को भारत में शामिल कर लिया गया।

दरअसल 1946 में जब लगने लगा कि अब अंग्रेज भारत में ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगे, तब राष्ट्रीय नेता यही मानकर चल रहे थे कि अंग्रेजों के साथ-साथ पुर्तगाली भी गोवा छोड़कर चले जाएंगे। हालांकि राममनोहर लोहिया ऐसा नहीं मानते थे। उनको लगता था कि पुर्तगाली जाने वाले नहीं हैं। यही वजह थी कि लोहिया ने 18 जून, 1946 को गोवा में डॉ. जुलियो मेनजेस के साथ एक बैठक बुलाई जिसमें हजारों गोवावासी शामिल हुए। इन दोनों नेताओं ने उस दिन गोवा वासियों के दिलों में आजादी की लौ जलाई थी। लोहिया ने ही लोगों में आजादी के प्रति जोश भरा और पुर्तगालियों के विरूद्ध एकजुट होने के लिए लोगों का नेतृत्व किया। उन्होंने नागरिक अधिकारों के हनन के विरोध में सभा करने की चेतावनी दी, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। लेकिन उनके नेतृत्व में लोगों में आजादी के प्रति जोश जाग उठा था और विरोध तेज होने लगा था।

1961 में भारतीय सेना के तीनों अंगों को पुर्तगाली सेना के खिलाफ युद्ध के लिए तैयार रहने के आदेश मिले। 2 दिसम्बर को गोवा मुक्ति का अभियान शुरू कर दिया। 17 इन्फैंट्री डिवीजन और 50 पैरा ब्रिगेड की कमान मेजर जनरल के.पी. कैंडेथ ने संभाली। वायु सेना ने 8 और 9 दिसम्बर को पुर्तगालियों के ठिकाने पर बमबारी की। इस अभियान में कई भारतीय सैनिक और पुर्तगाली मारे भी गए। इसके परिणामस्वरूप 19 दिसम्बर, 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर मैन्यू वासलो डे सिल्वा ने भारत के सामने समर्पण कर दिया। क्योंकि दमन डीप भी उस समय गोवा का हिस्सा था, तो इस तरह दमन दीव भी आजाद हुआ।

दयानंद भंडारकर बने गोवा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री

गोवा को आजादी 1961 में मिली लेकिन पूर्ण राज्य बनने में भी समय लगा। आजादी के एक साल बाद चुनाव हुए और दयानंद भंडारकर गोवा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री बने। महाराष्ट्र में विलय की बात पर गोवा में जनमत संग्रह हुआ और लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में रहना पसंद किया। वर्ष 1987 की 30 मई को गोवा भारत का 25वां पूर्ण राज्य बना।

गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार

भारत की आजादी के 14 वर्षों के बाद तक गोवा को आजादी नहीं मिली थी। 1510 में, पुर्तगालियों ने एक स्थानीय सहयोगी, तिमैया की मदद से सत्तारूढ़ बीजापुर सुल्तान यूसुफ आदिल शाह को पराजित कर गोवा को अपने अधीन किया और यहां 450 सालों तक शासन किया। उन्होंने वेल्हा गोवा में एक स्थायी राज्य की स्थापना की। उन्होंने यहां गोवा का सामरिक महत्व देखते हुए, इसे एशिया में पुर्तगाल शसित क्षेत्रों की राजधानी बना दिया गया। वर्ष 1900 तक गोवा में काफी विकास हुआ, लेकिन बाद में इस क्षेत्र को हैजा, प्लेग जैसी गंभीर महामारियों ने घेर लिया था। बाद में कुछ समय तक यहां अंग्रेजों का भी राज रहा।

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