हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को लताड़ा, नहीं चाहिए फाइव स्टार सुविधा

हाईकोर्ट की फटकार पर दिल्‍ली सरकार के अधिवक्‍ता ने सफाई दी कि सरकार ने बेहतर सुविधा देने के लिहाज से ऐसा किया है।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  APOORWA CHANDEL
Update: 2021-04-27 14:26 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट (फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली हाईकोर्ट के जजों और उनके परिवारीजनों के लिए फाइव स्‍टार होटल अशोका में कोविड केयर सेंटर बनाए जाने की खबर पर हाईकोर्ट ने दिल्‍ली सरकार को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्‍ली सरकार जहां अपने लोगों को ऑक्‍सीजन भी मुहैया नहीं करा पा रही है वहां हाईकोर्ट के जज और अधिकारियों के लिए फाइव स्‍टॉर होटल में सुविधाएं कैसे दे सकती है। हाईकोर्ट ने कभी दिल्‍ली सरकार से ऐसा करने को नहीं कहा। अदालत ने दिल्‍ली सरकार से कहा कि वह अपने आदेश में सुधार करे अन्‍यथा वह दिल्‍ली सरकार के आदेश को रद्द कर देगी। हाईकोर्ट की फटकार पर दिल्‍ली सरकार के अधिवक्‍ता ने सफाई दी कि सरकार ने बेहतर सुविधा देने के लिहाज से ऐसा किया है। मीडिया ने गलत तरीके से मामले को पेश किया है।

दिल्‍ली के फाइव स्‍टॉर होटल अशोका में हाईकोर्ट के जज व अधिकारियों के परिवारीजनों के लिए 100 कमरों वाला कोविड केयर सेंटर बनाए जाने की खबर पर मंगलवार को हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। मामले का स्‍वत संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की दो सदस्‍यों वाली खंडपीड ने दिल्‍ली सरकार के अधिवक्‍ता को जमकर लताड़ा। न्‍यायमूर्ति विपिन सांघी और रेखा पल्‍ली ने इस बात पर नाराजगी जताई कि फाइव स्‍टॉर होटल में विशिष्‍ट कोविड केयर सेंटर बनाए जाने के लिए दिल्‍ली सरकार की ओर से यह बताया गया कि ऐसा हाईकोर्ट के अनुरोध पर किया जा रहा है। जबकि हाईकोर्ट की ओर से दिल्‍ली सरकार से ऐसा कहा ही नहीं गया। इस पर दिल्‍ली सरकार के अधिवक्‍ता ने कहा कि मीडिया ने गलत अर्थ निकालते हुए रिपोर्टिंग की है।

सरकार नागरिकों को नहीं दे पा रही उपचार

अदालत ने कहा कि मीडिया ने बिल्‍कुल ठीक अर्थ निकाला है। यह आदेश ही गलत है। सरकार किसी भी वर्ग विशेष के लिए विशेष इंतजाम नहीं कर सकती है। दिल्‍ली में एक ओर सरकार अपने नागरिकों को अस्‍पताल में सामान्‍य उपचार नहीं दे पा रही है। लोग ऑक्‍सीजन के बगैर दम तोड़ रहे हैं दूसरी ओर फाइव स्‍टॉर होटल में कोविड केयर सेंटर बनाया जा रहा है। अदालत ने कहा कि हमने निचली अदालतों के संदर्भ में मीटिंग बुलाई थी। उन्‍हें रोज कोर्ट जाना पड़ रहा है। निचली अदालतों के दो न्‍यायिक अधिकारी इलाज नहीं मिलने से दम तोड़ चुके हैं। मीटिंग का मकसद सभी को इलाज की व्‍यवस्‍था सुनिश्चित कराना था, लोगों को अस्‍पताल में भर्ती दिलाना था लेकिन सरकार ने फाइव स्‍टॉर होटल में सेंटर बनाने का गलत आदेश जारी किया है।

इस पर एक बार फिर दिल्‍ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि हाईकोर्ट के अधिवक्‍ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से अपने लिए अलग इंतजाम करने का अनुरोध किया है। सरकार अगर अधिवक्‍ताओं के लिए अलग इंतजाम करती तो गलत संदेश जाता। इसलिए ऐसा किया गया है। दिल्‍ली सरकार से नाराज अदालत ने कहा कि आपकी समस्‍या यही है कि आप बगैर सोचे –समझे केवल आर्डर जारी करते हैं, दांये-बांये और सीधे केंद्र में ।

अंत में अदालत ने कहा कि एक संवैधानिक संस्‍था होने के नाते वह कभी ऐसा कह भी नहीं सकते हैं कि किसी वर्ग विशेष के लिए विशि‍ष्ट प्रबंध किए जाएं। ऐसा करना पूरी तरह से पक्षपाती होगा। एक ओर लोगों को सामान्‍य उपचार भी नहीं मिल सके और दूसरी ओर अदालत के लिए फाइव स्‍टॉर होटल में उपचार के लिए इंतजाम किए जाएं।

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