Independence Day 2021: आजादी के बाद भारत को बनाने में सरदार वल्लभ पटेल का अहम योगदान, जानें पूरा इतिहास

Independence Day 2021: भारत को बनाने में सरदार पटेल का रोल अहम है। 15 अगस्त 1947 को भारत देश अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद हुआ।

Written By :  Anshul Thakur
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-08-15 09:38 IST

सरदार वल्लभ भाई पटेल और भारत का राष्ट्रीय ध्वज (डिजाइन फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Independence Day 2021: भारत को बनाने में सरदार पटेल का रोल अहम है। 15 अगस्त 1947 (Independence day) को भारत देश अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद हुआ। लेकिन इसी के साथ भारत को विभाजन का घाव भी झेलना पड़ा। भारत में एक लकीर खींची गई जिसके एक तरफ पाकिस्तान और एक तरफ हिंदुस्तान रहा। जिस वक्त भारत का विभाजन (Partition) हो रहा था। उस समय भारत 522 रियासतों में बटा हुआ था।

भारत का जो नक्शा आज आप देख रहे हैं। यह हमेशा से ऐसा नहीं था। आजादी के वक्त तक भारत 522 रियासतों में बटा हुआ था। उस वक्त ब्रिटिश सरकार ने सभी रियासतों को कहा कि यह सभी रियासतें अपनी मर्जी से तय कर सकती है कि, उन्हें भारत का हिस्सा बनना है या पाकिस्तान का (India Pakistan Partition) हिस्सा बनना है। इसी के साथ यह सभी रियासतें स्वतंत्र भी रह सकती है। लेकिन ब्रिटेन उन्हें मान्यता नहीं देगा।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की तस्वीर (फाइल फोटो:सोशल मीडिया)

27 जून 1947 को रियासत विभाग का गठन किया गया

अब जरूरत थी इन सभी रियासतों को भारत संघ के साथ में लाने की और एक नक्शा तैयार करने की। इसकी शुरुआत माउंटबेटन के रहते ही हो गई थी। 27 जून 1947 को रियासत विभाग का गठन किया गया। इसका पूरा जिम्मा 'सरदार वल्लभ भाई पटेल' (Sardar Vallabhbhai Patel) और वीपी मैनन (V. P. Menon) पर था। वी.पी मैनन सरदार वल्लभ भाई पटेल के सचिव बने और सभी रियासतों को भारत में मिलाने का काम में लग गए। इसके लिए साम दाम दंड भेद हर चीज का इस्तेमाल किया गया।

सरदार वल्लभ भाई पटेल और वीपी मैनन ने घुम-घुम कर रियासतों को भारत में लाने का प्रयास किया

सरदार वल्लभ भाई पटेल और वीपी मैनन कई रियासतों में घूम-घूम कर उन्हें भारत संघ के साथ आने के लिए मनाने का प्रयास किया। इसका नतीजा यह हुआ की भारत के विभाजन के समय तक ज्यादातर रियासतें भारत के साथ विलय के लिए तैयार हो गई थी। लेकिन इसमें कई अपवाद भी थे। जैसे त्रावणकोर, भोपाल, हैदराबाद, जूनागढ़ और जोधपुर जो अब भी आजाद रहना या पाकिस्तान के साथ मिलना चाहती थी।

 त्रावणकोर रियासत में कांग्रेस सरकार पर सवाल उठा 

बात करते हैं त्रावणकोर रियासत की। तो आपको बता दें कि त्रावणकोर वह पहली रियासत थी। जहां अंग्रेजों की गुलामी के बाद अब कांग्रेस की सरकार पर सवाल उठा था। उस वक्त त्रावणकोर के दीवान 'सर सीपी रामास्वामी' का दबदबा था। रियासत के कई राजा-रानी उनके कहे अनुसार काम करते थे।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

इसलिए वह अपने रियासत को स्वतंत्र रखना चाहते थे। वह मीडिया के सामने भी यह बात खुलकर रखते थे। साथ ही मोहम्मद अली मोहम्मद अली जिन्ना भी उनके इस फैसले को हवा दे रहे थे। लेकिन 27 जुलाई 1947 को केरल सोशलिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता ने दीवान पर चाकू से हमला कर दिया।

बात सामने आई कि अब जनता रियासत के हुक्मरानों के खिलाफ हो गई है। इस बात से सीपी रामास्वामी इस कदर डर गए की महज़ 3 दिन बाद अस्पताल से ही उन्होंने महाराजा के साथ भारत में विलय की बात की। इसके बाद त्रावणकोर भारत के साथ मिल गया।

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