India Vaccination : आर्थिक चुनौती के बीच भारत में अपर्याप्त टीकाकरण!
India Vaccination Status : अगर भारत में तीसरी लहर आई तो यकीन मानिए अर्थव्यवस्था को आने वाले समय में संभालना मुश्किल हो जाए क्योंकि पूर्व की दो लहरों ने भारत के असंगठित क्षेत्र को तबाह कर दिया है।
India Vaccination Status : आखिर भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार क्यों नहीं हो रहा है?
जहां दुनिया की बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं मंदी के दौर से बाहर आ रही हैं तो वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी एक रोजगार और वृद्धि विहीन अर्थव्यवस्था बनकर रह गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (CMIE Report) के आंकड़ों के अनुसार, आर्थिक गतिविधियों के सुधार के बावजूद भी 2019 की तुलना में जुलाई 2021 तक 32 लाख सैलरी पाने वाले लोगों की नौकरी (Unemployment) जा चुकी है। जुलाई 2019 में जहां 8.6 करोड़ सैलरी पाने वाले लोग रोजगार में लगे हुए थे जबकि जुलाई 2021 में यह आंकड़ा 7.64 करोड़ लोगों का हो गया है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि 32 लाख खत्म हुई नौकरियों में से 26 लाख शहरी क्षेत्र की नौकरियां है। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, भारत के लिए एक सकारात्मक पहलू यह है कि भारत की बेरोजगारी दर जुलाई में 6.5 फीसदी हो चुकी है जो कि जून में 9.17 फीसदी थी। भारत की बेरोजगारी दर एक बार पुनः दूसरी लहर के पहले वाली स्थिति में लौट रही है। मार्च 2021 में भारत की बेरोजगारी दर 6.5 फ़ीसदी थी।
भारत के सन्दर्भ में क्या कहती है आईएमएफ की रिपोर्ट?
IMF Report on Indian Economy: भारत की दूसरी चिंता आर्थिक वृद्धि दर में आ रही गिरावट की है। कोविड-19 की पहली लहर से आई आर्थिक तबाही (Indian Economy Crisis) से उभर रहे भारत को दूसरी लहर ने बेहद कमजोर कर दिया है। साथ ही साथ कोविड-19 के खिलाफ मौजूद एकमात्र हथियार टीकाकरण भी भारत में आबादी की तुलना में बेहद कम हुआ है। जिसकी वजह से तीसरी लहर का खतरा तीव्र बना हुआ है। बीते हफ्ते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी आर्थिक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उसने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर दिया है। आईएमएफ ने 2021-22 के लिए भारत की वृद्धि दर का अनुमान 9.5 फ़ीसदी जताया है जो पूर्व में 12.5 फ़ीसदी का था। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार को झटका लगा है।
आईएमएफ से पहले भी प्रतिष्ठित ग्लोबल एजेंसियों ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया था। एस&पी ग्लोबल रेटिंग ने जारी वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर का अनुमान 9.5 फ़ीसदी और वर्ष 2022-23 के लिए 7.8 फ़ीसदी का जताया है। वहीं वर्ल्ड बैंक ने 2021-22 के लिए 8.3 फ़ीसदी का अनुमान लगाया है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गोपीनाथ ने कोविड-19 टीकाकरण अभियान में हो रही देरी को भी आर्थिक वृद्धि में गिरावट का एक कारण माना है। उनके अनुसार दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अपनी आबादी के 40 फीसदी हिस्से का पूर्ण रूप से टीकाकरण कर चुकी है, जबकि उभर रही अर्थव्यवस्थाएं जिसमें भारत भी शामिल है, वहां महज़ 11 फ़ीसदी आबादी का ही पूर्ण टीकाकरण हो सका है।
क्या है भारत में कोविड-19 टीकाकरण की स्थिति?
Vaccination Status: भारत सरकार वायरस के खिलाफ जंग में पीछे चल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण वैक्सीन की कमी है। मई महीने में केंद्र सरकार ने अगस्त से दिसंबर 2021 के बीच कुल 217 करोड़ टीकों की उपलब्धता का अनुमान लगाया था। आज यह अनुमान 135 करोड़ खुराक तक सिमट कर रह गया है। टीकाकरण अभियान में भारत का इस तरीके से पीछड़ना इसके दुनिया की फार्मेसी कहे जाने की उपलब्धि पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। इसका एक कारण केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति में देरी से हुआ बदलाव भी है।
टीकाकरण से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार
भारत को टीकाकरण अभियान में और तेजी लाने की जरूरत है क्योंकि इस लडाई में वैक्सीन ही एकमात्र हथियार है। इसका ही इस्तेमाल करके देश को पुनः सामान्य स्थिति में ले जाया जा सकता है। बिना सामान्य स्थिति हासिल किए अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती है। तेजी से स्वरूप बदल रहा कोविड-19 का यह वायरस टीकाकरण में देरी की वजह से कई लहरों का कारण बन सकता है। अगर भारत में तीसरी लहर आई तो यकीन मानिए अर्थव्यवस्था को आने वाले समय में संभालना मुश्किल हो जाए क्योंकि पूर्व की दो लहरों ने भारत के असंगठित क्षेत्र को तबाह कर दिया है।
टीकाकरण की वजह से अर्थव्यवस्था में रफ्तार का सबसे सफल उदाहरण अमेरिका है। अमेरिका की लगभग 50 फ़ीसदी आबादी का पूर्ण रूप से टीकाकरण हो चुका है। यहां 70 फ़ीसदी आबादी पहली डोज लगवा चुकी है। ओईसीडी के अनुसार अमेरिका की तेज वैक्सीन नीति की वजह से इस वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर दोगुनी रहेगी। इसके अनुसार अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहेगी जो कि पूर्व में दिसंबर महीने में 3.2 फीसदी थी।
ये लेख फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल के संस्थापक और अध्यक्ष विक्रांत निर्मला सिंह का है।