भारत की 5वीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी 'वागीर' ने शुरू किया पहला समुद्री परीक्षण

भारतीय नौसेना की क्षमता को और बढ़ाते हुए मंगलवार को भारतीय नौसेना ने पांचवी स्कॉर्पियन पनडुब्बी वागीर का पहला समुद्री परीक्षण किया।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Rajat Verma
Update: 2022-02-02 14:06 GMT
भारतीय नौसेना की पनडुब्बी (फाइल तस्वीर)

Submarine Vagir : मंगलवार 1 फरवरी को भारत ने अपनी नौसेना की ताकत को बढ़ाने से उद्देश्य से एक कदम और आगे बढ़ाया है। आपको बता दें कि मंगलवार को भारतीय नौसेना (Indian Navy) के कलवरी वर्ग ने अपना समुद्री परीक्षण शुरू किया है, हालांकि इसके पिछले साल दिसंबर में ही परीक्षण शुरू जाने की उम्मीद थी। इस पनडुब्बी को पूर्व में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (Dock Shipbuilders Ltd. - MSL) के कान्होजी आंग्रे वेट बेसिन लांच किया गया था। नौसेना ने ज़ाहिर किया है कि पनडुब्बी की कमीशनिंग के बाद पनडुब्बी का नाम वागीर रखा जाएगा, 'वागीर' नाम एक हिंसक समुद्री प्रजाति की मछली से लिया गया है।

यह प्रोजेक्ट 75 की पांचवीं पनडुब्बी है, जो नवंबर 2020 में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में शुरू हुई थी तथा अब इसे समस्त परीक्षण के पश्चात इसी साल के अंत में भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की पपोरी उम्मीद है। भारतीय नौसेना ने इस विषय पर बात करते हुए बताया कि एमडीएल ने 2021 में कोविड महामारी (covid pandemic) के बीच दो स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की डिलीवरी की थी तथा शुरू किए गए इस पांचवीं पनडुब्बी के समुद्री परीक्षण को भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।

पनडुब्बी वागीर को अपनी इस समुद्री यात्रा के दौरान प्रणोदन प्रणाली, हथियार और सेंसर सहित समुद्र में अपनी सभी प्रणालियों के गहन परीक्षणों से गुजरना होगा। जिसके बाद ही इसे भारतीय नौसेना में जगह दी जाएगी। 

प्रोजेक्ट -75 के तहत करंज और वेला नौसेना में हुए थे शामिल

आपको बात दें कि प्रोजेक्ट -75 के तहत आईएनएस करंज (INS Karanj) और आईएनएस वेला (INS Vela) को मुंबई में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। पहली स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस कलावरी (INS Kalavari) को 2017 में कमीशन किया गया था जबकि आईएनएस खंडेरी (INS Khanderi) को सितंबर 2019 में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था। इन सभी पनडुब्बियों में उन्नत तकनीक और लड़ाकू क्षमताएं शामिल हैं।

स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियां नौसेना के लिए बेहद ही खास हैं क्योंकि वे सतह के साथ-साथ पनडुब्बी रोधी हमले करने में भी सक्षम हैं।

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