रूस से भारत के कारोबारी रिश्ते पर अमेरिका नाराज, टू प्लस टू वार्ता के जरिए विवाद सुलझाने की कोशिश

Indo-US relations: दोनों देशों के बीच वाशिंगटन में 11 अप्रैल को टू प्लस टू वार्ता होने वाली है। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  aman
Update:2022-04-08 12:33 IST

राजनाथ सिंह और एस जयशंकर (फाइल फोटो) 

Indo US relations: यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) के सैन्य हमले के बाद भारत ने कई मौकों पर रूस का साथ दिया है। इसे लेकर अमेरिका (US), भारत से खफा नजर आ रहा है। इसके बाद बाइडन प्रशासन के कई अफसर रूस के साथ कारोबारी रिश्ते बढ़ाने पर भारत को नतीजे भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में अब सबकी निगाहें दोनों देशों के बीच अगले हफ्ते होने वाली टू प्लस टू वार्ता (Two Plus Two Talk) पर टिकी हुई है।

दोनों देशों के बीच वाशिंगटन में 11 अप्रैल को टू प्लस टू वार्ता (Two Plus Two Talk) होने वाली है। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) करेंगे। दोनों नेता अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) से बातचीत कर दोनों देशों के रिश्ते के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश करेंगे। जानकारों का मानना है, कि भारत, रूस और अमेरिका दोनों बड़े देशों के साथ रिश्तों में संतुलन बनाने की कोशिश करेगा।

यूक्रेन के मुद्दे पर भी होगी चर्चा

भारतीय विदेश सचिव अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत के दौरान दोनों देश विविध क्षेत्रों में अपने संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के शीर्ष मंत्रियों की यह बातचीत 11 और 12 अप्रैल को होगी और इस दौरान दोनों देश क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर खुलकर बातचीत करेंगे। टू प्लस टू वार्ता के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन से अलग से भी मुलाकात करेंगे। भारत और अमेरिका के इस बातचीत के दौरान रूस और यूक्रेन से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होगी।

दरअसल, यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं मगर भारत, रूस से ज्यादा ईंधन खरीदने में जुटा है। भारत के विदेश सचिव ने कहा कि रूस के साथ भारत के कारोबारी रिश्ते काफी सहज रहे हैं और उसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध काफी अस्पष्ट हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने भी बुधवार को संसद में स्पष्ट किया था कि कई यूरोपीय देश अभी भी रूस के साथ कारोबारी रिश्ते कायम किए हुए हैं।

रूस से कारोबार बढ़ाने पर अमेरिका खफा

भारत के रूस के साथ कारोबारी रिश्ते बढ़ने से अमेरिका खफा बताया जा रहा है। बाइडन प्रशासन के अफसर खुलकर इस बात को कहते रहे हैं। उनका कहना है कि रूस के साथ कारोबारी रिश्ते बढ़ाने पर भारत को उसके नतीजे भुगतने होंगे। ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू प्लस टू वार्ता को काफी अहम माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच यह चौथी टू प्लस टू वार्ता होगी। इस महत्वपूर्ण वार्ता से पहले भारतीय विदेश सचिव का कहना है कि दोनों देशों के बीच विदेश नीति, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी। जानकारों का कहना है कि इस बातचीत के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ा मुद्दा भी उठने की पूरी संभावना है क्योंकि अमेरिका इस मामले में भारत की भूमिका का काफी नजदीकी से मूल्यांकन करने में जुटा हुआ है।

अमेरिका को साधने की होगी कोशिश

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही अमेरिका की ओर से भारत पर रूस के साथ रिश्तों की समीक्षा करने के लिए दबाव डाला जाता रहा है। हाल में अमेरिका के डिप्टी एनएसएस दिलीप सिंह ने भारत का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने भारत के रूस से ईंधन खरीद को बढ़ाने का मुद्दा उठाया था। व्हाइट हाउस (White House) की प्रवक्ता ने भी अपने बयान में भारत के रूस के साथ कारोबारी रिश्ते बढ़ने के मुद्दे को उठाया था। इसके साथ ही अमेरिका की ओर से भारत और रूस के बीच स्थानीय मुद्रा में कारोबार की संभावनाओं को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस के खिलाफ चर्चा के दौरान वोटिंग के समय भारत अनुपस्थित रहा है।

हालांकि भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बने बूचा नरसंहार पर आक्रोश जताते हुए इस मामले की जांच की मांग की है। ऐसे माहौल में भारत और अमेरिका के बीच होने वाली टू प्लस टू वार्ता को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक इस बातचीत के दौरान भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्ते को सहज बनाने की कोशिश करेगा।

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