Kisan Andolan: आज पुलिस अधिकारी बैठकर निकालेंगे बीच का रास्ता, किसानों का प्रदर्शन होगा खत्म?

Kisan Andolan : भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि देश में गणतंत्र दिवस पर जैसे प्रदर्शनकारी 'ट्रैक्टर रैली' के दौरान लाल किले पर पहुंचे थे वैसे ही प्रदर्शन 'शांतिपूर्ण' होगा।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shivani
Update: 2021-07-18 07:55 GMT

किसान आंदोलन की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Kisan Andolan: संसद के मानसून सत्र के (Parliament Monsoon Session 2021) दौरान किसानों के विरोध प्रदर्शन (Farmers Protest) से पहले दिल्ली पुलिस के अधिकारी रविवार को किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे। किसान संघ 22 जुलाई से संसद के मानसून सत्र के दौरान विवादास्पद कृषि कानूनों को खत्म करने और एमएसपी (MSP) पर कानूनी गारंटी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।

इस बीच उत्तर प्रदेश के रामपुर में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का एक बार फिर विवादित बयान आया है। राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान तो वापस नहीं आएगा, किसान वहीं रहेगा। सरकार को बातचीत करनी चाहिए। 5 सितंबर को बड़ी पंचायत बुलाई है। आगे का जो भी निर्णय होगा, उसमें लेंगे। दो महीने का सरकार को टाइम है। अपना फैसला सरकार भी कर ले, किसान भी कर लेंगे। जंग होगी देश में, ऐसा लग रहा है, युद्ध होगा।

राकेश टिकैत के एलान पर पुलिस निकालेगी रास्ता 

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, किसानों के साथ बैठक के दौरान दिल्ली पुलिस के अधिकारी राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक जगहों का सुझाव दे सकते हैं। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को कहा कि देश में गणतंत्र दिवस पर जैसे प्रदर्शनकारी 'ट्रैक्टर रैली' के दौरान लाल किले पर पहुंचे थे वैसे ही प्रदर्शन 'शांतिपूर्ण' होगा। टिकैत ने कहा, "यह शांतिपूर्ण विरोध होगा। हम संसद के बाहर बैठेंगे जबकि सदन में कार्यवाही जारी रहेगी।"
उन्होंने आगे कहा कि 200 लोग बस के जरिए संसद जाएंगे। बीकेयू नेता ने कहा, "हम बस का किराया चुका देंगे।" विरोध मानसून सत्र की निर्धारित तारीखों के बीच होगा, जो 19 जुलाई से शुरू होकर 13 अगस्त तक चलेगा।

ट्रैक्टर रैली में भड़की थी हिंसा
इससे पहले, 26 जनवरी को, प्रदर्शनकारियों ने नई दिल्ली में प्रवेश करने के लिए बैरिकेड्स तोड़ दिए थे और किसानों द्वारा आयोजित 'ट्रैक्टर रैली' के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में हिंसा भड़की थी। प्रदर्शनकारियों ने प्रतिष्ठित स्मारक लाल किले में भी प्रवेश किया था और इसकी प्राचीर से अपने झंडे फहराए थे।
किसान तीन नए अधिनियमित कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वह किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020; मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसान अधिकारिता और संरक्षण) समझौता को वापस लिए जाने को लेकर आंदोलित हैं। किसान नेताओं और केंद्र ने कई दौर की बातचीत की है लेकिन गतिरोध बना हुआ है।
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