Delhi Election 2025: कांग्रेस के प्रदर्शन से तय होगा दिल्ली चुनाव का नतीजा, पार्टी को मिले वोट AAP को पहुंचाएंगे बड़ा नुकसान

Delhi Election 2025 : दिल्ली में वोटिंग खत्म होने के बाद आए अधिकांश एग्जिट पोल में अबकी बार भाजपा की सरकार बनने की संभावना जताई गई है।;

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2025-02-07 11:42 IST

Delhi Election Exit Poll (social media)

Delhi Election 2025 : दिल्ली में वोटिंग खत्म होने के बाद आए अधिकांश एग्जिट पोल में अबकी बार भाजपा की सरकार बनने की संभावना जताई गई है। हालांकि आप नेताओं ने एग्जिट पोल के नतीजों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। आप मुखिया अरविंद केजरीवाल का कहना है कि यदि भाजपा को 55 सीटें मिल रही हैं तो फिर हमारे लोगों को प्रलोभन क्यों दिया जा रहा है।

एग्जिट पोल के नतीजों से भाजपा नेता उत्साहित जरूर दिख रहे हैं मगर पार्टी की उम्मीदें कांग्रेस के प्रदर्शन पर टिकी हुई हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की मजबूती का सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा और इसका आम आदमी पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस पर यह बात पूरी तरह सटीक बैठ रही है कि हम तो डूबेंगे सनम,तुमको भी ले डूबेंगे। यदि कांग्रेस प्रत्याशी विभिन्न सीटों पर वोट खींचने में कामयाब हुए तो निश्चित रूप से एग्जिट पोल के नतीजे वास्तविक नतीजे में बदल सकते हैं।

इस बार के चुनाव में कोई लहर या हवा नहीं

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस बार किसी भी पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं दिखी है। दिल्ली चुनाव को नजदीक से देखने वाले जानकार भी अंतिम समय तक भाजपा और आप में कड़ा मुकाबला मानते रहे। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में एक उल्लेखनीय बात यह भी रही है कि इस बार मतदान भी पहले से कम हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि तमाम सीटों पर हार-जीत का फैसला काफी कम वोटों से हो सकता है।

आम आदमी पार्टी की ओर से भले ही एग्जिट पोल के नतीजे को खारिज करते हुए पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का दावा किया जा रहा हो मगर पार्टी के नेताओं में पहले जैसा आत्मविश्वास नहीं दिख रहा है। तमाम सीटों पर पार्टी के बागी नेताओं का रुख भी भारी पड़ता हुआ दिख रहा है। शराब घोटाले,शीशमहल और यमुना की सफाई जैसे मुद्दे भी पार्टी पर भारी पड़ते हुए दिख रहे हैं। यही कारण है कि पार्टी के नेता जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नहीं दिख रहे हैं।

कांग्रेस के प्रदर्शन का आप पर पड़ेगा असर

दिल्ली के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में हुए कड़े मुकाबले के बाद सियासी जानकारों का मानना है कि दिल्ली चुनाव का नतीजा बहुत कुछ कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। कांग्रेस की मजबूती का सीधा असर आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है। कांग्रेस प्रत्याशी जीतने की स्थिति में तो नहीं दिख रहे हैं मगर वे यदि वोट खींचने में कामयाब हुए तो कड़ा मुकाबला होने के कारण आप को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।

मुस्लिम, दलित और झुग्गी के मतदाता पहले कांग्रेस के परंपरागत वोटर हुआ करते थे मगर पिछले चुनावों में मुफ़्त की स्कीमों के जरिए आप इन मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में कामयाब हुई। कांग्रेस ने इस बार तमाम सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारकर अपने परंपरागत वोट बैंक को हासिल करने का प्रयास किया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी को इस अभियान में कहां तक कामयाबी मिल पाई है।

मुस्लिम बहुल सीटों पर वोट बंटवारे की संभावना

पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर आप का प्रदर्शन शानदार रहा है मगर इस बार समीकरण बदले हुए हैं। मुस्लिम बहुल सीटों पर एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने भी माहौल बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। दरअसल दिल्ली दंगों के दौरान केजरीवाल की उदासीनता को ओवैसी और कांग्रेस दोनों ने भुनाने का प्रयास किया है। ओवैसी ने तो मुस्तफाबाद क्षेत्र में दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनाव लड़ा कर मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की बड़ी कोशिश की है।

कांग्रेस और ओवैसी दोनों ने दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर आक्रामक चुनाव अभियान चलाया है। दोनों ने मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए आप पर तीखे प्रहार किए हैं। इसका बड़ा असर भी दिखा है और मुस्लिम इलाकों में आप को पहले जैसा समर्थन नहीं मिला है। ऐसे में वोट बंटवारे की आशंका भी प्रबल हो गई है जिसका फायदा भी भाजपा को ही मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। मुस्लिम बहुल सीटों पर पहले भाजपा को झटका लगता रहा है मगर इस बार वैसी स्थिति नहीं दिख रही है।

हम तो डूबे सनम मगर तुमको भी ले डूबे

यह तो सच्चाई है कि 12 साल बाद भी कांग्रेस दिल्ली में सत्ता की रेस में नहीं दिख रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा था और पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका था। इस बार भी अधिकांश एग्जिट पोल में कांग्रेस की हालत खस्ता बताई गई है। दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के बयानों से भी साफ हो गया है कि उन्हें इस बार के चुनाव में भी ज्यादा उम्मीद नहीं दिख रही है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव का कहना है कि पार्टी ने एक मजबूत चुनाव लड़ा है और हम अपने प्रदर्शन को लेकर आशान्वित हैं। हमने अपने कैडर को पुनर्जीवित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया है। पार्टी नेतृत्व से मिले समर्थन के कारण हमारी भावना और मजबूत हुई है। हालांकि उन्होंने सीटों को लेकर कोई दावा नहीं किया।

सच्चाई यह है कि वे खुद और दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित दोनों कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। कांग्रेस इस बार भी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं दिख रही है मगर यदि पार्टी कुछ वर्गों का वोट पाने में कामयाब रही तो निश्चित रूप से आप को बड़ा झटका लग सकता है। फिर कांग्रेस को इसी बात की तसल्ली रहेगी कि हम तो डूबे सनम मगर तुमको भी ले डूबे।

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