Krishna Janmashtami : क्यों मनाई जाती है श्री कृष्णजन्माष्टमी, जानें ये अद्भूत कहानी
Krishna Janmashtami : श्री कृष्ण जन्माष्टमी का ये त्योहार हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, बहुत अहम माना जाता है। इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि इस दिन विष्णु भगवान ने श्री कृष्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया था।
Krishna Janmashtami : कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर साल खूब धूम-धाम से मनाया जाता है। हिंदूओं के इस त्यौहार का जश्न पूरे भारत में देखने योग्य होता है। हर तरफ लोग भगवान श्रीकृष्ण के रंग में रंगें होते हैं। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) 30 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिसका भोग श्री कृष्ण को लगाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का ये त्योहार हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, बहुत अहम माना जाता है। इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि इस दिन विष्णु भगवान ने श्री कृष्ण के रूप में धरती पर जन्म लिया था। इस दिन मध्य रात्रि में जन्म के बाद भगवान कृष्ण को नई वस्त्र पहनाए जाते हैं और 56 भोग का प्रसाद लगाया जाता है।
इस मान्यता के मुताबिक, जन्माष्टमी का त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी मतलब की चंद्रमा के घटते फेज के समय और भाद्रपद महीने में अंधेरे पखवाड़े के 8 वें दिन मनाया जाता है। इतनी धूमधाम से मनाए जाने वाले इस त्योहार को क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे क्या कहानी है, चलिए आपको बताते हैं।
जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं?
Janmashtami Kyon manaate hain?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में प्राचीन कथा है। इस कथा के मुताबिक, भगवान कृष्ण का जन्म कंस यानी अपने मामा को मारने के लिए हुआ था। कंस पूरे मथुरा पर शासन करता था। कंस ने श्री कृष्ण को जन्म देने वाली मां देवकी और पिता वासुदेव को जेल में कैद कर रखा था। देवकी ने जेल में ही श्री कृष्ण को जन्म दिया था।
रिश्ते से देवकी कंस की सगी बहन थी। लेकिन एक बार कंस को लेकर आकाशवाणी हुई थी कि देवकी और वासुदेव का आठवां बेटा कंस को मारेगा। कंस बहुत ही अत्याचारी था। वो खुद को भगवान बताता था।
लेकिन इस भविष्यवााणी को सुनने के बाद कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को जेल में कैद कर लिया था। इसके बाद कंस ने देवकी के एक-एक करके सभी पुत्रों को जन्म होते ही मार डालता था। फिर जब दोनों की आठवीं संतान, कृष्ण का जन्म हुआ तो वासुदेव ने बच्चे को बचाने के लिए कई प्रयत्न किए। भारी बारिश और कड़कड़ाती बिजली के बीच वासुदेव कृष्ण को बचाते हुए वृंदावन पहुंचे। जहां वासुदेव ने कृष्ण को नंद और यशोदा को सौंप दिया।
इसके बाद जब वासुदेव वापस आए, तब उन्होंने कंस के हाथ मे एक लड़की को सौंप दिया। अहंकारी कंस ने भविष्यवाणी के डर से उस बच्ची को भी मारने की कोशिश की, लेकिन उसी समय बच्ची ने दुर्गा का रूप ले लिया। साथ ही कंस को चेतावनी भी दी की, उसकी मृत्यु अब निकट है।
उधर कृष्ण वृंदावन में नंद और यशोदा के घर में बड़ा हो रहा था। किसी तरफ कंस को पता चल गया कि देवकी की आठवीं सन्तान कृष्ण वृंदावन है। तभी कई बार कंस ने कृष्ण को मारने की कोशिशें की, पर वह कामयाब न हो सका। आखिर में कई वर्षों बाद, भगवान कृष्ण ने मथुरा में आकर कंस का वध किया और वहीं से उसके अत्याचारों का भी अंत हो गया।