Lohri 2022: आज है लोहड़ी का जश्न, जानें क्या है इसका इतिहास

Lohri 2022 : लोहड़ी पौष माह की अंतिम रात को तथा मकर संक्राति की सुबह तक मनाई जाती है।

Newstrack :  Network
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-01-13 12:57 IST

लोहड़ी का त्योहार (सोशल मीडिया)

Lohri 2022 : त्यौहार भारत देश की शान हैं, हर प्रान्त के अपने कुछ विशेष त्यौहार हैं और इनमें से एक है लोहड़ी। ये पंजाब (Punjab) का मुख्य त्यौहार है और इसे फसल के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। अलाव की गर्मी तिल और मूंगफली की पट्टी और नाच-गाने की मस्ती करते हैं।

कोरोना महामारी के बीच लोहड़ी का त्योहार

ये है लोहड़ी (Lohri) का पर्व जो आज देश भर में मनाया जा रहा है। लोहड़ी पर लोग खेत खलिहानों में या मैदानों में एकठ्ठे होकर आग जलाते हैं। इस आग के चारों ओर गिद्धा, भांगड़ा और लोक गीतों (Lok Geet)  का जश्न मनाया जाता है। हालांकि इस साल भी कोरोना महामारी (Corona mahamari) का खौफ है फिर भी लोग अपने घरों में जश्न तो मनाएंगे ही। पंजाब में चुनाव (Punjab Election) की गर्मी के बीच लोहड़ी भी गर्मजोशी से मनाई जा रही है। 

 कब मनाई जाती है लोहड़ी

माना जाता है कि लोहड़ी के अगले दिन से सर्दियाँ ख़त्म होने लगती हैं और दिन लम्बे होने लगते हैं। खेतों में अनाज लहलहाने लगते हैं और मौसम सुहाना हो जाता है। लोहड़ी पौष माह की अंतिम रात को तथा मकर संक्राति की सुबह तक मनाई जाती है। 

क्या है इतिहास 

पुराणों के आधार पर इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता है।  मान्यता है कि जब प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव का तिरस्कार किया था और अपने जामाता को यज्ञ में शामिल ना करने से उनकी पुत्री ने अपनी आपको को अग्नि में समर्पित कर दिया था, उसी दिन को एक पश्चाताप के रूप में प्रति वर्ष लोहड़ी पर मनाया जाता है। इसी कारण इस दिन घर की विवाहित बेटी को तोहफे दिये जाते हैं और भोजन पर आमंत्रित कर उसका मान सम्मान किया जाता है।  इसी ख़ुशी में श्रृंगार का सामान सभी विवाहित महिलाओ को बाँटा जाता हैं।

लोहड़ी के पीछे एतिहासिक कथा

लोहड़ी के पीछे एक एतिहासिक कथा भी है जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से जाना जाता हैं। यह कथा अकबर के शासनकाल की है जब दुल्ला भट्टी पंजाब प्रान्त का सरदार था। उन दिनों संदलबार (अब पाकिस्तान में) में लड़कियों की नीलामी होती थी। तब दुल्ला भट्टी ने इस का विरोध किया और लड़कियों को सम्मानपूर्वक बचाया और उनकी शादी करवाई। इस विजय के दिन को लोहड़ी के गीतों में गाया जाता है और दुल्ला भट्टी को याद किया जाता है। 

कैसे मनाते हैं लोहड़ी का त्योहार

इसके अलावा लोहड़ी का सम्बन्ध खेत खलिहान से भी है क्योंकि इस समय  रबी की फसलें कट कर घरों में आती हैं। ये किसानों के लिए एक बहुत बड़ी बात होती है और इसी का जश्न लोहड़ी पर मनाया जाता है। लोहड़ी को पंजाब में किसान नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मुंगफली आदि खाई जाती हैं और इन्हीं के पकवान भी बनाये जाते हैं। इसमें विशेषरूप से सरसों का साग और मक्के की रोटी बनाई जाती है और उसकी दावत अपनों के संग की जाती है।  

लोहड़ी की रात को सभी लोग अपनों के साथ मिलकर अलाव के आस पास बैठते हैं, गीत गाते हैं, खेल खेलते हैं, नाचते हैं। इस लकड़ी के ढेर पर अग्नि देकर इसके चारों तरफ परिक्रमा करते हैं और अपने लिए और अपनों के लिये दुआयें मांगते हैं। विवाहित लोग अपने साथी के साथ परिक्रमा लगाते हैं।

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