Mahatma Gandhi Ka Chashma : महात्मा गांधी के गोल चश्मे की दिलचस्प कहानी, स्टीव जॉब्स से हैरी पॉटर तक का सफर
Gandhi Jayanti 2 October 2022: महात्मा गांधी का गोल फ्रेम वाला चश्मा। हां, वही चश्मा जिसे आप स्वच्छ भारत अभियान के लोगो में देखते हैं...
Gandhi Jayanti 2 October 2022: महात्मा गांधी के व्यक्तित्व से जुड़ी एक अहम वस्तु है उनका चश्मा। गोल फ्रेम वाला चश्मा। हां, वही चश्मा जिसे आप स्वच्छ भारत अभियान के लोगो में देखते हैं। महात्मा गांधी का चश्मा सिर्फ एक आकार मात्र नहीं है बल्कि यह चिंतन, दूरदृष्टि और गांधी के परोपकार भाव का प्रतीक भी है। तो आज गांधीजी के जन्मदिवस पर हम आपको इस चश्मे की पूरी कहानी बताते हैं।
साल 1930 में गांधी ने कर्नल एस.एस. श्री दीवान नवाब को यह कहते हुए यह चश्मा सौंपा था कि "इस चश्मे ने मुझे 'आजाद भारत' का नज़रिया दिया।" अंग्रेजी अखबार, 'द टेलिग्राफ' की रिपोर्ट की मानें, तो कर्नल ने महात्मा गांधी से ऐसी कोई चीज मांगी थी, जो उन्हें हमेशा प्रेरणा प्रदान कर सके। आगे इस चश्मे से जुड़ी कई रोचक बातें आपको बताएंगे।
गांधी ने कब खरीदा था यह चश्मा?
अब मन में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर यह गोल शीशे वाला चश्मा गांधीजी ने कब ख़रीदा था। कहा जाता है कि इस आइकॉनिक चश्में को महात्मा गांधी ने पहली बार 1890 के दशक में खरीदा था। उस दौरान गांधी लंदन में कानून की पढ़ाई कर रहे थे।
अगर 'डेली मेल' की एक रिपोर्ट की मानें तो नीलामी में इस चश्मे की ऊंची कीमत लगी थी। तब अख़बार ने चश्मे के साथ उसके कवर की तस्वीर भी छपी थी। हालांकि इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि महात्मा गांधी ने गोल लेंस के पतले फ्रेम वाला यह चश्मा ही आखिर क्यों चुना था? लेकिन उस वक्त के प्रचलन यानि ट्रेंड को इसका कारण बताया जाता है।
क्या हमेशा वही चश्मा पहना?
अब दूसरा सवाल पाठक के मन में आता है कि लंदन में खरीदा चश्मा कब तक गांधी के साथ रहा था? तो जवाब है, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि कर्नल नवाब को बापू ने जो चश्मा भेंट किया था, वह हूबहू वैसा ही था। इसलिए हो सकता है कि वही चश्मा रहा हो। हालांकि इससे पहले ही गांधी स्वदेशी आंदोलन से जुड़ चुके थे।
जिसके तहत वह विदेशी सामानों के बहिष्कार को लेकर आंदोलन में भागीदार भी रहे थे। कहा जाता है कि इसके बाद गांधी ने चश्मे को तो भारत में ही बनवाए । लेकिन डिजाइन पहले वाला ही रखा। एक समय महात्मा गांधी की सहयोगी रहीं राजकुमारी अमृत कौर के 1940 के दशक के पत्र के हवाले से एक अन्य भारतीय समाचार पत्र की रिपोर्ट में चश्मा का उल्लेख था।
रिपोर्ट में बताया गया था कि तब सेवाग्राम से बंबई (अब मुंबई) स्थित एक चश्मा कंपनी को पत्र लिखा गया था। पत्र में लिखा था,"महात्मा जी नया चश्मा पहन रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अब तक तो ठीक लग रहा है। अगर कोई दिक्कत आई तो बताएंगे।"
इस पत्र लेखन से एक बात तो पता चली कि सेवाग्राम निवास के दौरान महात्मा गांधी के लिए बम्बई से चश्मा मंगवाया गया था।
गांधी का चश्मा बन गया प्रतीक
कुछ अन्य जानकारियों और तस्वीरों के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका के दिनों में और वहां से भारत वापस आने के बाद भी कुछ समय तक महात्मा गांधी को नियमित तौर पर चश्मा लगाते नहीं देखा गया था। 1920 के दशक से बापू की जो तस्वीरें देखने को मिलती हैं, उनमें ज़्यादातर वह इस गोल फ्रेम वाले चश्मे के साथ दिखाई देते हैं।
तब आन्दोलनों के दौर में गांधी का चश्मा उनके चिंतन, बौद्धिकता और विचारों का प्रतीक समझा जाने लगा। तब से अब तक गांधी पर लिखे कई लेखों और कलाकृतियों में इस चश्मे का उनके नजरिया के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा। देश की वर्तमान सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान को उदाहरणस्वरूप देख सकते हैं।
'हैरी पॉटर' का नायक भी पहनता है गांधी चश्मा
देश में चश्मा बेचने वाली एक कंपनी के पोर्टल ने साल 2018 में एक रिपोर्ट पेश की थी। जिसमें कहा गया था कि गांधी स्टाइल चश्मों (गोल फ्रेम वाले ) में दुनिया के प्रतिष्ठित चश्मा निर्माता कंपनियों की खासी दिलचस्पी रही है। चश्में के इस डिजाइन को विंटेज स्टाइल का भी नाम मिल चुका है। वहीं, हॉलीवुड की प्रसिद्ध फिल्म हैरी पॉटर और वेल्मा जैसे में मुख्य किरदारों को भी गांधी चश्मे में ही देखा गया है।
स्टीव जॉब्स ने चश्मा और गांधीवाद दोनों अपनाया
इसके बाद दुनिया भर में मशहूर म्यूजिकल ग्रुप 'बीटल्स' के मशहूर कलाकार और गायक रहे जॉन लेनन गांधीवाद से खासे प्रभावित माने जाते रहे हैं। कहा जाता है कि जॉन लेनन ने लंबे समय तक गांधी जैसा चश्मा पहना। ऐसा उन्होंने गांधी से प्रेरित होने के कारण ही किया था।
हाल के दशक में मशहूर बिजनेसमैन और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स को भी गांधी स्टाइल चश्मे में देखा जाता रहा है। एक बार स्टीव जॉब्स ने कहा था कि गांधी उनके हीरो और आदर्श थे। वह उनके सिद्धांतों में अटूट विश्वास रखते थे।
सब गांधी से प्रेरित, बस रूप अलग-अलग
वर्तमान दौर में भी महात्मा गांधी स्टाइल वाले चश्मे की डिमांड काफी है। या यूं कहें कि अन्य चश्मा फ्रेम का डिजाइन बदलता रहा है, कभी ट्रेंड में कुछ तो कभी कुछ आता-जाता रहा, मगर गांधी स्टाइल वाला गोल फ्रेम हमेशा बरकरार रहा। और इसके चाहने वाले आज भी इसे उतना ही पसंद करते हैं।
चश्मों की कहानी आने वाले समय में भी चलती रहेगी, लेकिन गांधीवाद और गोल फ्रेम वाला चश्मा सदैव रहेगा। कुछ साल पहले लियो बर्नेट इंडिया कंपनी ने देवनागरी के लिए गांधीजी फॉन्ट्स का विकास किया था, जिसे कंपनी फेसबुक के जरिए बढ़ावा देने में जुटी रही। इन फॉन्ट्स की विशेषता ये है कि इसके अक्षरों की आकृतियां गांधीजी के चश्मे के गोल लेंस से प्रेरित हैं।