CM योगी के नाम का गलत इस्तेमाल करने वाला पत्रकार गिरफ्तार, 6 साल से था फरार

सीएम योगी के नाम की फर्जी ईमेल आईडी बनाने और कंपनियों से विज्ञापन मांगने वाला शख्स मनोज कुमार सेठ एक स्वतंत्र पत्रकार है।

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Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-01-30 05:28 GMT

मनोज कुमार सेठ एक स्वतंत्र पत्रकारNew Delhi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पर एक स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार सेठ को फर्जी ईमेल आईडी बनाने और उनके जाली हस्ताक्षर बनाने के आरोप में स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने गिरफ्तार किया है। इस बारे में दिल्ली पुलिस के अनुसार, आरोपी को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा कि आरोपी ने अपने स्थानीय अखबारों के लिए पीएसयू से एहसान विज्ञापन मांगने वाले ईमेल भेजे थे। शख्स ने सीएम योगी के लेटरहेड पर भी फर्जी साइन कर कई कंपनियों को ईमेल भेज विज्ञापन मांगे थे।

सीएम योगी के नाम की फर्जी ईमेल आईडी बनाने और कंपनियों से विज्ञापन मांगने वाला शख्स मनोज कुमार सेठ एक स्वतंत्र पत्रकार है। इसने अपने कई स्थानीय अखबारों के लिए पीएसयू से विज्ञापन मांगे। मामले का खुलासा होने पर मनोज कुमार सेठ को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया है।

भुवनेश्वर से पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार 

 मनोज कुमार सेठ एक स्वतंत्र पत्रकार (फोटो-सोशल मीडिया) 

दरअसल इस मामले का खुलासा उस समय हुआ, जब सीएम योगी के निजी सचिव ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल से शिकायत की। इस बारे में वर्ष 2016 में मामला दर्ज किया गया था। लेकिन कई कोशिशों के बाद भी पुलिस के हाथों आरोपी नहीं लगा। फिर अब छह साल बाद आरोपी को ओडिशा के भुवनेश्वर से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान मनोज कुमार सेठ, उम्र 41 वर्ष के रूप में हुई है। आरोपी मनोज एक स्वतंत्र पत्रकार है। इससे पहले भी आरोपी पर ओडिशा में भी जबरन वसूली का मामला दर्ज हो चुका है।

मामले के बारे में बताते हुए आईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि वर्ष 2016 में गोरखपुर से लोकसभा सांसद रहे योगी आदित्यनाथ के निजी सचिव राजभूषण सिंह रावत ने पुलिस को शिकायत दी थी।

आगे उन्होंने बताया था कि किसी ने सांसद के नाम से फर्जी ईमेल आईडी बनाकर पीएसयू कंपनियों, पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, ओएनजीसी और गेल इंडिया को ईमेल किया है। इसके साथ ही ईमेल में सांसद के फर्जी हस्ताक्षर किए हुए एक पत्र भी मिला। जिसमें अंग्रेजी अखबार ब्रेकिंग न्यूज और टॉप न्यूज को विज्ञापन देने के लिए कहा गया है। जिसके बाद शिकायत दर्ज की गई, फिर मामले की जांच की गई।




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